हिमाचल में रेप केस के आंकड़े हैरानी वाले, 98.9 प्रतिशत आरोपी अपने ही निकले
punjabkesari.in Saturday, Dec 16, 2023 - 10:48 AM (IST)
नेशनल डेस्क: पहाड़ी प्रदेश में अपने ही अपनों की अस्मत से खिलवाड़ कर रहे हैं। राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में राज्य में 359 दुराचार के मामले पंजीकृत हुए। खास खबर राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड व्यूरो की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में हिमाचल प्रदेश में लगभग 60 प्रतिशत बलात्कार पीड़िताएं नाबालिग थीं और 99 प्रतिशत मामलों में अपराध पीड़ितों के परिचित लोगों द्वारा किया था। रिपोर्ट के अनुसार 355 मामलों में अपराध पीड़ित के परिचित लोगों द्वारा किया गया था, जिसमें 221 ऑनलाइन मित्र व मित्र, 103 पारिवारिक मित्र या पड़ोसी और नियोक्ता और 31 परिवार के सदस्य शामिल थे। महिलाओं के विरुद्ध अपराध में 3 प्रतिशत की गिरावट आई। महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 2021 में 43.3 प्रतिशत से घटकर 2022 में 42.3 प्रतिशत हो गई।
12-16 वर्ष आयु वर्ग में सबसे अधिक बलात्कार पीड़िताएं
आंकड़ों से पता चला है 10 पीड़ित 6 साल से कम आयु की थीं। 22 की आयु 6 से 12 वर्ष के बीच थी वहीं 12-16 आयु के बीच 95 और 16 से 18 वर्ष के बीच 96 पीडिताएं रहीं। रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में 24 महिलाएं साइबर क्राइम से भी पीड़ित रहीं जिनमें से अधिकांश ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग तथा मॉफिंग का शिकार बनीं।
हर हाथ में मोबाइल- इंटरनैट के प्रभाव
बदलती हुई जीवन शैली, जीवन में सूचना तकनीक का बदलता स्वरूप, हर हाथ में मोबाइल से कई सामाजिक ताने-बाने भी बदलने लगे हैं। तेजी से उपलब्ध इंटरनेट ने लोगों के जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का प्रभाव छोड़ना शुरू किया है। खासकर बच्चे इससे प्रभावित होने लगे हैं। अनसेंसर्ड मैटीरियल ने छोटे बच्चों को काफी प्रभावित किया है। ओ.टी.टी. पर उपलब्ध सामग्री तो अश्लीलता, अभद्रता का अड्डा है। इस पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता है।
आश्चर्यचकित करने वाली 2 घटनाएं
प्रदेश के एक जिला में 2 घटनाओं ने आश्चर्यचकित किया। एक घटना में एक नाबालिग बच्ची को पेट दर्द के बाद जब डॉक्टर के पास ले जाया गया तो बच्ची प्रैग्नेंट निकली। जब पूछताछ हुई तो उसने खुलासा किया कि उसका सगा भाई ही उसके साथ संबंध बना रहा था। दोनों नावालिग थे और कोरोना के दौरान फोन पर स्टडी कर रहे थे। ऑनलाइन स्टडी के दौरान दोनों ने जो सामग्री देखी उसी का अनुसरण किया। एक मामले में एक ही स्कूल में पढ़ने वाले चचेरे भाई बहन के बीच संबंध बन गए। यह मध्यम वर्गीय परिवार था। दोनों को स्कूल से निकाल दिया गया।
क्या है ओ.टी.टी.
ओ.टी.टी. यानी 'ओवर दटॉप' होती है. अब बात करते हैं कि इसका मतलब क्या होता है? किसे ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म कहते हैं? दरअसल, ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म एक ऐसा प्लेटफॉर्म होता है, जो कुछ और प्लेटफॉर्म्स की मदद से आपके लिए फोन पर ही तमाम तरह की फिल्में, सीरीज और शो उपलब्ध कराता है। पांचवीं कक्षा से नीचे तक के सभी निजी तथा सरकारी स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों को अथॉरिटी की ओर से यह दिशा-निर्देश है कि वह बच्चों को गुड टच तथा बैड टच के संदर्भ में जानकारी दें। उन्होंने कहा कि माता-पिता की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए नियमों में बदलाव करना चाहिए ताकि दोषियों को सख्त और समयबद्ध तरीके से सजा मिले। ऐसे मामलों के जल्द निपटारे के लिए सरकार को विशेष अदालतों का गठन करना चाहिए और समाज को भी इसके प्रति जागरूक करवाने के लिए उचित कदम उताने चाहिए।
बच्चों को गुड टच, बैड टच के बारे बताएं
सुदर्शना/रक्षा कुल्लू में बाल अधिकारों के लिए काम कर तो स्वयंसेवी संगजन राभा एन. जी. ओ. की अध्यक्ष सुदर्शना ठाकुर कहती हैं कि हमें अपने बच्चों को समाज में व्याप्त हस बुराई के प्रति जागरूक कररा होगा। उन्हें गुड़ रच व बैंड उस के करे बताना होगा। उधर पालमपुर वूमेन वलयर एंड डिकेन्समैंट एसोसिएशन की संचालक रवा जायसवाल कहती हैं कि चच्चा पदि किसी फैमिली फ्रेंड या रिश्तेदार था घर पर आने वाले से मिलने से संकोच करता है या कंफर्टकल अनुभव नहीं करता है तो बच्चों से खुलकर बात करें तथा जानने का प्रयास करें कि बच्चा ऐसा क्यों कर रहा है। इसके माध्यम से भी च्या संकेत देता है कि उसके साथ कुछ गलत किया जा रहा है।