बंगलादेश के घटनाक्रम के दृष्टिगत भारत को सावधान रहने की आवश्यकता

punjabkesari.in Monday, May 09, 2016 - 01:22 AM (IST)

बंगलादेश में हुए शृंखलाबद्ध जानलेवा हमलों से विश्व समुदाय में चिंता की लहर दौड़ गई है। पिछले 2 वर्षों के दौरान वहां धर्म निरपेक्ष विचारधारा के लेखकों और ब्लॉगरों, प्रोफैसरों, धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को गला काट कर मौत के घाट उतार दिया गया, जबकि कुछ मामलों में उनके सिर कलम कर दिए गए।

 
दो विदेशियों जिनमें एक इतालवी और दूसरा जापानी था, हाल ही में एक एल.जी.बी.टी. पत्रिका के सम्पादक एवं शीर्ष समलैंगिक एक्टीविस्ट जुलहाज़ मैनन की हत्या के अलावा एक सूफी पीर शाहिदुल्ला की हत्या की ताजा तारीन घटना से बंगलादेश में धर्म निरपेक्ष विचारधारा के ब्लॉगरों तथा लेखकों में भय की लहर दौड़ गई है। 
 
बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इन हत्याओं के पीछे विपक्षी बंगलादेश नैशनलिस्ट पार्टी (बी.एन.पी.) तथा उसकी सहयोगी जमात-ए-इस्लामी का हाथ होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि वे बंगलादेश को अस्थिर करने के उद्देश्य से ये हत्याएं करवा रही हैं। 
 
दूसरी ओर विपक्ष ने उनके इस दावे को नकारते हुए कहा है कि बंगलादेश में अनेक आतंकवादी गिरोह पैदा हो गए हैं और इस तरह के हमलों में बहुत कम अभियुक्तों को ही दंडित किया गया है। विपक्ष का यह दावा है कि आई.एस.आई.एस. तथा अलकायदा ने बंगलादेश में अपने मजबूत सैल कायम कर लिए हैं परंतु बंगलादेश सरकार इससे इंकार कर रही है। 
 
बंगलादेश में इस्लामी आतंकवादियों के आक्रमणों का शिकार होने वालों की सूची लगातार बढ़ती ही जा रही है तथा धर्म निरपेक्ष ब्लॉगरों, शिक्षाविदों, समलैंगिक अधिकारों के कार्यकत्र्ताओं के साथ-साथ धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य, शिया, सूफी और अहमदिया मुसलमानों, ईसाइयों और हिन्दुओं की हत्या की जा रही है। 
 
अधिकांश मामलों में चूंकि पुलिस अभियुक्तों की शिनाख्त करने में असफल रही है, लिहाजा किसी को भी इस संबंध में सजा नहीं दी गई है। अनेक पर्यवेक्षकों का मानना है कि पुलिस इन मामलों में शेख हसीना की टिप्पणियों के कारण गंभीरता पूर्वक जांच नहीं कर रही जिसमें उनके द्वारा नास्तिक ब्लॉगरों की आलोचना भी शामिल है। पिछले सप्ताह शेख हसीना ने यह कहते हुए धर्म के सभी आलोचकों को कठोर चेतावनी दी है कि उनके विचार में इस तरह का लेखन स्वतंत्र विचारधारा की अभिव्यक्ति नहीं बल्कि बेहूदा शब्दावली का प्रतीक है। 
 
सेना के भूतपूर्व ब्रिगेडियर जनरल सखावत हुसैन जो कि इस समय सुरक्षा विश्लेषक हैं, के अनुसार हाल ही में कट्टरवादी इस्लामी समूहों के उभार का कारण प्रत्येक भूमिगत (इस्लामी) संगठन के आपसी संबंध हैं और उनके धन इकठ्ठा करने के साधन और विचारधारा भी एक ही है।
 
इन संगठनों के साथ आई.एस.आई.एस. तथा अलकायदा के परस्पर संबंधों को नकारा नहीं जा सकता क्योंकि इन सभी संगठनों का हत्याएं करने का तरीका आई.एस.आई.एस. जैसा ही है। 
 
इस समय जबकि बंगलादेश में अस्थिरता के हालात पैदा हो रहे हैं, बंगलादेश के साथ हमारी सुगम्य सीमा होने के कारण वहां सक्रिय भूमिगत आतंकी गिरोह आसानी से भारत में अपने पंजे फैला सकते हैं लिहाजा भारत को बहुत सावधान रहने की जरूरत है। बेशक भारत सरकार ने बंगलादेश के साथ अपने संबंध सुधारे हैं, अभी भी अनेक मुद्दे विवादास्पद श्रेणी में पड़े हैं। 
 
चूंकि बंगलादेश सरकार के पास आतंकवादियों से निपटने में असफलता का औचित्य बताने वाले बहाने भी खत्म हो चुके हैं, वहां के लोगों का गुस्सा आसानी से भारत के विरुद्ध भड़क सकता है क्योंकि इसने अभी से यह कहना शुरू कर रखा है कि इसके द्वारा गिरफ्तार किए गए कुछ अभियुक्तों ने इस बात को स्वीकार किया है कि उन्होंने भारत में हैदराबाद स्थित मदरसों में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। 
 
इस परिप्रेक्ष्य में भारत सरकार को अपनी सीमाओं की निगरानी करने के मामले में ही नहीं बल्कि बंगलादेश में किए जाने वाले भारत विरोधी प्रचार से भी सावधान रहने की आवश्यकता है। 
 

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