Star Health और Aditya Birla Health Insurance को उपभोक्ता आयोग से बड़ा झटका, पॉलिसीधारक का 50 लाख का क्लेम ठुकराया...
punjabkesari.in Wednesday, Oct 01, 2025 - 02:20 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मध्य प्रदेश के इंदौर में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने दो प्रमुख हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों - स्टार इंडिया हेल्थ इंश्योरेंस और आदित्य बिरला हेल्थ इंश्योरेंस - को पॉलिसीधारकों के साथ हुई धोखाधड़ी के मामले में कड़ी चेतावनी दी है। आयोग ने बीमा कंपनियों को ग्राहकों को बकाया राशि ब्याज सहित चुकाने के साथ-साथ जुर्माना भी भरने के आदेश दिए हैं। दोनों मामलों में बीमा कंपनियों की ओर से क्लेम रद्द करने या कटौती करने की कार्रवाई को अनुचित ठहराया गया है।
मामला 1: Aditya Birla Health Insurance को 50 लाख की राशि ब्याज समेत लौटानी होगी
ग्राम हरसोला, तहसील महू के निवासी संदीप हारोड ने अपनी मां सुशीलाबाई के लिए करवाए गए दुर्घटना बीमा के भुगतान को लेकर शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि आदित्य बिरला हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से 50 लाख रुपये का कवर लिया गया था, जो तीन साल के लिए था। 16 नवंबर 2019 को उनके मां का एक हादसे में निधन हो गया। इसके बाद क्लेम के लिए आवेदन किया गया, लेकिन कंपनी ने जांच के आधार पर दावा खारिज कर दिया।
बीमा कंपनी का तर्क था कि अन्य बीमा कंपनियों ने भी मां की आय और व्यवसाय में असंगति के कारण क्लेम अस्वीकार किया था। लेकिन आयोग ने बीमा कंपनी के फैसले को गलत मानते हुए, 50 लाख रुपए के भुगतान के साथ 20 नवंबर 2020 से अब तक 6 प्रतिशत ब्याज देने का आदेश दिया है। इसके अलावा, पॉलिसीधारक को हुई असुविधा और मानसिक तनाव के लिए 50 हजार रुपए और परिवाद खर्च के लिए 25 हजार रुपए अलग से दिए जाएंगे।
मामला 2: Star Health Insurance को कोरोना इलाज के खर्च का पूरा भुगतान करना होगा
दूसरे मामले में न्यू पलासिया की काम्या जैसवानी ने स्टार हेल्थ एंड अलाइड इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ शिकायत की। उन्होंने 40 लाख की मेडिक्लेम पॉलिसी करवाई थी। अप्रैल 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण उनका इलाज इंदौर के एक अस्पताल में हुआ, बाद में एयरलिफ्ट कर हैदराबाद के अस्पताल में रेफर किया गया।
काम्या ने दोनों अस्पतालों में किए गए कुल 54.57 लाख रुपए के खर्च का क्लेम किया था। लेकिन कंपनी ने इंदौर में इलाज के खर्च में से 1.87 लाख और हैदराबाद में इलाज के खर्च में से 24.86 लाख रुपए की कटौती कर दी। क्लेम की मांग बीमा लोकपाल तक गई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। आयोग ने बीमा कंपनी के तर्कों को खारिज करते हुए 8 लाख 28 हजार 831 रुपए भुगतान के आदेश दिए, साथ ही भुगतान तक 8 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज भी देना होगा।