संस्कृत मनीषी जगद्गुरु रामभद्राचार्य को मिला 58वां ज्ञानपीठ सम्मान
punjabkesari.in Friday, May 16, 2025 - 07:06 PM (IST)

नेशलन डेस्क: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विख्यात संस्कृत विद्वान और आध्यात्मिक गुरु जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया। इस मौके पर राष्ट्रपति ने उनके साहित्यिक योगदान और समाजसेवा की सराहना करते हुए कहा कि रामभद्राचार्य जी का जीवन प्रेरणास्रोत है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य केवल एक महान साहित्यकार ही नहीं बल्कि एक समर्पित समाजसेवी भी हैं। उन्होंने संस्कृत साहित्य को समृद्ध करने के साथ-साथ दिव्यांग जनों के कल्याण के लिए भी कई कार्य किए हैं। दृष्टिहीन होते हुए भी उन्होंने वेद, उपनिषद, महाकाव्य और भारतीय दर्शन में असाधारण विद्वता अर्जित की है।
कई भाषाओं में काव्य और धर्मग्रंथों की रचना
रामभद्राचार्य जी ने न सिर्फ संस्कृत बल्कि अन्य भाषाओं में भी कविता, आलोचना और धार्मिक ग्रंथों की रचना की है। उनके लेखन में ज्ञान, भक्ति और भारतीय परंपरा का गहन समावेश देखने को मिलता है। आज उनकी शिक्षाओं और रचनाओं से भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी लोग प्रभावित हैं।
ज्ञानपीठ पुरस्कार से संस्कृत साहित्य को मिला संबल
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है जो भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों को उनके विशिष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। रामभद्राचार्य जी को यह सम्मान मिलने से संस्कृत साहित्य को नई प्रतिष्ठा मिली है। इससे यह भी साबित होता है कि संस्कृत भाषा आज भी जीवंत और प्रासंगिक है।