कोटा में छात्रों की आत्महत्याएं बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से पूछा - आप कर क्या रहे हैं?

punjabkesari.in Friday, May 23, 2025 - 04:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देश के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण हब कोटा से फिर एक चिंताजनक आंकड़ा सामने आया है। सिर्फ पांच महीनों में 14 छात्रों ने आत्महत्या कर ली है। यह आंकड़ा न सिर्फ माता-पिता को विचलित करता है बल्कि सुप्रीम कोर्ट को भी सोचने पर मजबूर कर रहा है। शुक्रवार 23 मई को सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को आड़े हाथों लिया और पूछा- आखिर बच्चों की जान क्यों जा रही है, आप इस पर कर क्या रहे हैं? राजस्थान के कोटा शहर में हो रहे आत्महत्या के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर नाराजगी जाहिर की है। अदालत ने कहा कि ये घटनाएं बेहद चिंताजनक हैं और राज्य सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने पूछा कि जब पांच महीने में 14 छात्र सुसाइड कर चुके हैं तो राज्य ने इस पर क्या कार्रवाई की है?

'कोटा ही क्यों?' कोर्ट ने उठाए अहम सवाल

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राजस्थान सरकार की तरफ से पेश वकील से तीखे सवाल पूछे। जस्टिस पारदीवाला ने पूछा, “आप एक राज्य के रूप में क्या कर रहे हैं? ये छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और केवल कोटा में ही क्यों? क्या आपने इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया?” राज्य सरकार के वकील ने बताया कि एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है लेकिन कोर्ट इसके जवाब से संतुष्ट नहीं हुई।
सुप्रीम कोर्ट की यह सख्त टिप्पणी उस समय आई जब वह आईआईटी खड़गपुर के एक छात्र की आत्महत्या के मामले की सुनवाई कर रही थी। 22 वर्षीय छात्र 4 मई को हॉस्टल के कमरे में फांसी के फंदे पर लटका हुआ मिला था, लेकिन एफआईआर चार दिन बाद दर्ज की गई। कोर्ट ने इस देरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह लापरवाही गंभीर है। कोर्ट ने कहा, “ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी नहीं होनी चाहिए।” 
सुनवाई के दौरान एक और मामला सामने आया, जिसमें नीट परीक्षा की तैयारी कर रही एक लड़की कोटा में अपने कमरे में मृत मिली थी। कोर्ट को बताया गया कि छात्रा अब संस्थान के हॉस्टल में नहीं रहती थी और अपने माता-पिता के साथ किराए के मकान में रह रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संस्थान इस आधार पर जिम्मेदारी से नहीं बच सकता।

सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट निर्देश, हल्के में न लें यह मामला

कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ कानूनी मामला नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी का विषय है। बच्चों की मानसिक स्थिति और शैक्षणिक दबाव को गंभीरता से समझना होगा। कोर्ट ने दो टूक कहा, “हम इस मामले में बहुत सख्त रुख अपना सकते थे। यदि अगली बार फिर से लापरवाही दिखी, तो जिम्मेदार अधिकारियों को तलब किया जाएगा।” गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च 2025 को एक अहम फैसला सुनाया था, जिसमें छात्रों की आत्महत्याओं को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय कार्य बल (National Task Force) के गठन की बात कही गई थी। इस टास्क फोर्स का उद्देश्य है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए और समय रहते तनाव के संकेतों को समझा जाए।

कोर्ट ने चेताया - अगर फैसले की अनदेखी की, तो मानी जाएगी अवमानना

कोर्ट ने राजस्थान सरकार से यह भी पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के मार्च वाले फैसले के बाद भी अब तक एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की गई? कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि इसके निर्देशों का पालन नहीं होता, तो इसे अवमानना माना जाएगा। कोर्ट ने कोटा केस में संबंधित पुलिस अधिकारी को 14 जुलाई 2025 को फिर से बुलाया है। अदालत ने स्पष्ट कहा है कि वह इस मामले में जांच की प्रगति की स्थिति को रिकॉर्ड पर देखना चाहती है।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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