Election Diary : क्रिकेटर जिन्होंने पैड उतारकर पहन ली खादी और बन गए नेता जी

punjabkesari.in Thursday, Mar 21, 2019 - 09:44 AM (IST)

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा): शनिवार से भारत में आईपीएल शुरू हो रहा है। इस बार आईपीएल होली के साथ साथ चुनावी रंग में भी रंगा हुआ है। ऐसे में हमने सोचा के क्यों न सियासी माहौल में क्रिकेट का ही तड़का लगा दिया जाए। लिहाजा आज बात उनकी जो क्रिकेट की पिच से राजनीती के मैदान पर आये। इनमे से कुछ ने यहां भी सफल पारी खेलीं और कुछ असफल रहे। जिन प्रमुख क्रिकेटरों का नाम इस मामले में सहज जहन में आता है उनमें नवजोत सिद्धू प्रमुख हैं। भारत की तरफ से 51 टेस्ट और 136 वनडे खेलने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने जब राजनीति में कदम रखा को सबको हैरानी हुई थी। भारतीय जनता पार्टी के साथ अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले सिद्धू ने 2004 और 2009 में अमृतसर से लोकसभा चुनाव जीते। बाद में उन्होंने बीजेपी छोड़ दी और कांग्रेस में चले गए। आजकल वे पंजाब की कांग्रेस सरकार में काबीना मंत्री हैं। 
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चेतन चौहान 
इसी तरह पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान ने भी लम्बी सियासी पारी खेली। वह भाजपा के टिकट पर 1991 में उत्तर प्रदेश के अमरोहा से लोकसभा पहुंचे थे। इसके बाद उन्‍होंने फिर 1996 में भाजपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 1998 में चेतन चौहान यहां से एक बार फिर सांसद चुने गए। साल 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भी उन्‍होंने अपनी किस्‍मत आजमाई, लेकिन हार गए। बाद में 2017 में उत्‍तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में उन्‍होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर अमरोहा जिले की नौगावां सादात विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्‍होंने यहां से समाजवादी पार्टी के पूर्व दर्जा प्राप्‍त राज्यमंत्री जावेद आब्दी को हराया था। वर्तमान में चेतन चौहान भी उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं।  
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कीर्ति आज़ाद 
1983 में विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्य रहे कीर्ति आजाद भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के बेटे कीर्ति ने साल 2014 में दरभंगा से लोक सभा का चुनाव जीता था। लोक सभा में वह इस वक्त अपना तीसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। उनकी पति दिल्ली में राजनीति में सक्रिय हैं। वित्त मंत्री अरुण जेतली से डीडीसीए विवाद के कारण चर्चा में आये कीर्ति आजकल निष्कासन के चलते बीजेपी में हाशिये पर ही हैं लेकिन उनकी सियासी पारी को असफल तो कहा नहीं जा सकता। कीर्ति आजाद ने भी भारत के लिए 7 टेस्ट और 25 वनडे मैच खेले।
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मोहम्मद अजहरुद्दीन
भारत के सफल कप्तानों में शुमार मोहम्मद अजहरुद्दीन ने 2009 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी। मोरादाबाद से लोक सवाल चुनाव लड़ने वाले अजहर ने भारतीय जनता पार्टी के सर्वेश कुमार सिंह को हराया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उनकी सीट बदल दी। उन्हें टोंक-सवाईमाधोपुर सीट से लड़ाया गया लेकिन वहाँ उन्हें हार का सामना करना पड़ा। भारतीय टीम के लिए 99 टेस्ट मैच और 334 वनडे मैच खेले हैं।  
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मंसूर अली खान पटौदी 
भारत के सबसे लोकप्रिय कप्तानों में रहे मंसूर अली खान पटौदी ने भी चुनाव लड़ा था। 1991 में पूर्व भारतीय कप्तान मंसूर अली खान पटौदी को कांग्रेस ने भोपाल से चुनाव लड़वाया था। लेकिन पटौदी की यह पारी रामजन्मभूमि आंदोलन की  बलि चढ़ गयी और वे हार गए। उसके बाद उन्होंने मुड़कर राजनीती का रुख नहीं किया। भारत की तरफ से 46 टेस्ट मैच खेलने वाले मंसूर अली के नाम 2793 रन हैं जिसमें 6 शतक और 16 अर्धशतक शामिल है।
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शांताकुमारन श्रीसंत
भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी रहे एस श्रीसंत आईपीएल स्पॉट फीक्सिंग के कारण बहुत चर्चा में रहे। 2013 के आईपीएल में श्रीसंत पर स्पॉट फिक्सिंग का आरोप लगा। इसके बाद भारत के लिए 27 टेस्ट और 53 वनडे मैच खेलने वाले श्रीसंत ने राजनीति से नई शुरूआत की और बीजेपी की ओर से साल 2016 में केरल में विधानसभी के चुनाव में हाथ अजमायाय़ लेकिन उन्हें अपनी शुरूआत में ही कांग्रेस के नेता से हार मिली। हालांकि इस चुनाव से ठीक पहले अदालत ने उन्हें राहत प्रदान करते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया है। 

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विनोद कांबली
भारतीय दिग्गज सचिन तेंदुलकर के साथ रिकॉर्ड साझेदारी कर मशहूर हुए विनोद कांबली ने भी सियासत में भाग्य आज़माया था। कांबली 2009 में लोक भारती पार्टी से जुड़े थे। लेकिन उनका करियर यहां भी  नहीं चमक पाया।  कांबली ने भारत की तरफ से 17 टेस्ट और 104 वनडे मैच खेले हैं। 
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मोहम्मद कैफ
किसी ज़माने में भरशय टीम के सितारा रहे मोहम्मद कैफ को भी सियासत करने की सीझी थी।  भारतीय क्रिकेट टीम के लिए अपनी जबरदस्त फील्डिंग के कारण मोहम्मद कैफ ने खास पहचान बना ली थी।। 13 टेस्ट मैच और 125 वनडे का अनुभव रखने वाले मोहम्मद कैफ ने राजनीति में कांग्रेस पार्टी के साथ शुरूआत की और उन्हें साल 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश के फूलपुर लड़ने का मौका मिला।  लेकिन यहां कैफ मोदी लहर की चपेट में आ गए और अपनी सीट हार गए।


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vasudha

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