बिजनैस और संबंधों में आ सकती है दरार, खास योग जता रहे हैं बड़े खतरे की आशंका!

punjabkesari.in Friday, Aug 19, 2016 - 09:25 AM (IST)

आज भारतीय समाज में नवविवाहित जोड़ों में लगभग 25% प्रतिशत दम्पति पहले दो साल में ही तलाक लेने को प्रेरित हो जाते हैं। समाज का हर वर्ग गरीब-अमीर, पढ़ा- लिखा, विद्वान व अनपढ़ विवाह के मामले में ज्योतिष पर निर्भर करता है। विवाह न ही सिर्फ दो देह का मिलन है अपितु यह दो परिवारों, दो कुटुम्बों की भावना का मिलन भी है। विज्ञान अभी तक मानव सूक्ष्म भावनाओं को समझने में सक्षम नहीं हैं। ज्योतिष के कुछ नियम विवाह व सांझेदारी अर्थात बिजनैस पार्टनर्शिप में समांतर रूप से लागू होते हैं। बृहत पाराशर होरा शास्त्र अनुसार विवाह व सांझेदारी अर्थात बिजनैस पार्टनर्शिप की सफलता व असफलता के पीछे कुंडली के पांच भाव जिम्मेदार होते हैं। यह पांच भाव हैं; लग्न, तृत्य, पंचम, सप्तम, अष्टम व द्वादश।  
 
इन्हीं पांचों भावों के साथ-साथ लग्नेश, तृत्यतेश, पंचमेश, सप्तमेश, अष्टमेश व द्वादशेश और इन्हीं भावों के कारक ग्रह भी समांतर रूप से जिम्मेदार होते हैं। लग्न भाव, लग्नेश व इसके कारक सूर्य से दो जातकों के बीच समांतर सोच को संबोधित करती है। तृत्य, तृत्यतेश व बुध से दो जातकों के बीच गुस्से, क्रोध और संबंध ज्ञात होते हैं। पंचम, पंचमेश व शुक्र से दो जातकों के बीच जुड़ाव, बौद्धिक स्तर, शैक्षणिक स्तर ज्ञात होता है। सप्तम, सप्तमेश व गुरु से दो जातकों के बीच परस्परिक संबंध, समझदारी, आकर्षण व सांझेदारी देखी जाती है। अष्टम, अष्टमेश व शनि से दो जातकों के बीच संबंध की आयु व स्थायीत्व देखा जाता है। द्वादश भाव, द्वादशेश व शनि से दो जातकों के एक दूसरे के प्रति सम्मान, हानि, अनबन देखी जाती है। 
  
काल पुरुष सिद्धांत के अनुसार इन्हीं पांचों कारकों के गड़बड़ होने से हर प्रकार का संबंध बिगड़ता है अर्थात कुंडली में सूर्य, बुध, बृहस्पति, शुक्र, मंगल व शनि के बिगड़ने से अमूमन सांझेदारी, बिजनैस पार्टनर्शिप, दांपत्य, मित्रता, पारिवारिक व सांसरिक संबंध बिगड़ते हैं। वर्तमान गोचर अनुसार काल पुरुष के प्रेम भाव में सूर्य, बुध व शुक्र ग्रह राहू से पीड़ित हैं तथा बृहस्पति का छठे अर्थात बैरी भाव में आना बहुत बड़ी समस्या को दर्शाता है। बृहस्पति के वैरी भाव में आने से दंपति के मन पर गहरा असर पड़ेगा। इससे दांपत्य में अचंभित करने वाले परिणाम देखने पड़ेंगे। इसके प्रभाव से सांझेदारी, बिजनैस पार्टनर्शिप, दांपत्य, मित्रता, पारिवारिक व सांसरिक संबंध के बीच चल रही संधि के बीच दरार पैदा होगी जो संबंध विच्छेद भी करा सकती है। 
 
राहु अनैतिक तथा गुप्त संबंधों और प्रेम संबंधों का कारक है। राहू का काल पुरुष के पंचम स्थान में आना विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण प्रदान करता है। सूर्य-राहु की युति ग्रहण योग का निर्माण करता है। सूर्य राहू की युति कालपुरुष के पंचम भाव को प्रभावित कर रहा है। इसी पंचम भाव में राहु के साथ शुक्र का मिलन ‘क्रोध योग’ को जन्म दे रहा है। क्रोध योग जातक से कटुता करवाकर झगड़े व संबंध विच्छेद भी करवाता है। पंचम भाव में बुध व राहु की युति ‘जड़त्व योग’ का निर्माण करती है। बुध-राहु का पंचम में मिलन व्यक्ति को हठी व क्रूर बनाता है, संबंधियों से विरोध करवाता है, प्रेम में असफलता दिलाता है, संबंध विच्छेद करवाता है, दांपत्य में विरोध करवाता है। शैया सुख में कमी कर भोग विलासिता में कमी करवाता है।
 
आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 

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