Supreme Court का बड़ा सवाल - अपराधी सरकारी नौकरी नहीं कर सकता तो दोषी नेता चुनाव कैसे लड़ सकता है?
punjabkesari.in Tuesday, Feb 11, 2025 - 12:48 PM (IST)
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नेशनल डेस्क: देश में कई सांसद और विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस पर SC ने सवाल उठाया कि अगर किसी व्यक्ति को आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जाता है, तो वह कैसे संसद में वापस आ सकता है? यह सवाल सुप्रीम कोर्ट ने Sc के वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उठाया। याचिका में यह मांग की गई है कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों का जल्दी निपटारा किया जाए और दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने इस मामले पर भारत के अटॉर्नी जनरल से मदद मांगी है। उन्होंने केंद्र और चुनाव आयोग से तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।
SC ने उठाया सवाल-
कोर्ट ने यह सवाल उठाया कि जब किसी को दोषी ठहराया जाता है और उसकी सजा बरकरार रहती है, तो वह कैसे संसद या विधानमंडल में वापस आ सकता है? इसे लेकर उन्हें जवाब देना होगा। बेंच ने यह भी कहा कि इस मामले में हितों का टकराव भी है और सुप्रीम कोर्ट संबंधित कानूनों की समीक्षा करेगा। कोर्ट ने आगे कहा कि हमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 और 9 के बारे में सही जानकारी होनी चाहिए। अगर कोई सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता का दोषी पाया जाता है, तो उसे सेवा में काम करने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता, लेकिन वह मंत्री बन सकता है, यह एक अजीब बात है।
रिपोर्ट में खुलासा-
रिपोर्ट के मुताबिक, 543 लोकसभा सांसदों में से 251 पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इनमें से 170 सांसदों पर ऐसे अपराध हैं जिनमें 5 साल या उससे ज्यादा की सजा हो सकती है। इसके अलावा, कई विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ मामले चल रहे हैं, फिर भी वे विधायक बने हुए हैं।
कोर्ट ने यह निर्देश दिए कि चूंकि इस मामले पर पहले एक पूरी बेंच (तीन जजों) ने फैसला सुनाया था, इसलिए दो जजों की बेंच द्वारा इसे फिर से खोलना सही नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के सामने एक बड़ी बेंच को विचार करने के लिए भेजने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के न्याय मित्र, सीनियर वकील विजय हंसारिया ने बताया कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद, सांसदों और विधायकों के खिलाफ कई मामलों की सुनवाई अभी भी लंबित है।