ईरान पर अमरीकी प्रतिबंध ने बढ़ाई मोदी सरकार की टेंशन
punjabkesari.in Thursday, Jul 19, 2018 - 12:45 PM (IST)
इंटरनैशनल डेस्क: ईरान से तेल खरीद पर अमरीकी प्रतिबंध के बाद मोदी सरकार इस बात को लेकर असमंजस में है कि तेल ईरान से खरीदें या अमरीका से। यदि भारत ईरान के साथ तेल की खरीद में कमी करता है तो अमरीका के साथ उसके व्यापारिक संबध में सुधार आएगी लेकिन इसके साथ हीं भारत को सस्ता तेल नहीं मिल पाएगा और कीमती विदेशी मुद्रा भंडार का भी नुकसान होगा। वैसे इस साल मार्च तक भारत ने ईरान से 9 अरब डॉलर के कच्चे तेल का आयात किया।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत पहले ही अमरीका से बड़े पैमाने पर कच्चे तेल की खरीद कर रहा है। यदि भारत ने ईरान से तेल की खरीद कम की तो तेल आयात का परिवहन लागत बढ़ेगी और भारत पर लागत का अधिक बोझ आएगा। इसके अलावा सबसे लंबे समय तक के लिए क्रेडिट पीरियड की सुविधा भी भारत खो देगा। हालांकि अमरीका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के बीच इसका एक लाभ यह होगा कि अमरीका के साथ भारत के व्यापारिक संबंध में सुधार आएगी और भारत को ईस्पात, अल्युमिनियम जैसे कुछ उत्पादों पर अमरीकी शुल्क में छूट मिल सकती है।
विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में ईरान पर लागू होने वाले प्रतिबंध से अमरीका को भारत में अपना अधिक तेल भेजने का सुनहरा मौका मिलेगा। महीना दर महीना अमरीका से कच्चे तेल के आयात में करीब 800 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और मई महीने में यह 4.72 मिलियन बैरेल हो गया, जो साल 2015 से हुए आयात में सबसे अधिक है। हालांकि, अमरीका से तेल आयात की एक सीमा भी है क्योंकि उसके पास अभी केवल एक निर्यात टर्मिनल है, जिससे एशियाई देशों को 2 मिलियन बैरल भेजा जा सकता है।
लंदन स्थित इंटरफैक्स एनर्जी में सीनियर एनर्जी एनालिस्ट अभिषेक कुमार ने कहा, 'आने वाले दिनों में ईरान पर लागू होने वाले प्रतिबंध से भारत में अमेरिकी तेल के कमर्शनलाइजेशन का सुनहरा मौका होगा।' इसके अलावा अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापारिक तनाव भी भारत में अमेरिकी तेल के आयात को बढ़ाने का काम करेगा। ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद से ही भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए तमाम तरह के विकल्पों पर विचार कर रहा है।
ट्रंप की रणनीति से ईरान और चीन पर होंगे क्या असर
अमेरिकी फैसले के चलते भारत की ओर से ईरान से कच्चे तेल की खरीद में कमी की जा सकती है। हाल ही में अमेरिका ने ईरान का समर्थन करने को लेकर यूरोप को नसीहत दी थी। ईरान ने अमेरिका से अपील की है कि वह अपने ऑइल रिजर्व का इस्तेमाल न करे। यदि कच्चे तेल की सप्लाई में इजाफा होता है तो फिर कीमतें काफी नीचे आ सकती हैं।