7000 बांधों ने हिला दी धरती की नींव, इंसान की बनाई झीलों से आएगी तबाही! Harvard स्टडी से बड़ी चेतावनी जारी

punjabkesari.in Tuesday, Jul 22, 2025 - 10:48 AM (IST)

नेशनल डेस्क: धरती एक घूमता हुआ गोला है जिसकी अपनी एक प्राकृतिक संतुलन प्रणाली है। लेकिन इंसान द्वारा बनाए गए 7000 से ज्यादा बड़े-बड़े बांधों ने इस संतुलन को हिला दिया है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की हालिया स्टडी में पाया गया है कि इन बांधों के कारण धरती के रोटेशन एक्सिस यानी घूमने की दिशा में लगभग एक मीटर तक खिसकाव हो गया है। धरती अपने अक्ष पर घूमती है जिसे रोटेशन एक्सिस कहा जाता है। यह अक्ष चुंबकीय ध्रुवों के करीब होता है। जब पृथ्वी पर बहुत अधिक वजन एक ही जगह पर जमा होता है, जैसे बांधों में लाखों टन पानी का दबाव, तो इसका असर धरती के घूमने के संतुलन पर पड़ता है। इस वजह से धरती की सतह और चुंबकीय ध्रुवों में बदलाव आता है। इसे ‘True Polar Wander’ कहते हैं।

बांधों ने कैसे बदली धरती की दिशा?

हार्वर्ड की रिसर्चर नताशा वेलेंसिक के अनुसार, जब यूरोप और अमेरिका में 1835 से 1954 के बीच बड़े बांध बनाए गए, तब उत्तरी ध्रुव करीब 20 सेंटीमीटर रूस की तरफ खिसका। इसके बाद 1954 से 2011 के बीच एशिया और पूर्वी अफ्रीका में बांधों के निर्माण से यह खिसकाव 57 सेंटीमीटर पश्चिम की ओर हो गया।

समुद्र स्तर में गिरावट का भी हुआ पता

बांधों ने न केवल धरती के घूमने की दिशा को प्रभावित किया है, बल्कि समुद्र के जलस्तर में भी गिरावट आई है। पानी जब बांधों में जमा रहता है तो वह समुद्र में वापस नहीं आता, जिससे समुद्र का स्तर लगभग 21 मिलीमीटर तक नीचे गिर गया है। यह गिरावट जलवायु परिवर्तन के असर को थोड़ी सीमा तक कम कर रही है लेकिन भविष्य में इससे समुद्री जल स्तर के आंकड़ों में बदलाव हो सकता है।

क्या ये बदलाव खतरा हैं?

फिलहाल यह बदलाव इतनी बड़ी मात्रा में नहीं हुए हैं कि वे सीधे तौर पर भयानक घटनाएं जैसे बर्फीली युग (Ice Age) या बड़े प्राकृतिक आपदाएं पैदा करें। लेकिन रिसर्चर्स का कहना है कि समुद्र के किनारे बसे इलाकों में जलवायु और समुद्र स्तर के बदलाव पहले से ही खतरा बने हुए हैं। इस तरह के छोटे-छोटे बदलाव भविष्य में बड़ी समस्याएं खड़ी कर सकते हैं।

इंसानी गतिविधियों से धरती पर क्या असर पड़ा?

7,000 से अधिक बांध बनाना एक बड़ी मानव निर्मित गतिविधि है, जिससे पानी का वितरण पूरी तरह से असंतुलित हो गया है। प्राकृतिक जल चक्र बाधित हो गया है और इसका प्रभाव पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और समुद्री जीवन पर भी पड़ा है।

 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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