इतिहास के पन्नों पर हमेशा रहेंगे अमर... मनमोहन सिंह के वो तीन काम जिन्होंने बदल दी देश की तस्वीर

punjabkesari.in Friday, Dec 27, 2024 - 05:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और दिग्गज अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह का निधन 92 वर्ष की उम्र में हो गया। उन्होंने अपनी जिंदगी में कई अहम फैसले लिए, जिनसे भारत की राजनीतिक और आर्थिक तस्वीर पूरी तरह से बदल गई। खासकर उनके कार्यकाल के दौरान तीन महत्वपूर्ण फैसले लिए गए, जिन्होंने न सिर्फ देश की आंतरिक स्थिति को सुदृढ़ किया, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई। आइए जानते हैं उन तीन ऐतिहासिक फैसलों के बारे में, जिनकी वजह से मनमोहन सिंह हमेशा याद किए जाएंगे।

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1. आर्थिक उदारीकरण और 'लाइसेंस राज' का खात्मा
1991 में जब भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे। देश का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका था, और भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तेजी से गिर रहा था। देश दिवालिया होने की कगार पर था। ऐसे कठिन समय में, प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने मिलकर एक ऐतिहासिक फैसला लिया, जो आज भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े मोड़ के रूप में याद किया जाता है। मनमोहन सिंह ने 'लाइसेंस राज' को समाप्त किया और आर्थिक उदारीकरण की दिशा में कदम बढ़ाया। इसके तहत आयात के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता खत्म कर दी गई, और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कई नीति सुधार किए गए।

इसके अलावा, औद्योगिक और व्यापारिक नीतियों में भी बदलाव किए गए, जिससे भारतीय उद्योग और व्यापारियों के लिए नए अवसर खुले। विदेशी कंपनियों के लिए भारत का बाजार खोल दिया गया, और भारत में निवेश के लिए एक नया रास्ता खोला गया। इस आर्थिक सुधार ने न केवल भारत की आर्थ‍िक स्थिति को सुधारा, बल्कि दुनिया के सामने भारतीय बाजार को एक आकर्षक विकल्प के तौर पर पेश किया। मनमोहन सिंह की यह पहल न सिर्फ भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने में सहायक रही, बल्कि उन्होंने भारतीय मध्यम वर्ग और छोटे व्यापारियों के लिए नए अवसरों का रास्ता भी खोला। इसके परिणामस्वरूप, भारत में वैश्विक कंपनियों का आगमन हुआ, और भारतीय उत्पादकता व प्रतिस्पर्धा में भी इजाफा हुआ। 

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2. भारत-अमेरिका परमाणु समझौता (Nuclear Deal)
मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद, उनके लिए एक और ऐतिहासिक मौका आया, जो भारतीय विदेश नीति और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव लाने वाला था। 1974 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था, जिसके बाद भारत और अमेरिका के रिश्तों में तनाव बढ़ गया था, और भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिकी सहयोग से वंचित रहना पड़ा। लेकिन मनमोहन सिंह ने इस मुद्दे को अपने शासन में सुलझाने का फैसला लिया। 2005 में, मनमोहन सिंह ने अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे India-US Nuclear Deal कहा जाता है। इस समझौते के तहत भारत को अमेरिका से परमाणु ईंधन और प्रौद्योगिकी की आपूर्ति मिलने का रास्ता खुला।

यह समझौता भारत के ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण साबित हुआ, क्योंकि इससे भारत को अपनी बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए वैश्विक बाजार से सहयोग प्राप्त हुआ। इस समझौते के कारण भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हुई, और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भारत को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिली। हालांकि, इस समझौते को लेकर भारत में कई विरोध भी हुए, खासकर वामपंथी दलों ने इसे लेकर तीखी आलोचना की। लेकिन मनमोहन सिंह ने दृढ़ता से इस समझौते को आगे बढ़ाया, जो बाद में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को और मजबूत करने में मददगार साबित हुआ। यह समझौता न केवल ऊर्जा के लिहाज से महत्वपूर्ण था, बल्कि भारत-अमेरिका रिश्तों को एक नई दिशा भी प्रदान करता है।

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3. आधार कार्ड: हर भारतीय की पहचान
मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान ही एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया, जो आज देशभर में हर नागरिक की पहचान बन चुका है। यह कदम था **आधार कार्ड**। 2009 में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की अगुवाई में आधार योजना की शुरुआत की गई, जिसके तहत देश के हर नागरिक को एक विशिष्ट पहचान प्रदान की गई। यह योजना एक डिजिटल पहचान पत्र के रूप में कार्य करती है, जिससे सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ प्राप्त करना आसान हो गया। आधार कार्ड ने न केवल एक डिजिटल पहचान की शुरुआत की, बल्कि इसे सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ने के साथ-साथ वित्तीय लेन-देन में भी एक अहम भूमिका निभाई।

आज आधार कार्ड का उपयोग न केवल सरकारी सेवाओं के लिए, बल्कि बैंक खातों, राशन कार्ड, और कई अन्य कार्यों के लिए भी अनिवार्य हो गया है। इसके माध्यम से लाखों गरीब और वंचित लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे उनके बैंक खातों में मिलने लगा, जिससे पारदर्शिता और सुविधा बढ़ी। मनमोहन सिंह के कार्यकाल में आधार की शुरुआत ने भारत को डिजिटल और वित्तीय समावेशन के एक नए युग में प्रवेश कराया। यह योजना न सिर्फ भारत के गरीबों के लिए, बल्कि देश की पूरी सामाजिक और आर्थिक संरचना के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हुई।

मनमोहन सिंह ने भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए। उनका कार्यकाल न केवल कठिन समय में भारत को बचाने का था, बल्कि उन्होंने वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को भी नए आयाम दिए। चाहे वह आर्थिक उदारीकरण हो, भारत-अमेरिका परमाणु समझौता हो, या आधार योजना की शुरुआत, इन फैसलों ने भारत को एक नई दिशा दी। मनमोहन सिंह का योगदान हमेशा भारतीय राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज में याद किया जाएगा। 


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Content Editor

Mahima

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