बंगाल में इतना बवाल क्यों?

punjabkesari.in Saturday, Dec 12, 2020 - 12:25 AM (IST)

नेशनल डेस्कः पश्चिम बंगाल में अगले साल विधासनभा चुनाव होने हैं। ऐसे में प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं। भाजपा नेता लगातार पश्चिम बंगाल का दौरा कर अपने कार्यकर्ताओं और जनता के बीच संवाद बना रहे हैं। लेकिन, इस दौरान कुछ ऐसी घटनाएं सामने आईं हैं, जिसको लेकर पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा दो पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर थे। उन्होंने बंगाल प्रवास के दौरान कई कार्यक्रमों में शिरकत की। लेकिन, दक्षिणी 24 परगना जिले के डायमंड हार्बर जाते समय उनके काफिले पर कुछ तत्वों ने हमला कर दिया, जिसमें कई भाजपा नेताओं को चोट आईं। पश्चिम बंगाल के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की गाड़ी के शीशे टूट गए और उन्हें भी चोट लगी।

पश्चिम बंगाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमले
भाजपा ने दावा किया है कि ममता सरकार में बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले हो रहे हैं। भाजपा ने कहा कि टीएमसी के कार्यकर्ता लगातार भाजपा कार्यर्ताओं को निशाना बना रहे हैं। भाजपा प्रदेश के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि उनके 100 से अधिक कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं। हालांकि ममता बनर्जी इन आरोपों को लगातार सिरे से नकारती रहीं हैं। ममता का कहना है कि आपसी झगड़े को भाजपा राजनीतिक रूप देने में लगी है।

कब-कब केंद्र और ममता सरकार में हुआ टकराव
पिछले वर्ष केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव देखने को मिला। कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर पर सीबीआई की टीम ने छापेमारी की थी, जिसके विरोध में ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया और राजीव कुमार का बचाव किया। बता दें कि आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार का नाम चिटफंड घोटाले में आया, जिसके बाद सीबीआई ने कोलकाता में उनके घर पर छापेमारी की। ममता ने राजीव कुमार को ईमानदार आईपीएस अधिकारी बताया और रातभर सीबीआई और केंद्र के खिलाफ धरने पर बैठीं रहीं।

2019 में केंद्र और ममता सरकार के बीच की घटनाएं

  • राजीव कुमार के घर पर सीबीआई छापेमारी के बाद सियासी ड्रामा
  • सेना के ऑपरेशन को मचा था बवाल
  • अमित शाह की रैली के लिए अनुमति नहीं दी
  • योगी आदित्यनाथ के हेलिकॉप्टर को उतरने से मना
  • अमित शाह के हेलिकॉप्टर को उतरने नहीं दिया
  • पीएम मोदी को कंकड़ भेजने की बात


आखिर ममता में इतनी छटपटाहट क्यों?
ममता बनर्जी की छटपटाहट आने वाले चुनाव को लेकर है। पश्चिम बंगाल में 2021 में मार्च-अप्रैल के महीने में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में ममता नहीं चाहती कि उनकी कुर्सी को कोई और छीनकर ले जाए। दरअसल, 2019 के विधानसभा चुनाव में 42 लोकसभा सीटों में से टीएमसी ने 22 सीटों पर जीत मिली, जबकि भाजपा ने यहां शानदार प्रदर्शन करते हुए 18 सीटों पर कब्जा कर लिया। देश की सबसे पुरानी पार्टी ‘कांग्रेस’ की यहां हालत इतनी खस्ता हो गई कि उसे वह 2 सीटें ही जीत पाई। यहां से ममता और मोदी के बीच टकराव बढ़ता गया और आज तक लगातार जारी है। इससे पहले 2014 के लोकसभा 42 सीटों में से 34 सीटों पर जीत दर्ज की थी और भाजपा को केवल 2 सीटों से ही संतुष्ट होना पड़ा था।

रोहिंग्याओं को लेकर सियासत चरम पर
राज्य में भाजपा की बढ़ती ताकत को देखते हुए ममता बनर्जी लगातार केंद्र और भाजपा पर हमलावर हैं। उन्होंने इसे अस्मिता की लड़ाई मानते हुए 'बाहरी बनाम बंगाली' का नारा दिया है। ममता ने कहा कि बंगाल में कोई बाहरी आकर राज नहीं करेगा। दूसरी तरफ, भाजपा बंगाल के विभिन्न इलाकों में अवैध तरीके से बसे रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर ममता सरकार को घेरने में जुटी हुई है। भाजपा महासचिव ने इस बात के संकेत दिए हैं कि अगले साल जनवरी में पश्चिम बंगाल में सीएए कानून लागू हो सकता है। भाजपा लगातार दीदी पर आरोप लगाती रही है कि ममता ने अवैध तरीके से बंगाल में रोहिंग्याओं को बसा रखा है, जो उनका वोट बैंक है।

ममता का सियासी ग्राफ
बता दें कि ममता बनर्जी साल 2011 में पहली बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं। इससे पहले वह केंद्र में यूपीए की सरकार में रेल मंत्री थीं। पश्चिम बंगाल में 2011 में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें 294 विधानसभा सीटों में से 227 सीटों पर कब्जा किया और राज्य की सत्ता संभाली। इसके बाद पश्चिम बंगाल में दीदी की लोकप्रियता बढ़ती गई और 2016 के विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर 294 में से 213 सीटों पर जीत हासिल कर दूसरी बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं।


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Yaspal

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