‘पंजाब की जेलों में’ लगातार ‘बढ़ रही हिंसा की घटनाएं’

punjabkesari.in Saturday, Jun 29, 2019 - 03:33 AM (IST)

हम समय-समय पर देशभर की जेलों की दुरावस्था पर सरकार का ध्यान दिलाते हुए इनकी हालत सुधारने की सलाह देते रहते हैं परंतु इसका कोई असर होता दिखाई नहीं देता। 

22 जून को नाभा जेल में एक कैदी की हत्या के बाद भी जेलों में पहले जैसी ही अव्यवस्था व्याप्त है तथा 24 जून को बङ्क्षठडा जेल में बंद एक गैंगस्टर ने जेल वार्डन से हाथापाई की और उसकी वर्दी फाड़ दी। इसके 2 दिन बाद ही 26 जून रात को लुधियाना की सैंट्रल जेल में नशा तस्करी के आरोपी हवालाती की मौत के बाद 27 जून सुबह उग्र कैदियों और पुलिस में खूनी झड़प शुरू हो गई। कैदियों ने पथराव किया।

अनेक बैरकों में तोड़ फोड़ की और रसोई में पड़े सिलैंडरों को आग लगा दी। फायर ब्रिगेड की 4 गाडिय़ों ने जेल के अंदर लगी आग पर काबू पाया और 3 एम्बुलैंस गाडिय़ों में घायल पुलिस कर्मियों और कैदियों को विभिन्न अस्पतालों में पहुंचाया गया। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि छतों पर खड़े सुरक्षा कर्मचारियों को 500 हवाई फायर करने पड़े और साढ़े 4 घंटे के बाद स्थिति पर काबू पाया जा सका। आंसू गैस का प्रयोग भी किया गया। इस दौरान पुलिस की फायरिंग से एक कैदी की मौत व 4 कैदी घायल हो गए। 

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने इस मामले की मैजिस्ट्रेटी जांच का आदेश देते हुए, जेल मंत्री सुखजिंद्र सिंह रंधावा से रिपोर्ट तलब करने के अलावा जेलों में कैदियों के साथ मिलीभगत करने वाले तथा आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त कर्मचारियों को निलंबित करने की बजाय सीधे बर्खास्त करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि कैदियों ने जेल के अंदर से ही पुलिस की पिटाई, पथराव और फायरिंग का वीडियो बना कर उसे फेसबुक पर भी डाल दिया जिससे स्पष्टï है कि जेलों में मोबाइल फोन व अन्य सामान लगातार पहुंच रहे हैं। 

जेल मंत्री सुखजिंद्र सिंह रंधावा ने भी स्वीकार किया है कि पिछले कुछ समय के दौरान दर्ज किए गए मामलों में पुलिस द्वारा गंभीरता न दिखाने के कारण मोबाइल फोनों के जेलों में पहुंचने का खुलासा नहीं हो पाया। कुल मिला कर जहां उक्त घटना के बाद एक बार फिर जेलों में कुप्रबंधन का मामला उभर कर सामने आया है वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पंजाब की 3 जेलों बङ्क्षठडा, अमृतसर और लुधियाना में सी.आर.पी.एफ. की एक-एक कम्पनी तैनात करने के आदेश जारी कर दिए हैं। 

इसका कितना असर पड़ेगा इसका उत्तर तो भविष्य ही देगा परंतु इस घटना ने एक बार फिर भारतीय जेलों में अव्यवस्था और कुप्रबंधन की पोल खोल कर जेलों के ढांचे में आमूल चूल सुधार करने और अपराधियों के साथ मिलीभगत रखने वाले कर्मचारियों को कठोरतम दंड देने की आवश्यकता जता दी है।—विजय कुमार 


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