क्या BF.7 वेरिएंट से डरना चाहिए?, जानें क्या है एक्सपर्ट की राय
punjabkesari.in Thursday, Dec 22, 2022 - 08:38 PM (IST)

नेशनल डेस्कः कोरोना के सब वैरिएंट BF.7 ने चीन में तबाही मचा रखी है। कोरोना महामारी से चीन में हालात इस कदर बिगड़ गए हैं कि मरीजों को अस्पतालों में ना तो बेड्स मिल पा रहे हैं ना ही मेडिकल शॉप्स पर दवाईयां। कोरोना से होने वाली मौतों के अंतिम संस्कार के लिए भी लोगों को लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है। इस भयावह स्थिति को देखकर भारत भी पूरी तरह से अलर्ट मोड पर आ गया है। कोरोना की नई लहर को लेकर एक्सपर्ट्स भी लगातार अपनी राय जाहिर कर रहे हैं। IIT Kanpur के प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने भी चाइना में आई कोरोना की नई लहर पर अपना मत पेश किया है।
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने कहा कि चीन में कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा और तेजी के साथ बढ़ेगा। उन्होंने संभावना जताई कि करीब 60 फीसदी से भी ज्यादा आबादी चीन में संक्रमित होगी। और जो 10 फीसदी विश्व की आबादी की बात की गई है, वह 10 फीसदी भी चीन की ही है।
प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि भारत में कई महीनों से नेचुरल इम्युनिटी लोगों में आ चुकी है। 98 फीसदी से ज्यादा लोगों में इस वक्त इम्युनिटी है। चीन में जो अभी वेरिएंट BF.7 मिला है वह जुलाई महीने में ही भारत में देखा जा चुका है। भारत में इतने माह के बीच में भी कुछ विशेष देखा नहीं गया है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत को किसी प्रकार से चिंता की आवश्यकता है।
AIIMS के पूर्व डायरेक्टर बोले- घबराएं नहीं सतर्क रहें
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के पूर्व डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भले में चीन में कोविड -19 के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है लेकिन भारत में नैचुरल इंफेक्शन और वैक्सीन कवरेज के हाई रेट के कारण चीन जैसी स्थिति नहीं होगी।
डॉक्टर रणदीप गुलेरिया फिलहाल गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन एंड रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन एंड डायरेक्टर के चेयरमैन हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि भारत में टेस्टिंग में कमी आई है। सर्दियों के मौसम में अक्सर लोग सर्दी, जुकाम या बुखार आने पर इसका टेस्ट नहीं कराते हैं। ऐसे में अगर कोरोना के टेस्ट होते रहेंगे तो म्यूटेशन का पता चल पाएगा। उन्होंने बताया कि पूरी दुनिया खासतौर पर चीन और इटली में कोरोना महामारी जिस तरह से अपने पीक पर थी और कोरोना के लाखों मामले सामने आ रहे थे, उसे देखते हुए हमने महसूस किया कि इस स्थिति से बचने के लिए ज्यादा तैयार रहना बेहतर है।
भारत ने अल्फा, बीटा, डेल्टा आदि सब-वैरिएंट्स का किया सामना
गुलेरिया ने कहा, जब यह महामारी आई तो हमारे लोगों में इस वायरस से निपटने के लिए कोई इम्यूनिटी नहीं थी, जिस कारण कुछ लोगों को इस दौरान गंभीर इंफेक्शन का सामना करना पड़ा। लेकिन अब, कोरोना महामारी को लगभग 3 साल हो गए हैं, और अब हम ऐसी स्थिति में हैं जहां हमारे लोगों में नेचुरल इंफेक्शन और वैक्सीन कवरेज की दर बहुत ज्यादा है। उन्होंने बताया कि हमारे लोगों की इम्यूनिटी इतनी ज्यादा स्ट्रॉन्ग हो गई है कि कोई भी नया वायरस हमें गंभीरता से प्रभावित नहीं कर सकता।
AIIMS के पूर्व डायरेक्टर ने बताया कि पिछले तीन सालों में लोगों ने कोरोना वायरस के अलग-अलग वेरिएंट्स जैसे अल्फा, बीटा, डेल्टा आदि सब-वैरिएंट्स का सामना किया है। जिसके चलते भारतीयों के लिए कोरोना वायरस उतना खतरनाक साबित नहीं हो रहा है जितना पहले था। लेकिन हमने पिछले एक साल के भीतर ओमिक्रॉन के कई अलग-अलग रूप विकसित होते हुए देखा है। ये वैरिएंट्स एक-दूसरे से बहुत ज्यादा अलग नहीं है लेकिन इसके बावजूद हमें चीन में तेजी से बढ़ रहे कोरोना वायरस के BF.7 वेरिएंट पर ध्यान देना होगा और इसके प्रति सतर्क भी रहना होगा। हमें नहीं पता है कि आने वाले वक्त में वायरस किस तरह से बिहैव करेगा। ये वायरस अब पहले से कम खतरनाक और स्थिर दिख रहा है लेकिन हमें चीन में कोरोना की वजह से हो रहे हॉस्पिटलाइजेशन और मौतों पर करीबी से नजर रखनी होगी।