PPF Withdrawal Rules: PPF अकाउंट से पैसे कब और कैसे निकाल सकते हैं आप? यहां जानें झटपट तरीका
punjabkesari.in Tuesday, Nov 04, 2025 - 02:13 PM (IST)
नेशनल डेस्क। पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) भारत की सबसे लोकप्रिय दीर्घकालिक बचत योजनाओं में से एक है जो अपनी सुरक्षा, टैक्स लाभ और सुनिश्चित रिटर्न के लिए पहचानी जाती है। हालांकि PPF में 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है जिसका मतलब है कि आप अपनी इच्छा के अनुसार पूरी राशि नहीं निकाल सकते। आज हम जानेंगे कि PPF में मैच्योरिटी के बाद आंशिक निकासी (Partial Withdrawal) और समय पूर्व बंद (Premature Closure) करने के नियम क्या हैं।
1. मैच्योरिटी के बाद निकासी (After 15 Years)
PPF खाते का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल पूरा होने के बाद आप बिना किसी जुर्माने के संचित ब्याज के साथ-साथ पूरी राशि निकाल सकते हैं। यह निकासी पूरी तरह से टैक्स फ्री (Tax Free) होती है जो इस योजना की सबसे आकर्षक विशेषता है। यदि आप ब्याज जारी रखना चाहते हैं तो आप खाते को पांच-पांच सालों के ब्लॉक में बढ़ाकर मैच्योरिटी राशि को वापस से निवेश कर सकते हैं।

2. मैच्योरिटी से पहले आंशिक निकासी (Partial Withdrawal)
अगर आपको मैच्योरिटी से पहले धन की आवश्यकता है तो आंशिक निकासी की अनुमति है लेकिन इसके कुछ सख्त नियम हैं:
निकासी की अवधि: खाता खोलने की तारीख से 6 वित्तीय वर्ष पूरे होने के बाद ही आंशिक निकासी की जा सकती है (यानी सातवें वित्तीय वर्ष से)।
निकासी की सीमा (Limit): आप निम्नलिखित में से जो भी कम हो उस पूरे बैलेंस का 50% तक निकाल सकते हैं:
: निकासी के साल से ठीक पहले चौथे वित्तीय वर्ष के अंत में उपलब्ध शेष राशि।
: निकासी से ठीक पहले के वित्तीय वर्ष के अंत में उपलब्ध शेष राशि।
: यह आंशिक निकासी हर वित्तीय वर्ष में सिर्फ एक बार ही की जा सकती है। इसके लिए आपको बैंक या डाकघर में उपलब्ध फॉर्म C भरना होगा।
3. समय पूर्व बंद होना (Premature Closure)
PPF खाता कुछ खास और गंभीर परिस्थितियों में ही समय से पहले बंद किया जा सकता है। यह सुविधा खाता खोलने की तारीख से 5 साल बाद ही उपलब्ध होती है:
अनुमति के कारण:
: खाताधारक, पति-पत्नी या आश्रित बच्चों को जानलेवा या गंभीर बीमारी होने पर।
: खाताधारक या आश्रित बच्चों की उच्च शिक्षा के खर्च के लिए।
: निवास स्थिति में स्थायी परिवर्तन होने पर (जैसे NRI बनना)।
खाता खोलने की तारीख या विस्तार अवधि की शुरुआत से मिलने वाली जमा राशि पर ब्याज दर में से 1% की कटौती की जाती है। इस प्रक्रिया के लिए आपको ज़रूरी दस्तावेजों के साथ फॉर्म 5 जमा करना होगा।

4. खाताधारक की मृत्यु की स्थिति में (Upon Death)
यदि खाता धारक की मैच्योरिटी पीरियड से पहले ही मृत्यु हो जाती है तो नियम बदल जाते हैं। इस मामले में 15 साल की लॉक-इन अवधि लागू नहीं होती है।नामित व्यक्ति (Nominee) या कानूनी उत्तराधिकारी को तुरंत ही पूरी राशि (ब्याज सहित) मिल सकती है।
