शिमला समझौते के रद्द होते ही पाकिस्तान को लगेगा बड़ा झटका, भारत को PoK पर मिल जाएगी खुली छूट?

punjabkesari.in Friday, Apr 25, 2025 - 04:54 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव एक नई दिशा में बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 भारतीय नागरिकों की मौत के बाद, दोनों देशों के बीच रिश्तों में और कड़वाहट आ गई है। इस हमले के जवाब में भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, जिससे पाकिस्तान को पानी के वितरण पर संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसके बाद पाकिस्तान ने 24 अप्रैल को 1972 के ऐतिहासिक शिमला समझौते को रद्द कर दिया। इस घटनाक्रम से दोनों देशों के रिश्ते और जटिल हो सकते हैं, और भारत को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में एक बड़ी कार्रवाई करने का मौका मिल सकता है।

शिमला समझौते का महत्व

शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 को तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शिमला में हस्ताक्षरित हुआ था। यह समझौता 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए था। इस समझौते ने नियंत्रण रेखा (LoC) को एक स्थायी सीमा के रूप में स्थापित किया था और यह तय किया था कि दोनों देश अपने विवादों, विशेषकर कश्मीर मुद्दे को, द्विपक्षीय बातचीत से हल करेंगे, बिना किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के। साथ ही, दोनों पक्षों ने LoC की पवित्रता को बनाए रखने का वादा किया था।

शिमला समझौते रद्द होने के बाद भारत को क्या मिलेगा फायदा?

पाकिस्तान द्वारा शिमला समझौते को रद्द करने का सीधा मतलब यह है कि अब दोनों देशों को नियंत्रण रेखा (LoC) की पवित्रता बनाए रखने की बाध्यता नहीं है। इसका सबसे बड़ा फायदा भारत को हो सकता है, क्योंकि अब उसे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में कार्रवाई करने की पूरी छूट मिल जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत अब LoC के पार अधिक आक्रामक रणनीति अपना सकता है, जिसमें सैन्य कार्रवाई से लेकर PoK के लोगों के साथ सीधे संपर्क स्थापित करना भी शामिल हो सकता है। इससे भारत को PoK में अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर मिल सकता है, जो 1947 से पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है।

पाकिस्तान को यह फैसला क्यों पड़ सकता है भारी?

पाकिस्तान के लिए शिमला समझौते को रद्द करने का फैसला भारी पड़ सकता है। यह निर्णय पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और अलग-थलग कर सकता है, खासकर जब कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान का रुख संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर कमजोर हो सकता है। पाकिस्तान पहले ही सिंधु जल संधि के निलंबन के कारण पानी के संकट से जूझ रहा है, और शिमला समझौते को रद्द करने से उसकी कूटनीतिक स्थिति और खराब हो सकती है।

इसके अलावा, पाकिस्तान के पास अब कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लाने का कोई ठोस आधार नहीं रहेगा, जिससे उसकी वैश्विक छवि और कमजोर हो सकती है। इससे पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से बड़ी क्षति हो सकती है, और भारत के लिए यह एक रणनीतिक रूप से फायदेमंद स्थिति बन सकती है।

भारत का आक्रामक कदम और क्षेत्रीय तनाव

शिमला समझौते के रद्द होने के बाद, भारत को PoK में अधिक आक्रामक कदम उठाने की खुली छूट मिल सकती है। यह भारत को एक नए रणनीतिक अवसर की ओर ले जा सकता है, जिससे वह अपने हितों को और मजबूती से स्थापित कर सके। भारत अब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सैन्य कार्रवाई करने का अधिकार महसूस कर सकता है, और इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने वैध ठहरा सकता है। हालांकि, इससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ने की संभावना भी है, क्योंकि पाकिस्तान इसका कड़ा विरोध करेगा और कश्मीर मुद्दे को वैश्विक मंचों पर उठाने की कोशिश करेगा।

 


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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