इस मुस्लिम देश में धरती के नीचे छिपा है सोने का अथाह भंडार, भारत का पड़ोसी एक झटके में बन सकता है मालामाल!
punjabkesari.in Tuesday, Jul 08, 2025 - 11:04 AM (IST)

नेशनल डेस्क: अफगानिस्तान… एक ऐसा देश जिसकी धरती के नीचे अरबों डॉलर के खनिज छिपे हैं। सोना, तांबा, लीथियम, बॉक्साइट, मार्बल और भी कई कीमती धातुएं इसके पहाड़ों और जमीन के अंदर मौजूद हैं। वैज्ञानिकों और भूगर्भशास्त्रियों का मानना है कि अगर इन संसाधनों का सही उपयोग हो तो अफगानिस्तान पल भर में दुनिया के अमीर देशों की सूची में शामिल हो सकता है। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा। इसके उलट सच्चाई यह है कि अफगानिस्तान आज भी दुनिया के सबसे गरीब देशों में गिना जाता है। यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सवाल उठता है - जब देश के पास इतना खजाना है, तो फिर गरीबी क्यों?
खनिजों की भरमार: अरबों डॉलर का खजाना छिपा है धरती के नीचे
अफगानिस्तान की जमीन के नीचे जो खनिज हैं उनकी अनुमानित कीमत 1 ट्रिलियन डॉलर (यानि लगभग 83 लाख करोड़ रुपये) से ज्यादा बताई जाती है। अमेरिकी और सोवियत वैज्ञानिकों ने दशकों पहले ही यह साबित कर दिया था कि यहां:
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सोना
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तांबा
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लीथियम
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बॉक्साइट
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लौह अयस्क
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क्रोमाइट
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कोबाल्ट
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मार्बल जैसी धातुएं और खनिज बड़ी मात्रा में मौजूद हैं।
विशेष रूप से लीथियम की बात करें तो यह खनिज आज के दौर में मोबाइल, लैपटॉप और इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरियों में सबसे अहम भूमिका निभाता है। मतलब साफ है, अफगानिस्तान आज की तकनीकी दुनिया में एक बहुत बड़ा खिलाड़ी बन सकता है।
राजनीतिक अस्थिरता: देश की सबसे बड़ी रुकावट
खजाने तो हैं, लेकिन उन्हें निकालने के लिए स्थिर सरकार और शांति चाहिए। अफगानिस्तान ने बीते 40 सालों में कभी भी लंबी अवधि तक स्थिरता नहीं देखी। पहले सोवियत हमला, फिर अमेरिका का युद्ध और अब तालिबान का नियंत्रण। हर बार सत्ता बदलने के साथ देश में अस्थिरता और डर का माहौल बना रहता है। कोई भी विदेशी निवेशक ऐसा जोखिम नहीं उठाना चाहता जहां जान-माल दोनों का नुकसान हो सकता है। यही वजह है कि देश की मिट्टी के नीचे भरा पड़ा खजाना, आज भी मिट्टी में ही दबा हुआ है।
आतंकवाद और तालिबान शासन: विकास की राह में सबसे बड़ा खतरा
तालिबान के दोबारा सत्ता में आने के बाद से अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफगानिस्तान पर कई प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों की वजह से कोई भी बड़ी या तकनीकी रूप से सक्षम विदेशी कंपनी वहां जाकर खनन करने को तैयार नहीं है। तालिबान की सख्त धार्मिक नीतियां, महिलाओं पर प्रतिबंध और मानवाधिकारों का उल्लंघन, दुनिया की नजर में देश की छवि को और खराब करते हैं। और जब तक ऐसी नीतियां जारी रहेंगी, तब तक विकास सिर्फ एक सपना ही बना रहेगा।
अफीम पर निर्भर अर्थव्यवस्था: खेती नहीं, ड्रग्स का कारोबार
अफगानिस्तान की एक और बड़ी समस्या है - अफीम का उत्पादन। यहां की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा अफीम (ओपियम) की खेती पर निर्भर है। दुनिया का लगभग 80% अवैध अफीम उत्पादन अकेले अफगानिस्तान में होता है। खेती की जमीन, जल स्रोत और श्रम का एक बड़ा हिस्सा इसी अवैध कारोबार में लगा हुआ है। जब देश के किसान और संसाधन नशीले पदार्थों के उत्पादन में लगेंगे, तब खनन और विकास पर ध्यान कैसे दिया जा सकता है?
इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी: तकनीक और साधनों की दरकार
खनिज निकालने के लिए सिर्फ खजाने की जानकारी होना काफी नहीं होता, उसके लिए मजबूत बुनियादी ढांचे की जरूरत होती है। लेकिन अफगानिस्तान में:
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पक्की सड़कें बेहद कम हैं
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माइनिंग मशीनें और टेक्नोलॉजी की भारी कमी है
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कुशल मजदूरों की संख्या भी सीमित है
जब सड़कें नहीं होंगी, मशीनें नहीं होंगी और बिजली की सप्लाई नहीं होगी, तो खनिज बाहर लाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन बन जाता है।
चीन की कोशिशें और विदेशी निवेश की दुविधा
चीन ने हाल के वर्षों में कुछ खदानों में निवेश की कोशिश की है, जैसे कि मेस आयनाक कॉपर माइन। लेकिन तालिबान शासन और अंतरराष्ट्रीय दबावों के कारण प्रोजेक्ट या तो अधर में हैं या बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहे हैं।
विदेशी कंपनियों को राजनीतिक स्थिरता चाहिए, भरोसेमंद नियम चाहिए और सुरक्षा की गारंटी चाहिए। अफगानिस्तान इस मामले में अभी बहुत पीछे है।
नतीजा: खजाना पास है, लेकिन चाबी नहीं
अफगानिस्तान के पास वह सब कुछ है जो किसी देश को अमीर बना सकता है। लेकिन:
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युद्ध और अशांति
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आतंकवाद
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राजनीतिक अस्थिरता
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अव्यवस्थित प्रशासन
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तकनीक और संसाधनों की कमी
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अफीम पर निर्भरता
इन सभी समस्याओं ने देश को जकड़ रखा है।
जब तक इन बाधाओं को दूर नहीं किया जाएगा, तब तक अफगानिस्तान का खजाना सिर्फ एक आंकड़ा बना रहेगा। वहां के लोग तब तक गरीबी और संघर्ष की जिंदगी जीते रहेंगे।