Vande Bharat Train: पथराव करने वालों की अब खैर नहीं, रेलवे ने उठाया बड़ा कदम
punjabkesari.in Monday, Sep 09, 2024 - 09:34 PM (IST)
नेशनल डेस्क : वंदे भारत ट्रेन इन दिनों यात्रियों के बीच बहुत ही लोकप्रिय हो गई है और इसे काफी पसंद किया जा रहा है। यह ट्रेन कई राज्यों में चल रही है और विभिन्न जिलों को जोड़ रही है। लेकिन हाल ही में, इन ट्रेनों पर पत्थरबाजी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में दो जगहों पर पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आईं। इन घटनाओं में पत्थर ट्रेन के शीशे पर फेंके गए। रेलवे ने पत्थरबाजी की घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब तक, रेलवे ने 150 से अधिक लोगों को पकड़ा है और उनके खिलाफ कार्रवाई की है। रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 151 के तहत दोषियों को पांच साल तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है।
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रेलवे का नुकसान और उसकी कोशिशें
आपको बता दें कि वर्तमान में देश में 102 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं जो 100 रूटों पर दौड़ती हैं और 280 से अधिक जिलों को जोड़ती हैं। इन ट्रेनों पर पत्थरबाजी की कई घटनाएं हो चुकी हैं, और रेलवे ने उन रूटों को चिन्हित किया है जहां बार-बार पत्थरबाजी की घटनाएं होती हैं। ज्यादातर घटनाएं ग्रामीण इलाकों में हुई हैं। हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2023 तक केवल पत्थरबाजी के कारण रेलवे को लगभग 56 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। इसके अतिरिक्त, हर साल 15 लाख रुपये पत्थरबाजी से टूटे शीशों की मरम्मत में खर्च होते हैं। अब तक कुल मिलाकर रेलवे को करीब 70 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है।
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रेलवे की कार्रवाई और प्रयास
रेलवे ने पत्थरबाजी की घटनाओं को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब तक, रेलवे ने 150 से अधिक लोगों को पकड़ा है और उनके खिलाफ कार्रवाई की है। रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 151 के तहत दोषियों को पांच साल तक की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है।
घटनाओं को रोकने के लिए उठाए गए कदम
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रेलवे ने पत्थरबाजी की घटनाओं को कम करने के लिए कुछ इस तरह के कदम उठाए हैं:
- ब्लैक स्पॉट की पहचान: रेलवे ने उन रूटों को चिन्हित किया है जहां पत्थरबाजी की घटनाएं बार-बार हो रही हैं।
- गश्त और निगरानी: इन ब्लैक स्पॉट्स पर नियमित रूप से गश्त की जाती है।
- असामाजिक तत्वों के खिलाफ अभियान: प्रभावित क्षेत्रों में शराबी और शरारती तत्वों के खिलाफ अभियान चलाया जाता है और पकड़े गए व्यक्तियों पर मुकदमा चलाया जाता है।
इन प्रयासों के बावजूद, पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी नहीं आई है और रेलवे लगातार इन मुद्दों को सुलझाने के लिए काम कर रहा है।