भिखारी पाकिस्तान पर चढ़ा कर्ज का पहाड़, ये दो बड़े संस्थानों ने भी फेरा मुंह, अब ब्याज चुकाते-चुकाते निकलेगा दम

punjabkesari.in Friday, Jul 25, 2025 - 03:51 PM (IST)

नेशनल डेस्क: पाकिस्तान की आर्थिक हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उसकी सांसें अब बाहरी कर्ज के सहारे ही चल रही हैं। एक समय था जब आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक जैसे संगठन उसकी मदद के लिए आगे आते थे लेकिन अब हालात ऐसे बन चुके हैं कि ये संस्थाएं भी पाकिस्तान को पास फटकने नहीं दे रही हैं। पिछले फाइनेंशियल ईयर में पाकिस्तान ने 26.7 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज लिया है। लेकिन इसमें से आधा पैसा पुराने कर्ज को चुकाने या रोलओवर करने में ही चला गया। इसका साफ मतलब है कि पाकिस्तान नई तरक्की या विकास पर नहीं बल्कि केवल पुराने उधार चुकाने के लिए ही उधार ले रहा है।

सऊदी और चीन ने भी नहीं छोड़ा मौका

पाकिस्तान ने हमेशा चीन और सऊदी अरब को अपने "भाई" की तरह माना है, लेकिन जब बात आर्थिक मदद की आई तो इन देशों ने पाकिस्तान को रियायत देने के बजाय भारी ब्याज दरों पर लोन थमा दिया। चीन से लिए गए 4 अरब डॉलर के कर्ज पर पाकिस्तान को 6 फीसदी ब्याज चुकाना पड़ रहा है, जबकि सऊदी अरब ने पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक में जमा किए गए 5 अरब डॉलर पर 4 फीसदी ब्याज वसूलना तय किया है। यही नहीं, तेल खरीदने के लिए सऊदी अरब ने जो 200 मिलियन डॉलर का लोन दिया है, उस पर भी 6 फीसदी ब्याज लगाया गया है। पाकिस्तान इन लोन को समय पर चुका नहीं पा रहा है और हर साल उन्हें सिर्फ रोलओवर कर रहा है, जिससे उस पर ब्याज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है।

आईएमएफ और अन्य संस्थानों से भारी-भरकम उधारी

 

अब तक पाकिस्तान को आईएमएफ से 12.7 अरब डॉलर का कर्ज मिल चुका है। इसके अलावा यूएई ने भी पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक में 3 अरब डॉलर कैश जमा कर रखा है। एशियन डेवलपमेंट बैंक ने 2.1 अरब डॉलर का लोन प्रदान किया है जबकि वर्ल्ड बैंक ने 1.7 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता दी है। इसी तरह इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक ने पाकिस्तान को 716 मिलियन डॉलर का फंड दिया है। देखने में ये सभी रकम पाकिस्तान के लिए राहत का जरिया लग सकती हैं लेकिन इन पर लगाई गई ब्याज दरें और शर्तें इतनी सख्त हैं कि अब ये मदद भी पाकिस्तान के लिए एक और आर्थिक बोझ बन चुकी हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार भी उधारी का खेल

जून 2025 के अंत तक पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 14.5 अरब डॉलर बताया गया था लेकिन यह रकम पूरी तरह उधारी और रोलओवर पर आधारित है। इतनी बड़ी राशि में से केवल 13% यानी 3.4 अरब डॉलर ही असली प्रोजेक्ट्स पर खर्च की जा रही है। बाकी सब रकम पुराने लोन चुकाने और ब्याज देने में जा रही है।

इंटरनेशनल कैपिटल मार्केट्स से भी धोखा

खराब क्रेडिट रेटिंग के चलते पाकिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजारों (जैसे यूरोबॉन्ड्स और पांडा बॉन्ड्स) से भी पैसा नहीं जुटा पा रहा है। पिछले साल पाकिस्तान ने 1 अरब डॉलर जुटाने की योजना बनाई थी लेकिन खराब आर्थिक स्थिति के कारण इसे कोई भी फंडिंग नहीं मिल पाई।

क्यों फंस गया पाकिस्तान

पाकिस्तान की सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि आय और खर्च का अंतर, यानी फंडिंग गैप, बहुत अधिक है। सरकार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए हर साल बाहर से उधार लेती है लेकिन अब जब उसकी क्रेडिट रेटिंग गिर चुकी है, तो कोई भी देश या संस्था आसानी से मदद देने को तैयार नहीं है। अब उसे हर बार कर्ज के बदले भारी ब्याज और सख्त शर्तों का सामना करना पड़ रहा है।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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