रिमोट वोटिंग की आवश्यकता एवं चुनौतियां
punjabkesari.in Tuesday, Jan 24, 2023 - 06:03 AM (IST)

हमारे देश में 30 करोड़ वोटर्स ऐसे हैं जिनके पास वोटर आई.डी. कार्ड होते हुए भी वो लोग वोट नहीं डाल पाते, जोकि लगभग पूरी अमरीका की एक आबादी के बराबर है। दरअसल चुनाव आयोग ने नई इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ई.वी.एम.) का प्रोटो टाइप तैयार किया है। जिसके जरिए ऐसे लोग भी चुनाव में वोट डाल पाएंगे जो नौकरी करने के लिए या फिर पढ़ाई करने के लिए या किसी भी दूसरी वजह से एक राज्य से दूसरे राज्य में चले जाते हैं, और फिर वो अपने गृह क्षेत्र में वोट देने के लिए नहीं आ पाते, यूं कहें कि जहां इनका राशन कार्ड, वोटर आई.डी. कार्ड बना हुआ है अब ये लोग वहां नहीं रहते और किसी काम या पढ़ाई के सिलसिले में अब दूसरे राज्य में रहते हैं और इसलिए ये लोग वोट डालने नहीं जा पाते।
चुनाव आयोग के मुताबिक ये इलैक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी ई.वी.एम. का ‘अपग्रेडेड वर्जन’ है। इसे रिमोट वोटिंग के लिए विकसित किया गया है। यानी कि ये ‘रिमोट ई.वी.एम.’ है। रिमोट वोटिंग का मतलब है जैसे मान लीजिए दिल्ली में कोई व्यक्ति मध्य प्रदेश से आकर नौकरी कर रहा है या फिर कोई युवा पढ़ाई करने के लिए बिहार से दिल्ली आ गया है और जब चुनाव हो रहे हैं तो वोटिंग के वक्त वो अपने गृह राज्य वापस नहीं जा सकता तो ऐसे व्यक्ति को उसी राज्य में जहां वो इस समय रह रहा है वोटिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। यानी वो नौकरी या दूसरे कारणों से जहां रह रहा है वहीं पर वोट दे पाएगा इसी को ‘रिमोट वोटिंग’ कहते हैं।
बिहार और उत्तर प्रदेश में बहुत सारे लोग हैं जो दिल्ली में या मुंबई में आकर रहते हैं और जब विधानसभा के चुनाव या लोकसभा के या कोई भी चुनाव होते हैं तो उन्हें वापस अपने घर वोट डालने के लिए जाना पड़ता है और जब वो लोग वोट नहीं डाल पाते तब उनका वोट बर्बाद चला जाता है। लेकिन अब वो मुंबई, दिल्ली या किसी भी शहर में रहते हुए भी वहीं से वोट डाल पाएंगे।
बड़ी बात यह है कि यह मशीन ‘मोबाइल वोटिंग’ या ‘इंटरनैट वोटिंग’ की अभिधारणा पर आधारित नहीं है। जिसका सीधा सा मतलब ये है कि ये मशीन इंटरनैट से कनैक्टिड नहीं होगी। तो यहां सवाल उठता है कि जब ये मशीन इंटरनैट से कनैक्ट नहीं है तो फिर एक राज्य से दूसरे राज्य में लोग वोट डालेंगे कैसे? इसके लिए चुनाव आयोग द्वारा एक पूरी प्रक्रिया बनाई गई है। जिसके तहत प्रवासी वोटर्स को सबसे पहले अपने गृह क्षेत्र के ‘रिटॄनग ऑफिसर’ को ये बताना होगा कि वो उनके क्षेत्र के वोटर हैं और किसी कारण से अपने घर से दूर किसी दूसरे राज्य में रहते हैं। ये प्रक्रिया ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों तरह से उपलब्ध होगी।
इस आवेदन के बाद जब रिटॄनग ऑफिसर को पूरी तसल्ली हो जाएगी कि आवेदन करने वाला व्यक्ति सच बोल रहा है तो रिटॄनग ऑफिसर उस राज्य में एक ‘रिमोट पोङ्क्षलग बूथ’ बनाने का आग्रह करेगा। जहां वह वोटर वर्तमान में रह रहा होगा। इसके बाद वहां ये नई मशीन उन वोटर्स के लिए लगा दी जाएगी। इस तरह से देखें तो चुनाव आयोग इस मशीन को लेकर इन घरेलू प्रवासियों के पास जाएगा। इस तरह दो तरह के मतदान केंद्र बनाए जाएंगे।
पहले उस राज्य में होंगे जहां चुनाव हो रहा है और दूसरे उन राज्यों में होंगे जहां उस राज्य के प्रवासी वोटर्स रहते हैं। जैसे कि उत्तर प्रदेश में चुनाव हैं लेकिन वहां रहने वाला व्यक्ति दिल्ली आ गया है तो वो अपने क्षेत्र में वोट डालने के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करेगा और जब ये आवेदन स्वीकार हो जाएगा तब उसे बता दिया जाएगा कि दिल्ली में कौन सी जगह पर पोलिंग बूथ उसके लिए बनाया गया है और कहां किस पोङ्क्षलग बूथ पर जाकर वो व्यक्ति वोट दे सकता है।
इस दौरान दो बातें और होंगी। पहली, जब प्रवासी वोटर्स ऐसे मतदान केंद्र पर वोट देने जाएंगे तो वहां उनको अपना वोटर आई.डी. कार्ड दिखाने के बाद चुनाव अधिकारी ‘सी.सी.आर. मशीन’ से उसकी डिटेल्स को स्कैन करेगा और इसके बाद ये डिटेल्स एक ‘पब्लिक डिस्प्ले सिस्टम’ पर दिखाई देने लगेगा। जिसे अलग-अलग पार्टियों के पोलिंग एजैंट खुद भी देख पाएंगे। नोट करने वाली बात यह है कि इस मशीन में 72 सीटों के उम्मीदवारों की जानकारी होगी जबकि ई.वी.एम. मशीन में अभी एक ही विधानसभा क्षेत्र या लोकसभा क्षेत्र के उम्मीदवार की जानकारी होती है और यही वजह है कि अलग-अलग चुनाव क्षेत्र के लोग आकर एक ही मशीन से अपना वोट डाल सकेंगे और जब नतीजे आएंगे तो इन मशीनों से वोटों की गिनती होगी और बाद में यह सारा डाटा उस राज्य के रिटर्निंग ऑफिसर को शेयर किया जाएगा जहां चुनाव हो रहे हैं।
चुनाव आयोग को इस ‘मशीन की जरूरत’ के पीछे का सबसे प्रमुख कारण है वोटिंग प्रतिशत को बढ़ाना और ऐसे लोगों को वोटिंग की सुविधा देना जो दूसरे राज्यों में होने की वजह से अपना वोट नहीं डाल पाते। 2019 के लोकसभा चुनाव में 91 करोड़ 20 लाख वोटर्स थे लेकिन सिर्फ 61 करोड़ 50 लाख लोगों ने ही वोट डाला। 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में करीब 57 प्रतिशत वोटिंग हुई थी जबकि उत्तर प्रदेश में 59 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले थे। जबकि देश भर में वोटिंग का कुल प्रतिशत 67 प्रतिशत था। इसलिए चुनाव आयोग चाहता है कि इन लोगों को उसी राज्य में वोट डालने की व्यवस्था मिल जाए जहां ये प्रवासी की तरह रह रहे हैं।
इस मशीन की कुछ चुनौतियां भी हैं जिसके कारण विपक्ष इसका विरोध कर रहा है क्योंकि ये कैसे पता चलेगा कि ये प्रवासी वोटर्स कौन हैं? क्योंकि सिर्फ नौकरी और पढ़ाई के लिए ही लोग एक राज्य से दूसरे राज्य नहीं जाते बल्कि घरेलू प्रवास का एक बड़ा कारण शादी और दूसरे पारिवारिक रिश्ते भी हैं। इसके अलावा यह भी चुनौती है कि रिमोट पोलिंग बूथ पर राजनीतिक पाॢटयों के सभी पोलिंग एजैंट्स कैसे आएंगे? क्योंकि यहां एक मशीन के जरिए 72 चुनाव क्षेत्रों के अलग-अलग उम्मीदवारों के पोलिंग एजैंट्स कैसे एक ही बूथ पर इतनी दूर आएंगे यह भी बड़ी चुनौती है।-ऋषभ मिश्रा