एसआईए लोगों को डराकर चुप कराने का एक और औज़ार: महबूबा

punjabkesari.in Wednesday, Nov 03, 2021 - 03:36 PM (IST)

श्रीनगर : गुपकार घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच के लिए गठित की गई राज्य जांच एजेंसी का मकसद केंद्र शासित प्रदेश में 'दमनकारी व्यवस्था को मजबूत करना है। जम्मू कश्मीर पुलिस के अंदर राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) का गठन किया गया है जिसका लक्ष्य आतंकवाद से संबंधित मामलों की तेज़ी से जांच और अभियोजन के साथ-साथ केंद्रीय एजेंसियों से समन्वय करना है।

 

पीएजीडी के प्रवक्ता एमवाई तारीगामी ने एक बयान में आरोप लगाया , "राज्य जांच एजेंसी बनाने के प्रशासन के नए फैसले का मकसद क्षेत्र में सिर्फ दमनकारी व्यवस्था को मजबूत करना है।" उन्होंने आरोप लगाया कि 'बेलगाम शक्तियां देकर एक और एजेंसी का गठन नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रताओं पर एक और हमला है।

 

उन्होंने कहा,"आतंकवाद से लड़ाई के नाम पर इन एजेंसियों और कानूनों का इस्तेमाल उन नागरिकों के खिलाफ किया जा रहा है जिनका नजरिया सरकार से अलग है।" उन्होंने पूछा कि एक और ऐसी एजेंसी की क्या जरूरत है जब एनआईए (राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण) और यूएपीए (गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून) पहले से हैं और उनका लोगों के खिलाफ दुरुपयोग किया जा रहा है।

 

तारीगामी ने कहा कि जम्मू कश्मीर एक 'राजनीतिक मुद्दा' है और राजनीतिक पहुंच की जरूरत है तथा लोगों को राहत पहुंचाने की आवश्यकता है न कि ऐसे 'कड़े उपाय' किए जाएं जो  उनका अलगाव और गहरा करें।"

 

उन्होंने कहा, "गुपकार  घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) अतीत में ऐसे सभी कानूनों का विरोध कर चुका है और भविष्य में भी इनका विरोध करेगा। देश के प्रतिष्ठित न्यायविदों ने आतंकवाद से लडऩे के नाम पर सरकार द्वारा इन कठोर कानूनों को पारित कराए जाने पर नाराजग़ी जाहिर की है। इन कानूनों का इस्तेमाल विरोधियों के खिलाफ हथियार के तौर पर किया जा सकता है। लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई में इन कठोर कानूनों से छुटकारा पाने के लिए संघर्ष शामिल होने चाहिए।"

 

इस बीच पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि एसआईए का गठन लोगों को च्डराकर, समर्पण कराने और खामोश कराने' के लिए राज्य के दमन का एक और औज़ार' है।

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "5 अगस्त (2019) के बाद भारत सरकार की प्रगति इतनी रही है कि उसने लोगों को डराकर समर्पण कराने और खामोश कराने के लिए राज्य द्वारा दमन के लिए अधिक औजार बनाए हैं। मानो कि ईडी, सीबीआई, एनआईए और आंतकवाद रोधी कानून काफी नहीं ‍थे जो अब हमारे पास एसआईए है जिसके पास जम्मू कश्मीर में लोगों को और दबाने के लिए बेलगाम शक्तियां और दण्ड मुक्ति है।"


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Content Writer

Monika Jamwal

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