Blood cancer symptoms: अब खून की एक साधारण जांच से कैंसर को 10 साल पहले पकड़ा जा सकेगा!

punjabkesari.in Wednesday, Sep 10, 2025 - 02:04 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क:  कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का इलाज तभी ज्यादा कारगर होता है जब उसका पता शुरुआती चरण में चल जाए। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा ब्लड टेस्ट विकसित किया है जो सिर और गर्दन के एचपीवी (HPV) से जुड़े कैंसर का पता लक्षणों के प्रकट होने से करीब 10 साल पहले ही लगा सकता है। 

अमेरिका में मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) से होने वाले सिर और गर्दन के कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। यह वायरस अब इस क्षेत्र के कैंसर का सबसे बड़ा कारण बन चुका है। खास बात यह है कि इस प्रकार के कैंसर की समय से पहचान के लिए अभी तक कोई प्रभावी स्क्रीनिंग टेस्ट उपलब्ध नहीं है, जिससे मरीज अक्सर तब डॉक्टर के पास आते हैं जब बीमारी काफी बढ़ चुकी होती है और लिम्फ नोड्स तक फैल चुकी होती है। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए मास जनरल ब्रिघम के शोधकर्ताओं ने एक बेहद अहम और क्रांतिकारी ब्लड टेस्ट विकसित किया है, जो बिना लक्षण प्रकट हुए लगभग एक दशक पहले ही इस कैंसर की पहचान कर सकता है।

एचपीवी-डीपसीक: एक सटीक और आसान रक्त परीक्षण

इस नए परीक्षण का नाम है HPV-DeepSeek, जो एक लिक्विड बायोप्सी तकनीक पर आधारित है। यह टेस्ट खून में मौजूद एचपीवी से संबंधित कैंसर डीएनए के छोटे-छोटे टुकड़ों को पकड़ कर बीमारी का पता लगाता है। आधुनिक जीनोम सीक्वेंसिंग तकनीक के जरिए यह टेस्ट 99% तक सही परिणाम देता है और पुराने तरीकों की तुलना में कहीं अधिक विश्वसनीय साबित हुआ है।

शुरुआती पहचान से बेहतर इलाज और अधिक जीवन गुणवत्ता

मास जनरल ब्रिघम हेल्थकेयर सिस्टम के सिर और गर्दन के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. डैनियल एल. फेडेन का कहना है कि ज्यादातर मरीज तब उपचार के लिए आते हैं जब कैंसर बहुत बढ़ चुका होता है, जिससे उन्हें जटिल और कष्टदायक उपचार करवाने पड़ते हैं। HPV-DeepSeek टेस्ट के जरिए कैंसर का पता बहुत पहले चल जाएगा, जिससे मरीजों को कम घातक और अधिक सफल इलाज के विकल्प मिलेंगे। इससे उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार होगा और इलाज के बाद की समस्याएं कम होंगी।

स्टडी के रिजल्ट शानदार

शोध में मास जनरल ब्रिघम बायोबैंक के 56 रक्त नमूनों की जांच की गई। इनमें से 28 नमूने उन लोगों के थे जिन्हें बाद में एचपीवी से जुड़ा सिर और गर्दन का कैंसर हुआ था, जबकि बाकी 28 स्वस्थ व्यक्तियों के थे। टेस्ट ने उन 28 कैंसर मरीजों में से 22 में पहले ही एचपीवी डीएनए को पकड़ लिया, जबकि स्वस्थ लोगों के नमूनों में यह डीएनए नहीं पाया गया। सबसे खास बात यह रही कि यह पहचान औसतन लगभग 7.8 साल पहले की गई। मशीन लर्निंग तकनीक का इस्तेमाल कर इस टेस्ट को और बेहतर बनाया गया, जिससे 10 साल पहले लिए गए नमूनों में भी 27 में से 28 मामलों में सही पहचान हुई।

 


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Content Writer

Anu Malhotra

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