भाजपा ने तलाश लिया है येदियुरप्पा का विकल्प

punjabkesari.in Friday, May 04, 2018 - 11:14 AM (IST)

बैंगलुरू(विशेष): येदियुरप्पा को भले ही लिंगायत नेता के रूप में भाजपा प्रस्तुत कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि वे लिंगायतों में सिर्फ 20 फीसदी वीर शैव के पसंदीदा रहे हैं। लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दिलाने की मांग का भी उन्होंने कभी खुलकर समर्थन नहीं किया। 

लिंगायत वोटर नहीं हैं येदियुरप्पा को समर्थन देने के पक्ष में
लिंगायत वोटर जहां एक ओर येदियुरप्पा को आंख मूंदकर समर्थन नहीं देने के पक्ष में हैं वहीं वे यह भी अनुमान लगा रहे हैं कि भाजपा भी उनसे किनारा कर रही है। स्थानीय मीडिया में यह चर्चा आम है कि गठबंधन की हालत में येदियुरप्पा के स्थान पर जद(एस) के एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री तथा भाजपा नेता बी श्रीरामलू उप मुख्यमंत्री होंगे। यही नहीं भाजपा नेतृत्व ने एक ओर जहां परिवारवाद के नाम पर येदि के बेटे को टिकट देने से इंकार कर दिया वहीं रेड्डी बंधुओं को टिकट देकर पार्टी में येदियुरप्पा के घटते प्रभाव की पुष्टि कर दी। लिंगायत ही नहीं बल्कि वीरशैव में भी चर्चा है कि भाजपा येदियुरप्पा को चुनाव बाद तवज्जो नहीं देगी। 

जद(एस) से हाथ मिलाने को तैयार है भाजपा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी चुनावी सभा में देवगौड़ा की तारीफ कर यह संकेत दे दिया है कि भाजपा जद(एस) से हाथ मिलाने को तैयार है। लिंगायतों की भाजपा से नाराजगी पहले से है। इस क्षेत्र से नौ सांसद होने के बावजूद केंद्र में किसी लिंगायत सांसद को सरकार प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। जीएम सिद्धेश्वरा को  2016 के फेरबदल में कैबिनेट से ड्रॉप कर दिया गया था। बाद में भी किसी अन्य लिंगायत सांसद को केंद्र सरकार में मंत्रिपद नहीं दिया गया। अब ऐसा माना जा रहा है कि लिंगायत भाजपा से विमुख होकर दूसरे दलों में बेहतर विकल्प तलाश रहे हैं। 


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