ऐसा जीवन जीएंगे तो Financial planning के बिना भी हो सकता है भविष्य सुरक्षित

punjabkesari.in Monday, Jul 27, 2015 - 09:00 AM (IST)

भगवान बुद्ध को एक अनुयायी ने कहा, ‘‘प्रभु! मुझे आपसे एक निवेदन करना है।’’

बुद्ध, ‘‘बताओ क्या कहना है?’’

अनुयायी, ‘‘मेरे वस्त्र पुराने हो चुके हैं, अब ये पहनने लायक नहीं रहे, कृपया मुझे नए वस्त्र देने का कष्ट करें। 

बुद्ध ने अनुयायी के वस्त्र देखे, वे सचमुच बिल्कुल जीर्ण हो चुके थे और जगह-जगह से घिस चुके थे, इसलिए उन्होंने एक अन्य अनुयायी को नए वस्त्र देने का आदेश दे दिया।

कुछ दिनों बाद बुद्ध अनुयायी के घर पहुंचे।

बुद्ध, ‘‘क्या तुम अपने नए वस्त्रों में आराम से हो? तुम्हें और कुछ तो नहीं चाहिए?’’

अनुयायी, ‘‘धन्यवाद प्रभु, मैं इन वस्त्रों में बिल्कुल आराम से हूं, मुझे और कुछ नहीं चाहिए।

बुद्ध,‘‘अब जबकि तुम्हारे पास नए वस्त्र हैं तो तुमने पुराने वस्त्रों का क्या किया?’’

अनुयायी, ‘‘मैं अब उसे ओढऩे के लिए प्रयोग कर रहा हूं।’’

बुद्ध, ‘‘तो तुमने अपनी पुरानी ओढऩी का क्या किया?’’

अनुयायी, ‘‘जी मैंने उसी खिड़की पर पर्दे की जगह लगा दिया है।’’

बुद्ध, ‘‘तो क्या तुमने पुराने पर्दे फैंक दिए?’’

अनुयायी, ‘‘जी नहीं मैंने उसके चार टुकड़े किए और उनका प्रयोग रसोई में गर्म पतीलों को आग से उतारने के लिए कर रहा हूं।’’

बुद्ध, ‘‘तो तुम्हारा पुराना पोछा क्या हुआ?’’

अनुयायी, ‘‘प्रभु वो तो अब इतना तार-तार हो चुका था कि उसका कुछ नहीं किया जा सकता था। इसलिए मैंने उसका एक-एक धागा अलग करके बातियां तैयार कर लीं। उन्हीं में से एक कल रात आपके कक्ष में प्रकाशित था।

बुद्ध, अनुयायी से संतुष्ट हो गए। वह प्रसन्न थे कि उनका शिष्य वस्तुओं को बर्बाद नहीं करता और उसमें समझ है कि उनका उपयोग किस तरह से किया जा सकता है?

आज जब प्राकृतिक संसाधन दिन-प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं ऐसे में हमें भी कोशिश करनी चाहिए कि चीजों को बर्बाद न करें और अपने छोटे-छोटे प्रयत्नों से इस धरा को सुरक्षित बना कर रखें।


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