सी.बी.डी.टी. चेयरमैन के सेवा विस्तार को लेकर लग रही हैं राजधानी में अटकलें

punjabkesari.in Monday, Apr 23, 2018 - 02:16 AM (IST)

सैंट्रल बोर्ड ऑफ डायरैक्ट टैक्स (सी.बी.डी.टी.) के चेयरमैन सुशील चंद्रा के भविष्य को लेकर दिल्ली में अटकलों का बाजार गर्म है। चंद्रा मई के अंत में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि केन्द्र द्वारा उन्हें एक सेवा विस्तार देने की संभावना है। यह  भी याद रहे कि चंद्रा को पिछले साल मई में सेवानिवृत्त होना था लेकिन उनकी सेवानिवृत्ति से एक महीने से भी कम समय पहले मोदी सरकार ने उन्हें सी.बी.डी.टी. अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था। 

इस तथ्य से अनुमान लगाया गया है कि सी.बी.डी.टी. में सदस्यों के 2 पदों के लिए नियुक्ति की प्रक्रिया के साथ सरकार आगे बढ़ रही है, लेकिन इसने चन्द्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद उत्पन्न होने वाली रिक्ति भरने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। दिलचस्प मामला यह है कि कुछ जानकारों का कहना है कि इस बात की काफी अधिक संभावना है कि चंद्रा 1984-बैच के आई.पी.एस. अधिकारी करनैल सिंह से प्रवत्र्तन निदेशालय (ईडी) के प्रमुख का पद भी ले सकते हैं। सिंह के बारे में यह तेज चर्चा है कि वे केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सी.वी.सी.) में सतर्कता आयुक्त के पद पर जा रहे हैं। इस बारे में और नई जानकारी के लिए यहीं पर नजर जमाए रखें। 

संजीव चतुर्वेदी का संघर्ष जारी है..
व्यवस्था के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले भारतीय वन्य सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी का पुराना संघर्ष अभी भी जारी है। हरियाणा कैडर के अधिकारी जो अब उत्तराखंड में तैनात हैं, ने हरियाणा वन विभाग के उप सचिव एस.एन.रॉय पर आरोप लगाया है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के सामने ‘झूठे बयान’ देने के मामले में उन्होंने रॉय के खिलाफ झूठी गवाही देने के लिए आपराधिक कार्रवाई की मांग की। चतुर्वेदी हरियाणा सरकार द्वारा उनके ‘उत्पीडऩ’ के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं। 

सूत्रों के मुताबिक, हरियाणा सरकार ने चतुर्वेदी द्वारा उजागर घोटालों की सी.बी.आई. जांच की सिफारिश करने के राष्ट्रपति के आदेश को रद्द करने की मांग याचिका दायर की है। चतुर्वेदी के मुताबिक, रॉय ने दावा किया है कि हरियाणा ने कोई अंतिम आदेश नहीं पारित किया था जिसके खिलाफ चतुर्वेदी अखिल भारतीय सेवा नियमों के तहत भारत के राष्ट्रपति के समक्ष मैमोरियल दाखिल करने के हकदार थे। रॉय ने यह भी दावा किया है कि राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन को राज्य सरकार को नियमों के अनुसार संदॢभत किया जाना था, लेकिन राज्य द्वारा ऐसा कोई संदर्भ नहीं दिया गया था। चतुर्वेदी ने आगे कहा है कि रॉय द्वारा दायर एक झूठा और विरोधाभासी उत्तर दर्शाता है कि राज्य सरकार के मन में अदालत की पवित्रता के लिए कोई सम्मान नहीं है और इन सभी ‘गड़बडिय़ों’ का लक्ष्य कुछ राजनेताओं और नौकरशाहों को एक स्वतंत्र सी.बी.आई. की जांच से बचाने के लिए किया गया है। 

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बदलाव चाहते हैं
महाराष्ट्र कैडर के एक वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारी, जिन्होंने एक बार सत्यम घोटाले की जांच की थी, ने राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगी है। 1990 बैच अधिकारी और अतिरिक्त डी.जी.पी. (योजना और समन्वय) वी.वी. लक्ष्मीनारायण ने 3 महीने की नोटिस अवधि को छोड़कर जल्द से जल्द सरकार से राहत प्राप्त करने के लिए पुलिस महानिरीक्षक सतीश माथुर से अनुरोध किया है। अगर उनके इस्तीफे को स्वीकार किया जाता है, तो वह राजनीति में शामिल होने वाले तीसरे आई.पी.एस. अधिकारी होंगे। 

1980 बैच के आई.पी.एस. अधिकारी और मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त सत्यपाल सिंह ने 31 जनवरी, 2014 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और यू.पी. के बागपत के भाजपा उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनावों में सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा। इसके बाद, उन्हें नरेंद्र मोदी कैबिनेट में मानव संसाधन राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया। अतिरिक्त निदेशक जनरल (विशेष परिचालन) पी.के. जैन ने 28 फरवरी, 2014 को सॢवस को छोड़ दिया, और रामदास अठावले के नेतृत्व वाली आरपीआई में शामिल हो गए। एक संक्षिप्त अवधि के बाद, उन्होंने आर.पी.आई. को छोड़ दिया और अब वह पुलिस शिकायत प्राधिकरण के सदस्य हैं। कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि लक्ष्मीनारायण उस प्रक्रिया और माहौल से नाखुश लग रहे थे, जिसमें वह राज्य पुलिस में किनारे कर दिए गए हैं। उन्हें ए.डी.जी. (प्रशासन) और बाद में ए.डी.जी. (योजना और समन्वय) के रूप में तैनात किया गया था, दोनों कार्य ‘खुड्डे लाइन’ पोस्ंिटग के रूप में माने जाते हैं।-दिलीप चेरियन


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Pardeep

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