यूक्रेन का बड़ा आरोप: रूसी युद्ध में इस्तेमाल हो रहे भारत के इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स, मोदी सरकार ने दिया सटीक जवाब
punjabkesari.in Tuesday, Aug 05, 2025 - 01:14 PM (IST)

International Desk: रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहले से ही तनाव का माहौल है, लेकिन अब इस जंग में भारत का नाम भी अप्रत्यक्ष रूप से घसीटा जा रहा है। यूक्रेन ने भारत पर यह आरोप लगाया है कि रूस द्वारा उसकी धरती पर किए जा रहे हमलों में जिन ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है, उनमें **भारतीय इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे लगे हैं। यह मुद्दा अब कूटनीतिक स्तर पर गंभीर रूप ले चुका है और **यूक्रेन ने दो बार भारत सरकार के सामने औपचारिक रूप से इस पर आपत्ति जताई है।
क्या है पूरा मामला?
यूक्रेन का कहना है कि रूस की सेना ईरानी डिजाइन वाले शहीद ड्रोन (Shahed drones) का युद्ध में इस्तेमाल कर रही है। इन ड्रोन को यूक्रेनी रडारों से बचने, और सटीक हमले करने के लिए जाना जाता है। ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन ड्रोन की जांच के दौरान भारतीय कंपनियों के बनाए इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स पाए गए हैं। यह मुद्दा इतना संवेदनशील बन गया है कि यूक्रेनी अधिकारियों और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों ने जुलाई 2025 में नई दिल्ली पहुंचकर भारत सरकार से इस बारे में सीधा संवाद किया।
दो भारतीय कंपनियों के नाम सामने आए
यूक्रेन की जांच में दो भारतीय कंपनियों के नाम सामने आए हैं। विशाय इंटरटेक्नोलॉजी (Vishay Intertechnology) और ऑरा सेमीकंडक्टर (Aura Semiconductor)। यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि इन कंपनियों के बनाए गए इलेक्ट्रॉनिक टूल्स और चिप्स रूसी ड्रोन में उपयोग किए जा रहे हैं, चाहे वे भारत में असेंबल किए गए हों या कहीं और। यूक्रेनी अधिकारियों ने जगह-जगह गिराए गए रूसी ड्रोन के मलबे की फॉरेंसिक जांच की, जिनमें इस्तेमाल हुए कंपोनेंट्स की मैन्युफैक्चरिंग डिटेल्स ट्रेस की गईं। कई कंपोनेंट्स पर "Made in India" की स्पष्ट जानकारी थी। इसके आधार पर यूक्रेन ने भारत के विदेश मंत्रालय से संपर्क कर इस पर गंभीरता से कार्रवाई की मांग की।
भारत सरकार का जवाब
मोदी सरकार ने इन आरोपों पर कहा कि भारत की निर्यात नीतियां पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय समझौतों, विशेष रूप से परमाणु अप्रसार और दोहरे उपयोग वाले उत्पादों के नियंत्रण से जुड़ी जिम्मेदारियों के तहत आती हैं। भारत का कहना है कि जो भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद अन्य देशों को भेजे जाते हैं, वे पूरी तरह से कानूनी और नियामक ढांचे के अंतर्गत आते हैं। यह भी स्पष्ट किया गया कि इन पुर्जों का रूस तक पहुंचने का मतलब यह नहीं कि भारत सरकार ने उनकी आपूर्ति को अनुमति दी थी । यह संभव है कि वे पुर्जे तीसरे देशों के ज़रिए रूस तक पहुंचे हों।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
यह मामला अब यूरोपीय संघ की निगरानी में भी आ गया है। ईयू के प्रतिबंध मामलों के दूत डेविड ओ सुलिवन (David O'Sullivan) ने नई दिल्ली में यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल के साथ मिलकर भारत से इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करने की अपील की है।