50% झुलसी...14 सर्जरी के बाद फिर से अपनी ज़िंदगी को पाया, अब सर्जन बन 25 हजार बर्न पीड़ितों का बचाया जीवन
punjabkesari.in Saturday, Mar 08, 2025 - 12:25 PM (IST)

नेशनल डेस्क: डॉ. प्रेमा धनराज, जो बचपन में एक गंभीर अग्नि हादसे का शिकार हुईं, अब बर्न पीड़ितों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं। उन्होंने 14 सर्जरी के बाद अपनी ज़िंदगी को फिर से पाया और उसी मेडिकल कॉलेज में सर्जन और विभागाध्यक्ष (एचओडी) बनकर अपनी सेवा दी, जहां पर उनका इलाज हुआ था। इसके अलावा, उन्होंने बर्न पीड़ितों के लिए 'अग्नि रक्षा' एनजीओ की शुरुआत की, ताकि वे उन लोगों की मदद कर सकें, जो आग से झुलस गए हैं। 2024 में भारत सरकार ने उन्हें उनकी समाज सेवा के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया।
अग्नि रक्षा एनजीओ की स्थापना
डॉ. प्रेमा को 1998 में अमेरिका से उनके समर्पण के लिए 10 हजार डॉलर का पुरस्कार मिला था। इस पुरस्कार राशि से उन्होंने 1999 में 'अग्नि रक्षा' नामक एनजीओ की स्थापना की, जो बर्न पीड़ितों के इलाज और उनके पुनर्वास का काम करती है। अब तक इस एनजीओ ने 25 हजार से अधिक जले हुए लोगों का इलाज किया है और उनकी देखभाल की है।
बचपन में झुलसने के बाद संकल्प
बेंगलुरु की रहने वाली डॉ. प्रेमा जब सिर्फ 8 साल की थीं, तब किचन में खेलते समय एक स्टोव फटने से वह गंभीर रूप से झुलस गई थीं। उनका चेहरा, गर्दन और शरीर का लगभग 50% हिस्सा जल गया था। परिवार ने एक महीने तक इलाज के लिए विभिन्न जगहों पर भटकने के बाद, तमिलनाडु के वेल्लोर स्थित क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में उनकी 12 घंटे की जटिल सर्जरी की गई। सर्जरी के बाद जब प्रेमा की आंखें खुली, तो उनकी मां ने उनसे कहा, "तुम्हें डॉक्टर बनना है।"
मां से किया वादा निभाया
डॉ. प्रेमा ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब उनकी सर्जरी चल रही थी, तब उनकी मां ईश्वर से दुआ कर रही थीं कि अगर बेटी का जीवन बच जाए, तो वह उसी अस्पताल में डॉक्टर बनेंगी और लोगों की सेवा करेंगी। इस वादे को निभाते हुए, 1989 में डॉ. प्रेमा ने क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में प्लास्टिक सर्जरी और पुनर्वास विभाग की प्रमुख बनकर अपनी मां से किए गए वादे को पूरा किया।