चीन की शातिर नजर अब उत्तर कोरिया पर, किम को फंसाने की रणनीति तैयार

punjabkesari.in Tuesday, Apr 24, 2018 - 02:29 PM (IST)

बीजिंग: परमाणु परीक्षणों को लेकर चल रही अमरीका- उत्तर कोरिया की जुबानी जंग के बाद अब पूरी दुनिया की नजर 26 अप्रैल को वर्षों बाद कोरियाई प्रायद्वीप के दोनों देशों के बीच होने वाले पहले शिखर सम्‍मेलन में उत्तर कोरिया के  किम जोंग उन व दक्षिण कोरिया  के राष्‍ट्रपति मून की मुलाकात व मई में किम की अमरीकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से होने वाली वार्ता पर है। लेकिन इन दोनों बैठकों पर अगर सबसे ज्‍यादा दिलचस्‍पी व शातिर नजर यदि किसी देश की है तो वो चीन है क्‍योंकि इस मुद्दे के हल से सबसे ज्यादा फायदा चीन को ही होने वाला है।

 जानकारी के अनुसार चीन की शातिर नजर अब उत्तर कोरिया पर इसलिए है क्योंकि उत्तर कोरिया का 90 फीसद कारोबार चीन से होता है। चीन ही उसको कई जरूरी चीजों की आपूर्ति करता है चाहे वो तेल हो या फिर कोयला या अन्‍य दूसरी चीजें। इस लिहाज से उत्तर कोरिया में दिन के साथ शुरू होने वाली दिनचर्या का चीन एक अहम हिस्‍सा है।स्‍पेशल इकनॉमिक जोन बनाने की बात कर चीन ने कहीं न कहीं उत्तर को‍रिया को लेकर अपनी भावी रणनीति भी साफ कर दी है। यूं भी स्‍पेशल इकनॉमिक जोन बनाकर वह उत्तर कोरिया में वही दांव खेलना चाहता है जो अब तक दूसरे देशों में खेलता आया है। यहां पर एक चीज और ध्‍यान में रखनी जरूरी  है कि अभी तक चीन भारत के पड़ोसी देशों को अपनी कर और आर्थिक ढांचे में सुधार करने की बात कर अपनी गिरफ्त में ले रहा था, लेकिन अब उत्तर कोरिया भी कहीं न कहीं उसकी निगाह में आ गया है।

पिछले दिनों जब उत्तर कोरिया को लेकर तनाव चरम पर था और संयुक्‍त राष्‍ट्र ने उसके खिलाफ प्रतिबंध और कड़े कर दिए थे उस वक्‍त भी चीन ने गलत तरीके से ही सही लेकिन कोयला समेत दूसरी चीजों की आपूर्ति उसको की थी। इसका खुलासा पहले जापान ने किया था बाद में अमरीका ने भी इस तरह का बयान दिया था कि यूएन के लगाए प्रतिबंधों के बावजूद चीन उसकी मदद कर रहा है।  मौजूदा समय में उत्तर कोरिया दक्षिण कोरिया और अमरीका से वार्ता के लिए राजी हो चुका है। ऐसे में चीन की दिलचस्‍पी इसमें बढ़ गई है।

इसकी कुछ वजह काफी अहम है। चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने इसको लेकर कुछ बातें कहीं हैं। अखबार ने जहां उत्तर कोरिया के बदले नजरिए का पूरी दुनिया से स्‍वागत करने की अपील की है, वहीं उसने कहा है कि यदि इस मुद्दे का हल निकल गया और कोई समझौता हो सका, तो यह कोरियाई प्रायद्वीप समेत चीन के लिए भी काफी फायदेमंद होगा।  बता दें कि उत्तर कोरिया में मौजूद परमाणु रिएक्‍टरों को लगाने में भी चीन का योगदान रहा है। उत्तर कोरिया में इसको करने में दूसरा साझेदार रूस बना था। हालांकि यह काम कहीं न कहीं अवैध रूप से किया गया था। अवैध इसलिए क्‍योंकि उस वक्‍त भी उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगे हुए थे। लिहाजा यहां पर परमाणु रिएक्‍टर लगाने, इसकी तकनीक और इसको लेकर वहां के लोगों को शिक्षित करने का काम भी इन्‍हीं दोनों के सहयोग से किया गया था।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Tanuja

Recommended News

Related News