आम जनता को मिलेगी राहत! पैरासिटामोल समेत इन जरूरी दवाओं की सरकार ने तय की कीमत, देखें पूरी लिस्ट
punjabkesari.in Friday, Aug 08, 2025 - 06:04 PM (IST)

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार ने आम जनता को राहत देते हुए चार आपातकालीन (इमरजेंसी) इस्तेमाल की दवाओं और 37 अन्य जरूरी दवाओं की अधिकतम खुदरा कीमत (सीलिंग प्राइस) तय कर दी है। इनमें संक्रमण, हृदय रोग, सूजन, मधुमेह और विटामिन की कमी के इलाज में काम आने वाली दवाएं शामिल हैं। यह फैसला राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) द्वारा लिया गया है।
इन दवाओं की तय हुई कीमतें
इप्राट्रोपियम: यह दवा क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) से पीड़ित लोगों को सांस लेने में तकलीफ, खांसी और सीने में जकड़न से राहत देने के लिए दी जाती है। इसकी अधिकतम कीमत 2.96 रुपये प्रति मिलीलीटर तय की गई है।
सोडियम नाइट्रोप्रसाइड: इसका उपयोग उच्च रक्तचाप की आपात स्थितियों, सर्जरी के दौरान रक्तस्राव कम करने और तीव्र हृदय विफलता में किया जाता है। इसकी कीमत 28.99 रुपये प्रति मिलीलीटर तय की गई है।
डिल्टियाजेम: यह दवा उच्च रक्तचाप और सीने में दर्द (एंजाइना) के इलाज में दी जाती है। इसकी अधिकतम कीमत 26.72 रुपये प्रति कैप्सूल निर्धारित की गई है।
पॉविडोन आयोडीन: यह दवा सर्जरी से पहले और बाद में त्वचा की सफाई और मामूली घावों की देखभाल में उपयोग की जाती है। इसकी कीमत 6.26 रुपये प्रति ग्राम तय की गई है।
इन दवाओं पर भी पड़ा असर
इसके अलावा जिन 37 दवाओं की कीमतें तय की गई हैं, उनमें पैरासिटामोल, एटोरवास्टेटिन, एमोक्सिसिलिन, मेटफॉर्मिन जैसी आमतौर पर उपयोग होने वाली दवाएं शामिल हैं। इनमें एसिक्लोफेनाक-पैरासिटामोल-ट्रिप्सिन काइमोट्रिप्सिन और एटोरवास्टेटिन 40mg और क्लोपिडोग्रेल 75mg जैसे संयोजन भी शामिल हैं, जो सूजन और हृदय रोगों के इलाज में उपयोग किए जाते हैं।
कंपनियों को कीमत घटानी होगी
NPPA ने साफ कहा है कि किसी भी ब्रांडेड या जेनेरिक दवा की कीमत सीलिंग प्राइस (GST सहित) से अधिक नहीं हो सकती। जिन कंपनियों की दवाओं की मौजूदा कीमत तय कीमत से अधिक है, उन्हें अपनी कीमतें घटानी होंगी। हालांकि जिनकी कीमत पहले से कम है, वे मौजूदा कीमत जारी रख सकते हैं।
खुदरा विक्रेताओं के लिए निर्देश
NPPA ने सभी खुदरा विक्रेताओं और डीलरों को निर्देश दिया है कि वे नई कीमतों को दुकानों पर प्रमुखता से प्रदर्शित करें। अगर कोई निर्माता या विक्रेता इन निर्देशों का पालन नहीं करता, तो उसके खिलाफ डीपीसीओ (DPCO) और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें ब्याज सहित अधिक वसूली गई राशि की वापसी भी शामिल है।