इजराइल में भारतीय महाराजा की प्रतिमा का अनावरण, 1000 पोलिश बच्चों की बचाई थी जान ! अब मिला अमर सम्मान (Video)
punjabkesari.in Tuesday, Nov 11, 2025 - 07:27 PM (IST)
International Desk: इजराइल के नेवातिम में महाराजा दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी की प्रतिमा का अनावरण हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने लगभग 1,000 पोलिश बच्चों, जिनमें यहूदी भी थे, को शरण दी थी। भारतीय राजदूत जे. पी. सिंह और पोलिश राजदूत ने उन्हें ‘मानवता की मिसाल’ और ‘आशा की किरण’ बताया। महाराजा दिग्विजयसिंहजी रणजीतसिंहजी की प्रतिमा का अनावरण दक्षिणी ‘मोशाव' (किसानों का समुदाय) में किया गया। भारत में एक रियासत, नवानगर के महाराजा को युद्ध के दौरान उनकी ‘अनुकरणीय करुणा' के लिए सोमवार शाम को भारतीय यहूदी विरासत केंद्र (IJHC) और कोचीनी यहूदी विरासत केंद्र (CJHC) द्वारा सम्मानित किया गया। नवानगर को अब गुजरात राज्य में जामनगर के रूप में जाना जाता है।
A moving tribute at Moshav Nevatim 🇮🇳🤝🇮🇱
— India in Israel (@indemtel) November 11, 2025
The statue of Maharaja Jam Saheb of Nawanagar (Gujarat) was unveiled in Nevatim honouring his exemplary compassion during World War-II. He adopted hundreds of Polish children including Jewish children and built a home for them in 1942… pic.twitter.com/MLKg9satnk
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जब यूरोप संघर्ष और उत्पीड़न की आग में झुलस रहा था, तब महाराजा एक अप्रत्याशित रक्षक के रूप में उभरे और उन्होंने लगभग एक हजार पोलिश बच्चों को बचाया, जिनमें से कुछ यहूदी थे। उन्होंने इन बच्चों को गोद लिया और 1942 में जामनगर के बालाचडी गांव में उनके लिए आश्रय बनवाया, जिससे उन्हें युद्ध की भयावहता से बचाया जा सके। समारोह में उपस्थित इजराइल में भारत के राजदूत जे पी सिंह ने ‘‘महाराजा की करुणा'' को रेखांकित किया और उन्हें ‘आशा की किरण' बताया तथा याद दिलाया कि मानवता सभी सीमाओं से ऊपर उठती है। इजराइल में पोलैंड के राजदूत मैसीज हुनिया ने भी समारोह में भाग लिया और इसे ‘एक बहुत ही भावुक क्षण' बताया। पोलैंड के राजदूत ने बताया कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनके परिवार के कुछ सदस्यों को भी भयावह स्थिति का सामना करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि जब उनके देश के प्रधानमंत्री ने महाराजा से पूछा कि वे उनके इस महान कार्य के ऋण को कैसे चुका सकते हैं, तो उन्होंने कहा था कि स्वतंत्र पोलैंड के वारसॉ में एक सड़क का नाम उनके नाम पर रखा जाए। पोलिश राजदूत ने कहा, ‘‘आज न केवल उनके नाम पर एक चौक है, बल्कि पश्चिमी शहर में एक स्मारक और एक ट्राम का नाम भी उनके नाम पर रखा गया है।'' इस मौके पर दो प्रदर्शनी भी लगाई गईं, जिनमें नेहेमिया शाहफ द्वारा भारतीय यहूदी विरासत के चित्र तथा टिकजा लवी द्वारा ‘अंधेरे समय में प्रकाश की किरण' शीर्षक से एक अन्य प्रदर्शनी शामिल है।
