''न गुप्ता जी के कागज काम आए, न ही मलिका बीबी के आंसू'', देखते ही देखते बुल्डोजर ने उजाड़ दिया कई घरों का भविष्य

punjabkesari.in Wednesday, Apr 20, 2022 - 05:15 PM (IST)

नई दिल्लीः उत्तर पश्चिमी दिल्ली के हिंसा प्रभावित जहांगीरपुरी इलाके में अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की मलिका बीबी की उम्मीदें बुधवार को उस समय टूट गईं जब फल और सब्जियों की उसकी दुकान को नगर निकाय अधिकारियों ने तोड़ दिया। यह दुकान परिवार के लिए आय का एकमात्र स्रोत था। कुछ ऐसी ही कहानी नजमा ने भी बयां की जिसकी बहन रहीमा का "सब कुछ खो गया।" उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान जहांगीरपुरी में सी-ब्लॉक मस्जिद के पास उसकी चाय की दुकान को गिरा दिया।

एनडीएमसी के अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान भारी संख्या में अर्धसैनिक बलों और पुलिसकर्मियों की मौजूदगी के बीच बुधवार को जहांगीरपुरी में बुलडोजर से कई मकानों को गिरा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के कुछ घंटों के भीतर ही उस अभियान को रोक दिया गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे रोकने का अधिकारियों को निर्देश दिए जाने के बाद भी अभियान जारी रहा। इस संबंध में अधिकारियों ने कहा कि अदालत का लिखित आदेश नहीं मिलने के कारण ऐसा हुआ।

मलिका बीबी ने कहा कि वह 25 साल से दुकान चला रही थीं और अधिकारियों ने किसी पूर्व सूचना के बिना इसे तोड़ दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने मेरी दुकान को तोड़ दिया... यह पांच सदस्यों के हमारे परिवार के लिए आय का एकमात्र स्रोत था। मेरे दो बच्चे हैं और दोनों प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ रहे हैं। मुझे अब चिंता इस बात की है कि उनकी पढ़ाई कैसे जारी रहेगी और उनके अच्छे भविष्य की मेरी सभी उम्मीद खत्म हो गई हैं।''

अतिक्रमण विरोधी अभियान रोके जाने से पहले, नगर निकाय ने कई अस्थायी दुकानों और संरचनाओं को बुलडोजर से गिरा दिया था। अभियान के बाद इलाके की सड़कों पर ध्वस्त ढांचे का मलबा बिखरा पड़ा था। नजमा (35) ने कहा, ‘‘मस्जिद के पास मेरी बहन रहीमा (40) की एक दुकान थी और उसे गिरा दिया गया। चाय, कॉफी और अन्य सामान की दुकान ने उसे अपना घर चलाने में मदद मिलती थी लेकिन अब उसका सब कुछ खत्म हो गया है। उसे पहले कोई नोटिस या आदेश नहीं मिला था। हमें अपने घरों से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है।"

गणेश कुमार गुप्ता की फलों के रस की दुकान थी और उसे भी गिरा दिया गया। उन्होंने कहा कि अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी दुकान 1977 में डीडीए आवंटन के तहत पंजीकृत थी। मैं सुबह से अपने दस्तावेजों के साथ पुलिस और अन्य अधिकारियों के पीछे भाग रहा हूं। मेरी दुकान को सुबह 11.30 बजे गिरा दिया गया। मैंने उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में बताया लेकिन उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी।''

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी इलाके में प्रशासन के अतिक्रमण रोधी अभियान पर रोक लगा दी। शीर्ष अदालत ने दंगे के आरोपियों के खिलाफ कथित तौर पर लक्षित नगर निकायों की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका भी सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली।


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Content Writer

Yaspal

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