क्या आप ऐसी शांति चाहते हैं जो कब्र में न तलाशनी पड़े तो पढ़ें...

punjabkesari.in Saturday, Aug 13, 2016 - 02:04 PM (IST)

आज लोगों के पास भौतिक सुविधाएं बहुत हैं लेकिन इसके बावजूद उनके मन में शांति नहीं है। धन-दौलत से संसाधन खरीदे जा सकते हैं लेकिन शांति नहीं खरीदी जा सकती। केवल मुख से चुप रहने से शांति नहीं मिलती, बल्कि सच्ची सुख-शांति तो तभी है जब व्यक्ति का मन चुप रहे। जब तक हमारा मन शांत नहीं होगा तब तक हमारा जीवन सुखी नहीं हो सकता। मन नियंत्रित होने पर ही शांति मिलेगी। संत कबीर कहते हैं कि यदि मनुष्य का मन एकाग्र न हो तो हाथ में माला फेरने और जीभ से भजन करने से ईश्वर का सच्चा सुमिरन नहीं होता।
 
अब सवाल यह है कि मनुष्य का मन एकाग्र कैसे हो? महात्मा गांधी का कहना था, ‘‘मैं शांति पुरुष हूं लेकिन मैं किसी वस्तु की कीमत पर शांति नहीं चाहता। मैं ऐसी शांति चाहता हूं जो आपको कब्र में नहीं तलाशनी पड़े।’’ 
 
 
शांति के लिए मनुष्य को अपने जीवन को महात्मा गांधी की तरह नियमित और अनुशासित करना पड़ता है। जो व्यक्ति नियम-अनुशासन से चलता है उसका मन कभी अशांत नहीं होगा।
 
एक व्यक्ति की घड़ी खो गई। वह खोजते-खोजते परेशान हो गया लेकिन उसे कहीं घड़ी नहीं मिली। एक बच्चे ने उसे इस तरह परेशान देखा तो उसने बड़े इत्मिनान से कहा, ‘‘आप चिंता न करें, मैं आपकी घड़ी खोज दूंगा।’’
 
इसके बाद बच्चा उस कमरे में गया, जिसमें घड़ी गुम हुई थी और कुछ ही मिनटों में उसे खोज लाया। 
 
यह देख उस व्यक्ति को बड़ी हैरत हुई। उसने बच्चे से पूछा, ‘‘तुमने इतनी जल्दी इसे कैसे खोजा?’’ 
 

तब बच्चा बोला, ‘‘मैंने कुछ नहीं किया। बस मैं कमरे में गया और चुपचाप बैठ घड़ी की आवाज पर ध्यान केंद्रित करने लगा। कमरे में शांति होने के कारण मुझे घड़ी की टिक-टिक सुनाई दी, जिससे मैंने उसकी दिशा का अंदाजा लगा लिया और अल्मारी के पीछे गिरी आपकी घड़ी खोज निकाली।’’ 


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