जम्मू-कश्मीरः शोपियां में हुआ 19 साल पहले हुआ था कश्मीर पंडितों का नरसंहार, हाईकोर्ट अब करेगा सुनवाई

punjabkesari.in Saturday, Oct 29, 2022 - 05:50 PM (IST)

नेशनल डेस्कः जम्मू कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने 2003 में नदिमर्ग कश्मीरी पंडित नरसंहार मामले में जम्मू कश्मीर पुलिस की पुनरीक्षण याचिका शनिवार को मंजूर कर ली। जस्टिस विनोद चटर्जी कौल ने पुनरीक्षण याचिका को मंजूरी देते हुए इस मामले में नौ फरवरी 2011 के पारित आदेश को रद्द किये जाने के आदेश दिये। इसके साथ ही अभियोजन पक्ष द्वारा इस मामले में गवाहों की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करने के आवेदन को भी अनुमति दी गयी है।

आदेश के तहत निचली अदालत (प्रधान सत्र न्यायाधीश, शोपियां की अदालत) अब संबंधित गवाहों की परीक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी और मामले के निपटारे के लिए त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करेगी। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को आदेश दिया है कि मामले की जल्द से जल्द कार्यवाही सुनिश्चित करे ताकि इसका निपटारा जल्द से जल्द किया जा सके। इस आदेश के साथ ही 2011 में रोके गए नदीमर्ग कश्मीरी पंडित नरसंहार मामले की सुनवाई 11 साल बाद फिर से शुरू हो सकेगी।

शोपियां जिले के नदिमर्ग गांव में 23 मार्च 2003 को आतंकवादियों ने 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी थी जिसमें 11 पुरुष, 11 महिलाएं और दो बच्चे शामिल थे। नदिमर्ग हत्याकांड मामले का मुख्य आरोपी और पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी जिया मुस्तफा 24 अक्टूबर, 2021 को जम्मू क्षेत्र के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा के पास मारा गया था।

मुस्तफा ने पिछले 18 साल जेल में बिताए थे और 2018 में उसे जम्मू की कोट भलवाल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था। पिछले साल अक्टूबर में मुस्तफा को एक आतंकवादी ठिकाने की पहचान करने में सुरक्षा बलों की मदद के लिए 10 दिन की रिमांड पर मेंढर लाया गया था।       

पुलिस के अनुसार पुलिस बल के ठिकाने के नजदीक पहुंचने पर घुसपैठियों ने गोलियां चलाईं, जिसमें दो पुलिसकर्मी, एक जवान और मुस्तफा घायल हो गए। मुस्तफा की बाद में मृत्यु हो गई थी। 18 अप्रैल 2003 को नरसंहार के मामले में आरोपी तीन अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी दक्षिण कश्मीर में एक मुठभेड़ में मारे गए थे। उन्होंने बताया कि सात आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ शुरू में प्रधान सत्र न्यायाधीश, पुलवामा की अदालत के समक्ष चालान दायर किया गया था। बाद में मामला शोपियां के प्रधान सत्र न्यायाधीश की अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया। कुछ गवाहों के घाटी छोड़ने के बाद मामले को बंद कर दिया गया था।

 


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Content Writer

Yaspal

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