मिस्त्री बनाम रतन टाटा: साल की सबसे चर्चित कारपोरेट लड़ाई

punjabkesari.in Wednesday, Dec 28, 2016 - 04:24 PM (IST)

नई दिल्ली: कंपनियों में स्वामित्व को लेकर लड़ाई कोई नयी बात नहीं है लेकिन इस साल देश के सबसे प्रमुख व प्रतिष्ठित औद्योगिक घरानों में से एक टाटा समूह में बोर्ड रूम की लड़ाई एक तरह से स्तब्धकारी रही। समूह की बागडोर को लेकर इसके दो दिग्गजों साइरस मिस्त्री और रतन टाटा के बीच तनातनी के बीच मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया गया है और वे कानूनी लड़ाई पर उतर आए हैं।  सार घटनाक्रम साल के आखिरी दो महीनों में अचानक ही हुआ। टाटा समूह के मुख्यालय बांबे हाउस में 24 अक्तूबर 2016 को मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन से चलता करने की घोषणा की गई। पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को मिस्त्री की जगह अंतरिम चेयरमैन के रूप में एक बार फिर समूह की बागडोर फिर संभलवाई दी गई।  
 

 इसके साथ ही मिस्त्री व रतन टाटा खेमे में जो जुबानी जंग शुरू हुई उसकी शायद ही कल्पना रही हो।  टाटा (79) दिसंबर 2012 में टाटा संस के चेयरमैन पद से सेवानिवृत्त हुए। वहीं उनके उत्तराधिकारी मिस्त्री (48) को इस अप्रत्याशित घटना से पहले तक लंबी रेस का घोड़ा कहा जा रहा था। विश्लेषकों का मानना है कि टाटा समूह की यह लड़ाई व्यक्तिगत कुंठाआें और महत्वाकांक्षाओं के टकराव के साथ साथ यह भी था कि समूह की असली ताकत किसके हाथ रहेगी। वहीं बाहरी लोगों का कहना है कि यह लड़ाई पुरानी व नयी पीढी की सोच की लड़ाई भी कही जा सकती है। नीय पीढी जहां परंपराआें को साथ रखते हुए चलना चाहती है वहीं नयी पीढी तात्कालिक समस्याआें के समाधान के लिए आधुनिक उपाय अपनाते हुए समय के साथ कदम मिलाने की अभिलाषा रखती है। 
 

 मिस्त्री को हटाने के कारणों पर रोशनी डालते हुए रतन टाटा ने शेयरधारकों से कहा,‘टाटा संस के बोर्ड का मिस्त्री में भरोसा नहीं रहा कि वे भविष्य में समूह का नेतृत्व कर पाएंगे।’  इसके साथ ही टाटा ने कहा कि भविष्य में टाटा समूह की सफलता के लिए मिस्त्री को हटाना ‘बहुत जरूरी’ था।  खैर दोनों पक्षों में जारी जुबानी जंग के बीच टीसीएस व टाटा स्टील के चेयरमैन पद से मिस्त्री को हटा दिया। टाटा संस ने समूह की अन्य कंपनियों के निदेश मंडल से मिस्त्री को हटाने के लिए भी पहल कर दी जिनमें टाटा मोटर्स, इंडियन होटल्स, टाटा केमिकल्स, टाटा पावर आदि शामिल है। 

 मिस्त्री इन कंपनियों की असाधारण आम बैठक में शमिल होने के बजाय निदेशक पद से हट गए। अब मिस्त्री ने राष्ट्रीय कंपनी लॉ न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया और रतन टाटा, टाटा संस व कुछ अन्य निदेशकों पर अल्पसंख्या शेयरधारकों के हितों के कुप्रबंधन सहित अनेक आरोप लगाए। इसकी काट में टाटा खेमे ने मिस्त्री पर कंपनी की संवेदनशील सूचनाएं सार्वजनिक करने का आरोप लगाया है।  विश्लेषकों का कहना है कि यह लड़ाई तो अभी शुरू हुई है जिसके नये साल में भी जारी रहने की संभावना है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News