Stray Dogs: भारत में रेबीज से हर दिन 58 मौतें, आधे मासूम बच्चे... WHO रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
punjabkesari.in Saturday, Aug 23, 2025 - 08:28 AM (IST)

नई दिल्ली: दुनिया तेजी से विज्ञान और तकनीक की ओर बढ़ रही है, लेकिन एक ऐसा जानलेवा वायरस है जो अब भी हज़ारों जिंदगियों को निगल रहा है – रेबीज (Rabies)। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की हालिया रिपोर्ट में सामने आया है कि हर साल दुनियाभर में करीब 59,000 लोग रेबीज के कारण अपनी जान गंवाते हैं, और चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 95% मौतें सिर्फ एशिया और अफ्रीका में होती हैं।
भारत बना दुनिया में रेबीज से मौतों का केंद्र
भारत इस वैश्विक संकट का सबसे बड़ा शिकार है। WHO के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 21,068 मौतें रेबीज से होती हैं, यानी औसतन हर दिन 58 लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। यह वैश्विक रेबीज मौतों का 36% हिस्सा है, जो इसे सबसे अधिक प्रभावित देश बनाता है।
कुत्तों से फैलने वाले रेबीज का खतरा सबसे ज्यादा
WHO की रिपोर्ट बताती है कि 99% रेबीज के मामले संक्रमित कुत्तों के काटने से होते हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित तबका ग्रामीण और गरीब आबादी है, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सीमित है। दुखद पहलू यह भी है कि रेबीज से होने वाली लगभग आधी मौतें 15 साल से कम उम्र के बच्चों की होती हैं।
एशिया में कुल मौतें और भारत की हिस्सेदारी
पूरे एशिया में हर साल अनुमानित 35,172 लोग रेबीज के चलते जान गंवाते हैं, और इसमें से 59.9% मौतें अकेले भारत में होती हैं। यानी भारत एशियाई रेबीज मामलों में भी शीर्ष पर है।
रेबीज से सुरक्षित देश
WHO का कहना है कि अमेरिका, कनाडा, जापान, पश्चिमी यूरोप और कुछ लैटिन अमेरिकी देशों में कुत्तों से फैलने वाले रेबीज का लगभग उन्मूलन हो चुका है। यहां प्रभावी वैक्सीनेशन और पशु नियंत्रण कार्यक्रमों के चलते यह बीमारी अब नियंत्रण में है।
क्या है रेबीज और कैसे फैलता है?
रेबीज एक वायरल बीमारी है जो जानवरों (विशेषकर कुत्तों) के काटने से इंसानों में फैलती है। एक बार लक्षण शुरू हो जाएं तो इसका इलाज संभव नहीं होता, और यह लगभग हमेशा जानलेवा साबित होती है। रेबीज के शुरुआती लक्षणों में बुखार, बेचैनी, जल का डर और मानसिक भ्रम शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: सिर्फ आक्रामक या रेबीज संक्रमित कुत्तों को रखा जाएगा शैल्टर में
रेबीज को लेकर देश में बढ़ती चिंताओं के बीच सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सड़कों पर घूम रहे कुत्तों को लेकर बड़ा आदेश जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि अब सिर्फ वही कुत्ते जिन्हें रेबीज ग्रस्त या आक्रामक माना गया है, उन्हें नगर निगम द्वारा बनाए गए शैल्टर होम्स में रखा जाएगा। बाकी सभी आवारा कुत्तों को नसबंदी, टीकाकरण और उपचार के बाद वहीं छोड़ा जाएगा जहां से उन्हें पकड़ा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि दिल्ली समेत देशभर में शैल्टर होम्स में पहले से रखे गए कुत्तों को नियमों के तहत छोड़ा जाए।
समाधान क्या है?
रेबीज को रोका जा सकता है, लेकिन इसके लिए समय पर वैक्सीनेशन, जागरूकता, और सख्त पशु नियंत्रण नीतियां जरूरी हैं। भारत को अगर इस बीमारी से लड़ना है, तो ग्रामीण क्षेत्रों में सुलभ स्वास्थ्य सुविधाओं, कुत्तों की नियमित वैक्सीनेशन, और लोगों में रेबीज के प्रति जागरूकता फैलाने पर जोर देना होगा।