तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 4.4 प्रतिशत रही, सात प्रतिशत वार्षिक वृद्धि का अनुमान

punjabkesari.in Tuesday, Feb 28, 2023 - 09:20 PM (IST)

नयी दिल्ली, 28 फरवरी (भाषा) देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में घटकर 4.4 प्रतिशत पर आ गई। मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से जीडीपी में यह गिरावट आई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के मंगलवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 की समान तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था 11.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। वहीं, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रही थी।
चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में 1.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 1.3 प्रतिशत रही थी।
एनएसओ ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इसके अलावा एनएसओ ने बीते वित्त वर्ष 2021-22 की वृद्धि दर को 8.7 प्रतिशत से संशोधित कर 9.1 प्रतिशत कर दिया है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडाणी समूह पर छाए संकट तथा इस बार गर्मियों में तापमान ऊंचा रहने के अनुमान के बीच पूंजी और वित्तीय बाजारों की स्थिति दुरुस्त नहीं है। ऐसे में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सुस्त पड़ने का यह आंकड़ा आया है।
एनएसओ ने एक बयान में कहा, ‘‘स्थिर मूल्य (2011-12) पर तीसरी तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद 40.19 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 38.51 लाख करोड़ रुपये था।
तीसरी तिमाही में मौजूदा मूल्य पर जीडीपी 69.38 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो 2021-22 की तीसरी तिमाही में 62.39 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह मौजूदा मूल्य पर तीसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि 11.2 प्रतिशत रही है।
एनएसओ ने कहा, "स्थिर मूल्य पर समूचे वित्त वर्ष (2022-23) में जीडीपी का आकार 159.71 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष (2021-22) के पहले संशोधित अनुमान में सकल घरेलू उत्पाद 149.26 लाख करोड़ रुपये रहने की बात कही गई थी। इस तरह चालू वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 2021-22 में 9.1 प्रतिशत रही थी।"
एनएसओ ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी वृद्धि दर को संशोधित कर 9.1 प्रतिशत कर दिया है जो कि पहले 8.7 प्रतिशत था।

राष्ट्रीय लेखा आंकड़ों से पता चलता है कि तीसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र का सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) 3.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा है, जो साल भर पहले की समान तिमाही में 2.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा था।
खनन और संबद्ध क्षेत्र की वृद्धि दर दिसंबर तिमाही में घटकर 3.7 प्रतिशत रह गई। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 5.4 प्रतिशत रही थी। इस दौरान निर्माण क्षेत्र की वृद्धि 0.2 प्रतिशत से बढ़कर 8.4 प्रतिशत हो गई।
बिजली, गैस, जलापूर्ति तथा अन्य जरूरी सेवाओं की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही। पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में ये क्षेत्र छह प्रतिशत की दर से बढ़े थे।
सेवा क्षेत्र....व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाएं...की जीवीए वृद्धि तीसरी तिमाही में 9.7 प्रतिशत रही। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 9.2 प्रतिशत रही थी।
वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में बढ़कर 5.8 प्रतिशत हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 4.3 प्रतिशत थी।
लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं की वृद्धि दर घटकर दो प्रतिशत रह गई, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 10.6 प्रतिशत रही थी।
एनएसओ के मुताबिक, स्थिर मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद 2021-22 में 149.26 लाख करोड़ रुपये और 2020-21 में 136.87 लाख करोड़ रुपये रहा था। इस तरह 2021-22 में जीडीपी वृद्धि दर 9.1 प्रतिशत रही जबकि 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 5.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
वर्तमान मूल्य पर शुद्ध राष्ट्रीय आय (एनएनआई) 2021-22 में 203.27 लाख करोड़ रुपये रही थी। उससे पहले के वित्त वर्ष 2020-21 में यह 172.23 लाख करोड़ रुपये थी।
इस तरह एनएनआई में 2021-22 में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी। जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में इसमें तीन प्रतिशत की गिरावट आई थी।

इसके मुताबिक, मौजूदा कीमत पर प्रति व्यक्ति आय यानी प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय 2020-21 में 1,27,065 और 2021-22 में 1,48,524 रुपये रहने का अनुमान है।
मौजूदा मूल्य पर सकल पूंजी सृजन (जीसीएफ) वित्त वर्ष 2021-22 में 73.62 लाख करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020-21 में 55.27 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय रिजर्व बैंक पिछले साल मई से प्रमुख नीतिगत दर रेपो में ढाई प्रतिशत की बढ़ोतरी कर चुका है।
जीडीपी आंकड़ों पर अपनी प्रतिक्रिया में मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 में सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को मार्च तिमाही में 5-5.1 प्रतिशत की दर से बढ़ने की जरूरत होगी।
नागेश्वरन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए सात प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान हासिल होने योग्य है। उन्होंने कहा कि इस बात के पर्याप्त संकेत हैं कि विनिर्माण क्षेत्र की सेहत ठीक है, लेकिन देश को अल नीनो और मौसम संबंधी अनिश्चितताओं से जूझने के लिए तैयार रहना होगा।
उन्होंने कहा कि सात प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर हासिल करने के लिए चौथी तिमाही में 5-5.1 प्रतिशत की वृद्धि दर की जरूरत है।
चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 19.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। सितंबर तिमाही में वृद्धि दर 23.9 प्रतिशत रही थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में वृद्धि दर घटकर 4.4 प्रतिशत पर आ गई।
चालू वित्त वर्ष के लिए सात प्रतिशत की वृद्धि दर का एनएसओ का अनुमान एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के अनुमान के अनुरूप है। हालांकि, यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के 6.8 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है।
एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में शहरी मांग पर ऊंची ब्याज दरों का प्रभाव, मानसून की स्थिरता और आधार प्रभाव का अभाव महत्वपूर्ण कारक होंगे। उन्होंने कहा, "हम मानसून या अन्य बाहरी कारकों के जोखिमों को शामिल किए बिना अगले वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान को छह प्रतिशत पर रख रहे हैं।"



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PTI News Agency

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