तुम काली हो, घर छोड़ दो... सास और पति के प्रताड़ना से तंग आकर बहू ने उठाया खौफनाक कदम

punjabkesari.in Thursday, Jul 11, 2024 - 02:46 PM (IST)

महाराष्ट्र : महाराष्ट्र के ठाणे से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। जिसे सुनकर आप भी यह सोचेंगे कि आज के समय में भी लोग रंग भेद को मानते है। भारत के संदर्भ में देखा जाए तो क्या यहाँ सिर्फ जातिभेद है, रंगभेद नहीं है, परंतु वास्तविकता कुछ और ही है, क्योंकि भारत भी रंगभेद से अछूता नहीं है। कुछ ऐसा ही मामला आया है महाराष्ट्र के ठाणे से जहां एक नवविवाहित युवती ने अपने ससुरालवालों के ताने से तंग आकर आत्महत्या कर ली। उसके ससुराल के लोग हर रोज उसे इस बात को लेकर ताना देते कि तुम काली हो, तुम्हारे मुंह से बदबू आती है, तुम्हें हमारे साथ रहने का कोई अधिकार नहीं है।

आपको बता दें कि मृत युवती का नाम जागृति बारी है, जिसकी आयु मात्र 24 साल थी। ससुरालवालों के ताने से जागृति इतना ज्यादा तंग आ चुकी थी कि उसने मौत को गले लगाना ही उचित समझा। युवती के मर जाने के बाद भी ना ही उसके पति का सोच बदला और ना ही ससुरालवालों का दिल पिघला। उन्होंने तो युवति के अंतिम संस्कार तक करने से मना कर दिया। जिसके बाद युवती के भाई विशाल वराडे ने अपनी बहन का अंतिम संस्करा किया। 

इस मामले मे डोंबिवली की मानपाड़ा पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दिया है। जागृति का पति मुंबई पुलिस में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत है। पुलिस ने मामले की जांच के लिए सास, और पति को गिरफ्तार कर लिया। सुसाइड करने से पहले युवति ने अपने मोबाइल फोन नें एक नोट लिखा है, जिसमें उसने अपनी मौत के लिए अपनी सास शोभा रामलाल बारी को दोषी ठहराया है। मानपाड़ा पुलिस ने कहा कि दोनों को 11 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।

वहीं जागृति के मां ने अपनी बेटी से हुई बातचीत के बारे में पुलिस को जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि जागृति अपने फोन पर बताती थी कि उसके ससुरालवालें उसे हमेसा ताना देते रहते थे। सास कहती थी कि तुम काली हो, तुम्हारे मुंह से बदबू आती है, तुम्हारे होंठ काले हैं, तुम घर छोड़ दो, नहीं तो अपनी मां से घर के लिए 10 लाख रुपए मांगकर ले आओ। मृतिका की मां ने यह भी बताया कि उसकी सास अपने बेटे का साथ मिलकर अक्सर उसे शारीरिक और मानसिक रुप से प्रताड़ित करती थी। पुलिस ने दोनोे का गिरफ्तार कर मामले की जांच कर रही हैं। 

हम आपसे यह कहना चाहेंगे की समाज में जागृति ही एक लड़की नहीं है जिसने अपने ससुरालवालों के ताने और प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली। बल्की अनेको ऐसी घटनाएं हर रोज घट रही है, कभी दहेज को लेकर तो कभी रंग रुप को लेकर। हम सब नई पीढ़ी के लोग है पढ़े लिखे होकर भी अगर इस तरह की छोटी सोच रखते हैं तो यह हमारे लिए अपमानजनक है। अगर आपकी भी सोच ऐसी है तो कोई फायदा नहीं आपके पढ़े लिखे होने का और आपकी डिग्रीयों का, फिर सब बेकार है। इसलिए अपनी सोच बदले। 

 

 


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Content Editor

Utsav Singh

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