Mahatma Gandhi Story: जीवन में सच्चा आनंद पाना चाहते हैं तो याद रखें महात्मा गांधी की ये बात
punjabkesari.in Monday, May 13, 2024 - 12:35 PM (IST)
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Mahatma Gandhi Story: महात्मा गांधी नियम के बड़े पाबंद थे। कोई भी नियम काफी सोच-विचार के बाद ही बनाते थे। उनके साबरमती आश्रम में भोजन के समय उपस्थित होने के लिए दो बार घंटी बजती थी। नियमानुसार जो व्यक्ति दूसरी घंटी बजने तक भोजनशाला नहीं पहुंच पाता था, उसे दूसरी पंगत लगने तक बाहर बरामदे में ही खड़े रह कर इंतजार करना पड़ता था। बापू इसे लेट लतीफी की मीठी सजा कहते थे। दूसरी घंटी बजते ही रसोई घर के दरवाजे बंद कर दिए जाते थे ताकि लेट आने वाले अंदर जा ही न सकें।
एक दिन ऐसा हुआ कि किसी जरूरी काम में फंसे होने की वजह से खुद बापू देरी से पहुंचे। दूसरी घंटी बजने के बाद रसोईघर का कार्यकर्ता दरवाजा बंद कर ही रहा था कि बापू आते दिखाई दिए। अब वह असमंजस में पड़ गया।
उसकी हिचक देख महादेव भई बोल पड़े, ‘नियम तो नियम है। दरवाजा बंद कर लो।’
तब तक बापू दरवाजे के निकट आ गए थे, पर रसोई का दरवाजा बंद हो गया। बापू अनुशासित आश्रमवासी की तरह एक तरफ खड़े हो गए। तभी वहां हरिभाऊ उपाध्याय भी पहुंच गए।
उन्होंने वहां बापू को खड़े देखा तो बोले, ‘‘आज तो आपने भी नियम तोड़ दिया। लेट हो गए आने में। अब मीठी सजा तो आपको भी भुगतनी ही पड़ेगी।’’ बापू कोई प्रतिक्रिया देते, इससे पहले ही उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन आप खड़े क्यों हैं। रुकिए मैं आपके लिए कुर्सी लाता हूं।’’ वह कुर्सी लेने जा ही रहे थे कि गांधी ने हाथ पकड़ कर उन्हें रोक लिया।
बापू बोले, ‘‘क्या कर रहे हो ? देरी से आने वाले बैठते नहीं, यहां खड़े रह कर इंतजार करते हैं। मैं सजा भुगतने में कमजोर थोड़े ही हूं।’’
फिर कुछ ठहर कर बोले, 'गलती हो जाए तो सजा पूरी भुगतनी चाहिए। जीवन में सच्चे आनंद को पाने के लिए यह जरूरी है।