दिल्ली में पशुओं में अब तक लंपी के 173 मामले सामने आए, दक्षिण और पश्चिमी जिलों में सबसे ज्यादा केस

punjabkesari.in Saturday, Sep 10, 2022 - 04:24 PM (IST)

नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मवेशियों में लंपी वायरस के कम से 173 मामले सामने आये हैं तथा इनमें से अधिकतर मामले दक्षिण और पश्चिमी जिलों में मिले हैं। लंपी से अब तक किसी मवेशी की मौत की सूचना नहीं है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहला मामला लगभग आठ से 10 दिन पहले सामने आया था और ‘‘अब तक किसी की मौत की सूचना नहीं है''। उन्होंने कहा कि सरकार वलयाकार टीकाकरण रणनीति का इस्तेमाल करेगी जिसके तहत पांच किलोमीटर के दायरे में स्वस्थ मवेशियों को गॉट पॉक्स वैक्सीन दी जाएगी।

मवेशियों के नमूने एकत्र करने के लिए कार्रवाई बल का गठन
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पर्यावरण एवं विकास मंत्री गोपाल राय ने बताया कि गोयला डेयरी क्षेत्र में लंपी के 45 मामले, रेवला खानपुर क्षेत्र में 40, घुमानहेड़ा में 21 और नजफगढ़ में 16 मामले सामने आए हैं। राय ने मवेशियों के मालिकों से लंपी के लक्षण वाले मवेशियों को अलग रखने की व्यवस्था करने को कहा है। लंपी के लक्षणों में पशुओं में तेज बुखार, दूध उत्पादन में कमी, त्वचा में गांठें, भूख न लगना, नाक से पानी निकलना और आंखों में पानी आना शामिल हो सकते हैं। राय ने बताया कि दिल्ली सरकार ने दो सचल पशु चिकित्सा क्लीनिक तैनात किए हैं और मवेशियों के नमूने एकत्र करने के लिए 11 त्वरित कार्रवाई बल का गठन किया है।

हेल्पलाइन नंबर और नियंत्रण कक्ष स्थापित किए 
राय ने बताया कि दिल्ली सरकार ने लंपी से संबंधित प्रश्नों के लिए हेल्पलाइन नंबर 8287848586 के साथ एक विशेष नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया है। गोपाल राय ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के रेवला खानपुर में लंपी से पीड़ित मवेशियों के लिए एक पृथकवास केंद्र बनाया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 40 लावारिस मवेशियों में लंपी संक्रमण पाया गया है, जिन्हें पृथकवास केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि पृथकवास में 4,500 मवेशी रह सकते हैं। पृथकवास केंद्र स्वस्थ मवेशियों के रहने के स्थान से थोड़ा दूर बनाया गया है और वहां मच्छरदानी लगाई गई है।

मृत्यु दर सिर्फ एक से दो प्रतिशत
अधिकारी ने बताया, ‘‘अन्य राज्यों में सामने आए मामलों के अनुपात में दिल्ली में इस रोग के फैलने की संभावना नहीं है, क्योंकि यहां मामलों की संख्या कम और प्रबंधन योग्य है। हमने मामले सामने आते ही तुरंत कार्रवाई करते हुए प्रसार को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं।'' एक अन्य अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर रोग के कारण मवेशियों की मौत नहीं हो रही है, मृत्यु दर सिर्फ एक से दो प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि राजस्थान और गुजरात में मवेशियों की मौत का कारण खराब स्वास्थ्य और संक्रमण के विकास हो सकता है। अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर संक्रमित मवेशियों को अलग-थलग कर दिया जाता है और उचित देखभाल की जाती है तो मौत होने की संभावना नहीं है। 

देश में लंपी के कारण अब तक 57,000 मवेशियों की मौत
घावों को नियमित रूप से कीटाणुरहित किया जाना चाहिए।'' गौरतलब है कि लंपी एक संक्रामक वायरस है जो मवेशियों के बीच मच्छरों, मक्खियों, जूं और ततैया के सीधे संपर्क के माध्यम से फैलता है। इसके अलावा दूषित भोजन और पानी के सेवन से भी यह फैलता है। इस रोग के कारण मवेशियों को बुखार और शरीर में गांठें पड़ जाती हैं। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने बृहस्पतिवार को कहा था कि रोग का प्रकोप गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में फैल गया है। उन्होंने कहा कि लंपी के कारण अब तक (बृहस्पतिवार) लगभग 57,000 मवेशियों की मौत हो चुकी है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

rajesh kumar

Recommended News

Related News