हथियारों के विवादित सौदेबाज ने वाड्रा के लिए विदेश में खरीदा बेनामी घर!

punjabkesari.in Monday, May 30, 2016 - 07:50 PM (IST)

नई दिल्ली : ताजा विधानसभा चुनावों में हार का टीस झेल रही कांग्रेस के लिए एक और बुरी खबर है। वित्त मंत्रालय उस जांच रिपोर्ट की समीक्षा कर रहा है जिसके मुताबिक, 2009 में हथियारों के एक विवादित सौदेबाज ने लंदन में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को बेनामी घर खरीद कर दिया। इस जांच में उन ई-मेलों का हवाला भी है, जिसे कथित तौर पर रॉबर्ट वाड्रा और उनके सहयोगी मनोज अरोड़ा ने भेजा था।

ईमेल के जरिये सामने आई जानकारी
पिछले महीने एनफोर्समेंट एजेंसियों ने भंडारी के 18 ठिकानों पर छापा मारा था। कर अधिकारियों और एनफोर्समेंट विभाग द्वारा इन छापों के बाद दो जांच रिपोर्ट तैयार की गईं। एनडीटीवी को मिली इन रिपोर्टों के अनुसार, कथित तौर पर रॉबर्ट वाड्रा और उनके सहयोगी मनोज अरोड़ा ने कई ईमेल भेजे जिसमें लेन-देन और लंदन के घर के रेनोवेशन से जुड़ी बातें हैं। 12 एल्लर्टन हाउस, ब्रायंस्टन स्क्वायर पर स्थित इस घर को 19 लाख पाउंड यानी करीब 19 करोड़ रुपये में खरीदा गया। ऐसा आरोप है, यह सौदा अक्टूबर 2009 में हुआ और जून 2010 में इसे बेच दिया गया।

जब रॉबर्ट वाड्रा से इस संबंध में चार दिन पहले सवाल किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन उनके वकील ने एक टीवी चैनल के ईमेल के जरिए सोमवार को जवाब भेजा है। वाड्रा के वकील ने कहा है कि वाड्रा किसी भी प्रकार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उल्लेख की गई संपत्ति 12, एल्लरटन हाउस, ब्रायनस्टन स्क्वायर, लंदन से जुड़े हुए नहीं है। यह भी कहा है कि वाड्रा और उनके सहयोगी संजय भंडारी  किसी भी प्रकार के वित्तीय लेन-देन से जुड़े नहीं हैं। वे यह भी नहीं जानते हैं कि संजय भंडारी किसी भी प्रकार की रक्षा डील से जुड़े हैं।

अलग-अलग प्राथमिक रिपोट्र्स के मुताबिक, रॉबर्ट वाड्रा और उनके असिस्टेंट मनोज अरोड़ा के ईमेल भंडारी के लंदन के एक रिश्तेदार सुमित चड्ढा को भेजे गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक, एक ई-मेल की तारीख 4.04.2010 है, जिसमें सुमित चड्ढा रिनोवेशन और रिपेयर के काम की प्रोग्रेस के बारे में रॉबर्ट वाड्रा को बता रहे हैं। साथ ही वह खर्चों की अदायगी के बारे में भी पूछ रहे हैं।

मेल पर रॉबर्ट का जवाब भी दर्ज
रिपोर्ट में इन मेल्स पर चड्ढा को दिया गया वाड्रा का जवाब भी दर्ज है, जिसमें कहा गया है, वह इस मामले को देखेंगे। वह यह भी कह रहे हैं कि उनका सेक्रेटरी मनोज इस मामले पर संपर्क में रहेगा। इसके बाद रिपोर्ट कह रही है कि- इसी के मुताबिक मनोज सुमित चड्ढा से श्व3द्बद्व क्रद्गड्डद्य श्वह्यह्लड्डह्लद्ग नामक ई-मेल आईडी के जरिए संपर्क में रहे। इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया ह्व2 कि ई-मेल में संपत्ति के रिडेकोरेशन तक की बात का जिक्र है।

कौन है भंडारी
बता दें कि भंडारी ऑफसेट इंडिया सॉल्यूशंस (ओआईएस) कंपनी के मालिक हैं। मोदी सरकार के सत्ता में आने खुफिया ब्यूरो की रिपोर्ट ने 2014 में उनसे संबंधित डील पर सवाल उठाए और रक्षा मंत्रालय को भंडारी से दूरी बनाए रखने की सलाह दी। मात्र एक लाख रुपए की प्रदत्त पूंजी (पेड-अप कैपिटल) के साथ भंडारी ने 2008 में ओआईएस बनाई थी। इसका बहुत तेजी से कई करोड़ का वेंचर बन जाने से वित्तीय अपराध जांचकर्ताओं का ध्यान इसकी ओर खिंचा था। उनकी अब 35 संदिग्ध शेल कंपनियों से जुड़े वित्तीय मामलों से संबंधित उल्लंघनों में जांच की जा रही है जोकि 2009 से 2014 के बीच के हैं। हाल ही में, ओआईएस ने 38 कॉम्बेट एयरक्राफ्ट के पाट्र्स की सप्लाई की एक डील हासिल की है। ये पाट्र्स भारत डेजॉल्ट एविएशन से खरीद रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, संजय भंडारी से साफ पूछा गया है कि ब्रायनस्टन स्क्वायर में संपत्ति की खरीद बिक्री से रॉबर्ट वाड्रा का क्या लेना-देना है? इस बात पर उन्होंने सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा कि लंदन में उनके वकील के पास सेल डीड से जुड़े कागजात हैं।

जांच के दौरान नष्ट करना चाहा फोन
जांचकर्ताओं का कहना है, भंडारी ने रेड के दौरान ब्लैकबेरी फोन को नष्ट करने की कोशिश भी की। हालांकि वे लोग उनके फोन और कंप्यूटर्स से डाटा रिकवर करने में सफल रहे। भंडारी के जनसंपर्क कार्यालय ने विस्तृत प्रश्नावली भेजने के लिए कहा, जो उन्हें भेजा भी गया, लेकिन उन्होंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। इस मामले पर कमेंट करने का लिखित निवेदन करने के बावजूद वाड्रा के असिस्टेंट अरोड़ा ने यह खबर छापे जाने तक कोई जवाब नहीं दिया है।

चौंकाने वाला, आश्चर्यजनक नहीं : किरीट सोमैया
बीजेपी सांसद किरीट सोमैया ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए एक टीवी चैनल से कहा कि यह चौंकाने वाला तो है, लेकिन इसमें आश्चर्यजनक कुछ भी नहीं है। मैं ईडी, आयकर विभाग से आग्रह करूंगा कि वह कथित संपत्ति और पूरे में मामले में वित्तीय अनियमित्ता या अपारदर्शिता की जांच करें।

 

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