छींकते समय आंखें अपने-आप क्यों बंद हो जाती हैं? नहीं जानते होंगे इसकी असली वजह, एक्सपर्ट ने किया खुलासा

punjabkesari.in Wednesday, Nov 26, 2025 - 01:27 PM (IST)

नेशनल डेस्क: क्या आपने कभी गौर किया है कि छींकते समय हमारी आंखें अपने आप बंद हो जाती हैं। यह कोई सिर्फ आदत नहीं है, बल्कि शरीर का एक प्राकृतिक और सुरक्षात्मक रिफ्लेक्स है। इस प्रक्रिया के पीछे वैज्ञानिक कारण और शरीर की सुरक्षा की पूरी कहानी छिपी है।

छींक क्यों आती है?
छींक एक प्राकृतिक रिफ्लेक्स है जो तब होता है जब नाक या श्वसन तंत्र में धूल, एलर्जी, बैक्टीरिया या कोई अन्य बाहरी कण प्रवेश करता है। शरीर इन अवांछित कणों को बाहर निकालने के लिए तेज हवा का प्रेशर पैदा करता है, जिसे नाक और मुंह के जरिए बाहर छोड़ा जाता है। इस दौरान हमारी आंखें अपने आप बंद हो जाती हैं।


क्या आंखें खुली रहने पर खतरा है?
लोगों में एक पुराना मिथक है कि छींकते समय आंखें खुली रहने पर पुतलियां बाहर निकल सकती हैं। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा कभी नहीं होता। छींक के दौरान आंखों का बंद होना सिर्फ एक सुरक्षा उपाय है, जिससे आंखें तेज हवा और माइक्रोब्स से बची रहें।


आंखें बंद होने का वैज्ञानिक कारण
छींकते समय मुंह और नाक से निकलने वाले कण आंखों के संवेदनशील हिस्सों तक पहुँच सकते हैं। इसलिए शरीर अपने आप आंखों को बंद कर देता है। यह protective reflex हमें संभावित संक्रमण और बीमारी से बचाता है।


ट्राइजेमिनल नस का रोल
विशेषज्ञ बताते हैं कि ट्राइजेमिनल नस छींक के दौरान आंखें बंद होने में प्रमुख भूमिका निभाती है। यह नस चेहरे, आंख, नाक, मुंह और जबड़ों को नियंत्रित करती है। जब दिमाग छींकने का आदेश देता है, तो यह नस तुरंत आंखों की मांसपेशियों को बंद कर देती है। यही कारण है कि छींकते समय आंखें खोलना लगभग असंभव होता है।


छींक को रोकना है नुकसानदायक
कुछ लोग छींक को रोकने की कोशिश करते हैं, लेकिन यह शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। इससे नाक, कान और आंखों पर दबाव पड़ता है, और कभी-कभी ब्लड वेसल्स भी प्रभावित हो सकती हैं। इसलिए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि छींक को प्राकृतिक रूप से आने दें।

 


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Content Editor

Mansa Devi

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