हैदराबाद में पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, तेलंगाना सरकार को फटकार

punjabkesari.in Wednesday, Apr 16, 2025 - 05:00 PM (IST)

नेशनल डेस्क: हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली वन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर की गई पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराज़गी जताई। पर्यावरण और जैव विविधता पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसकी प्राथमिकता 100 एकड़ जंगल की बहाली है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक इस क्षेत्र में एक भी पेड़ नहीं काटा जाए।

बिना अनुमति कटाई पर तेलंगाना सरकार को फटकार

सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं, ने पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को लेकर तेलंगाना सरकार से तीखे सवाल पूछे। कोर्ट ने कहा कि सरकार को पेड़ काटने से पहले उचित अनुमति लेनी चाहिए थी। बिना अनुमति इस तरह की गतिविधि न केवल अवैध है बल्कि यह पर्यावरणीय कानूनों की भी अवहेलना है।

"जंगल को बहाल करना सर्वोच्च प्राथमिकता" – कोर्ट

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया कि 100 एकड़ जंगल की बहाली सर्वोच्च प्राथमिकता है। कोर्ट ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए आवश्यकता पड़ने पर परंपरागत कानूनों से हटकर भी निर्णय लिए जा सकते हैं। कोर्ट ने चेताया कि "कोई भी ऐसा कानून या आदेश जो सुप्रीम कोर्ट की दिशा-निर्देशों के विरुद्ध हो, मान्य नहीं होगा।"

वन्यजीवों के लिए जरूरी सुरक्षा उपायों के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो फुटेज का हवाला देते हुए कहा कि पेड़ों की कटाई से वन्यजीव बेघर हो गए हैं और आश्रय की तलाश में भटकते दिख रहे हैं। कोर्ट ने तेलंगाना के वन्यजीव वार्डन को निर्देश दिया कि वह तत्काल ऐसे कदम उठाएं जिससे इन जानवरों को सुरक्षित आश्रय मिल सके। कोर्ट ने कहा कि पेड़ों की कटाई से सिर्फ हरियाली ही नहीं जाती, बल्कि जीव-जंतुओं का जीवन भी खतरे में पड़ जाता है।

CEC की रिपोर्ट पर जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का समय

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को केंद्रीय पर्यावरण समिति (CEC) की रिपोर्ट पर जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस बीच कोई भी निर्माण या पेड़ कटाई की गतिविधि नहीं होनी चाहिए।

छात्रों के विरोध के बाद कोर्ट का संज्ञान

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने 400 एकड़ क्षेत्र को विकसित करने की राज्य सरकार की योजना का विरोध किया। छात्रों ने आरोप लगाया कि इससे कैंपस के आस-पास के प्राकृतिक जंगल और जैव विविधता को नुकसान पहुंचेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले का 3 अप्रैल को स्वतः संज्ञान लिया और मामले को गंभीर बताया।

अगली सुनवाई 15 मई को निर्धारित

कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 15 मई तय की है। तब तक के लिए सभी संबंधित गतिविधियों पर रोक लगाई गई है और कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यथास्थिति बनी रहनी चाहिए।

पर्यावरण की रक्षा सर्वोपरि

सुप्रीम कोर्ट का यह सख्त रुख यह दर्शाता है कि पर्यावरण और वन्यजीवों की रक्षा अब केवल सामाजिक विषय नहीं, बल्कि संवैधानिक और न्यायिक प्राथमिकता बन चुकी है। पेड़ों की अवैध कटाई पर कड़ा रुख अपनाकर अदालत ने एक मजबूत संदेश दिया है कि विकास की दौड़ में प्रकृति की अनदेखी नहीं की जा सकती। कोर्ट का यह फैसला न केवल तेलंगाना सरकार बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी और सबक है।


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News Editor

Rahul Rana

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