Earthquake News: भूकंप जैसे झटकों से बार-बार धरती क्यों कांप रही है? रिसर्च में हुआ खुलासा जिसे पढ़कर आप हैरान रह जाएंगे!

punjabkesari.in Sunday, Apr 27, 2025 - 01:01 PM (IST)

नेशनल डेस्क: धरती पर अचानक महसूस होने वाले भूकंप के झटकों के पीछे अब एक चौंकाने वाली वजह सामने आई है। नई रिसर्च के मुताबिक, कुछ भूकंप दरअसल गुप्त परमाणु परीक्षणों की वजह से भी हो सकते हैं। यह खुलासा लॉस अल्मोस नेशनल लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने किया है। उनकी यह रिसर्च 'बुलेटिन ऑफ द सीस्मोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ अमेरिका' में प्रकाशित हुई है। 
भूकंप वैज्ञानिक जोशुआ करमाइकल और उनकी टीम ने रिसर्च में पाया कि भूकंप और चोरी-छिपे किए गए परमाणु विस्फोटों से उत्पन्न हलचलों में फर्क करना बेहद मुश्किल हो गया है। रिसर्च में कहा गया है कि आज की आधुनिक तकनीक भी कई बार भूकंप और विस्फोट के बीच अंतर नहीं कर पाती।
 

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नए उपकरण भी नहीं पकड़ पाते फर्क

भूकंप और विस्फोट के संकेत जब आपस में मिलते हैं तो सबसे एडवांस्ड सिग्नल डिटेक्टर भी धोखा खा सकते हैं। जोशुआ करमाइकल ने बताया कि अगर परमाणु परीक्षण के झटके और भूकंप के झटके एक साथ मिल जाएं, तो सबसे बेहतर तकनीक भी सही पहचान नहीं कर पाती। इससे गुप्त परमाणु परीक्षणों को छिपाने का खतरा बढ़ जाता है।

उत्तरी कोरिया बना उदाहरण

रिसर्च टीम ने उत्तरी कोरिया का उदाहरण देते हुए बताया कि पिछले 20 सालों में वहां छह परमाणु परीक्षण हुए हैं। परीक्षण स्थलों के आसपास भूकंप मापने वाले यंत्रों की संख्या बढ़ने से यह पता चला कि छोटे-छोटे भूकंप बहुत ज्यादा आते हैं। इन झटकों के बीच असली विस्फोट के संकेतों को पकड़ना मुश्किल हो जाता है।

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पुरानी मान्यताओं को तोड़ती है नई रिसर्च

अब तक माना जाता था कि भूकंप के सिग्नल के बीच भी परमाणु विस्फोटों को आसानी से पहचाना जा सकता है। लेकिन इस नई रिसर्च ने इस धारणा को चुनौती दी है। जोशुआ करमाइकल का कहना है कि जब भूकंप और परमाणु परीक्षण के झटके आपस में घुलमिल जाते हैं तो इन दोनों को अलग कर पाना बेहद कठिन हो जाता है।

P-वेव और S-वेव के अनुपात से हल निकालने की कोशिश

वैज्ञानिकों ने भूकंप और विस्फोट के बीच फर्क करने के लिए P-वेव और S-वेव के अनुपात का विश्लेषण किया। एक खास तकनीक से 1.7 टन के दबे हुए विस्फोट को 97 फीसदी तक सही पहचाना जा सकता है। लेकिन अगर विस्फोट के झटके भूकंप के झटकों के साथ 100 सेकंड के अंदर और 250 किलोमीटर के दायरे में मिल जाएं तो पहचानने की सफलता दर सिर्फ 37 फीसदी रह जाती है।

भविष्य के लिए क्या है चिंता?

जोशुआ करमाइकल का कहना है कि जिन इलाकों में अक्सर भूकंप आते रहते हैं वहां गुप्त परमाणु परीक्षणों का पता लगाना बेहद मुश्किल हो सकता है। यहां तक कि सबसे उन्नत डिजिटल सिग्नल डिटेक्टर भी इस चुनौती से जूझ सकते हैं। इसका मतलब यह भी है कि कुछ देशों के गुप्त परमाणु परीक्षण भविष्य में छुपे रह सकते हैं।

 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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