विटामिन D से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया होती है धीमी, नई स्टडी में हुआ खुलासा
punjabkesari.in Monday, Sep 08, 2025 - 04:00 PM (IST)

नेशनल डेस्क: नई शोध में पता चला है कि विटामिन डी न केवल हड्डियों को मजबूत करता है बल्कि यह हमारी कोशिकाओं के टेलोमियर्स को भी बचाता है, जिससे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है। अमेरिका की ऑगस्टा यूनिवर्सिटी द्वारा की गई एक पांच साल की स्टडी में 1031 प्रतिभागियों पर शोध हुआ, जिसमें विटामिन डी की नियमित खुराक से टेलोमियर्स की लंबाई में सुधार पाया गया।
टेलोमियर्स और बुढ़ापा
टेलोमियर्स हमारे डीएनए के सिरों पर मौजूद संरचनाएं होती हैं, जो कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाती हैं। हर बार जब कोशिका विभाजित होती है, टेलोमियर्स थोड़े छोटे होते जाते हैं। जब ये अत्यंत छोटे हो जाते हैं, तब कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं और बुढ़ापे से जुड़ी बीमारियां जैसे कैंसर, दिल की बीमारी और गठिया का खतरा बढ़ जाता है।
स्टडी के प्रमुख तथ्य:-
- 1031 लोगों (औसत उम्र 65 वर्ष) को पांच साल तक अध्ययन के लिए चुना गया।
- आधे प्रतिभागियों को रोजाना 2000 IU विटामिन डी की गोली दी गई, जबकि बाकी को प्लेसिबो (बिना असर वाली गोली)।
- चार साल बाद विटामिन डी लेने वालों के टेलोमियर्स में 140 बेस पेयर्स की अतिरिक्त लंबाई पाई गई, जबकि प्लेसिबो समूह में ऐसा नहीं देखा गया।
- सामान्यतः, टेलोमियर्स हर 10 साल में लगभग 460 बेस पेयर्स छोटे हो जाते हैं।
सावधानियां और कंडीशन:-
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि टेलोमियर्स की अत्यधिक लंबाई भी कुछ प्रकार के कैंसर का जोखिम बढ़ा सकती है। इसलिए, टेलोमियर्स की लंबाई का संतुलन बहुत जरूरी है। साथ ही, विटामिन डी की सही खुराक को लेकर भी अभी तक स्पष्ट सहमति नहीं बनी है। स्टडी में 2000 IU दी गई, जो सामान्य सलाह (600-800 IU) से अधिक है। अधिक विटामिन डी लेने से किडनी की पथरी या कैल्शियम जमाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, विटामिन डी की गोली डॉक्टर की सलाह के बिना अधिक मात्रा में नहीं लेनी चाहिए।
क्या करें?
विटामिन डी की स्टडी से पता चलता है कि यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है, लेकिन सही खुराक और दीर्घकालीन प्रभावों को समझने के लिए और शोध की जरूरत है। फिलहाल, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनावमुक्त जीवनशैली ही स्वस्थ और जवान रहने की सबसे अच्छी दवा हैं।
विटामिन डी के अन्य लाभ
विटामिन डी को अक्सर हड्डियों के लिए जरूरी माना जाता है, क्योंकि यह कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। इसके अलावा, यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, सर्दी-जुकाम और सांस की बीमारियों को कम करता है। कुछ शोध सुझाव देते हैं कि यह ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे रूमेटाइड गठिया, ल्यूपस और मल्टीपल स्क्लेरोसिस को रोकने में मदद कर सकता है।