"ये संबंध चंद्रयान की तरह....": अमेरिका और भारत के रिश्तों पर बोले एस जयशंकर

punjabkesari.in Sunday, Oct 01, 2023 - 05:50 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत और अमेरिका के संबंध अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं और दोनों देश ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां वे एक दूसरे को वांछनीय, इष्टतम और सहज साझेदार के रूप में देखते हैं। जयशंकर ने कहा कि ये द्विपक्षीय संबंध चंद्रयान की तरह चांद पर और उससे भी आगे जाएंगे।

भारतीय दूतावास द्वारा शनिवार को यहां आयोजित ‘सेलिब्रेटिंग कलर्स ऑफ फ्रेंडशिप' कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका के विभिन्न हिस्सों से ‘इंडिया हाउस' में एकत्र हुए सैकड़ों भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘‘आज यह स्पष्ट संदेश है कि हमारे रिश्ते अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं, लेकिन जैसा कि अमेरिका में कहा जाता है कि आपने अभी तक कुछ भी नहीं देखा है, हम इन संबंधों को एक अलग स्तर, एक अलग जगह ले जाने वाले हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहना चाहूंगा कि इस बदलती दुनिया में भारत और अमेरिका एक ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं, जहां हम एक दूसरे को वांछनीय, इष्टतम और सहज साझेदारों के रूप में देखते हैं...।''

जयशंकर ने कहा कि G20 की सफलता अमेरिका के सहयोग के बिना संभव नहीं हो सकती थी। उन्होंने कहा, ‘‘जब चीजें अच्छी होती हैं, तो हमेशा मेजबान को इसका श्रेय मिलता है। यह उचित भी है, लेकिन यदि G20 के सभी सदस्य देश इस आयोजन की सफलता के लिए काम नहीं करते, तो यह संभव नहीं था।''

ये संबंध चंद्रयान की तरह...
जयशंकर ने भारतीय-अमेरिकियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, ‘‘G20 को सफल बनाने के लिए जो योगदान, जो सहयोग और समझ हमें अमेरिका से मिली, उसकी मैं वाशिंगटन डीसी में सार्वजनिक तौर पर सराहना करना चाहूंगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘तो, शाब्दिक रूप से यह हमारी सफलता हो सकती है, लेकिन मुझे लगता है कि यह G20 (राष्ट्रों) की सफलता थी। मेरे लिए, यह भारत-अमेरिका साझेदारी की भी सफलता थी... कृपया इस साझेदारी को वह समर्थन देते रहें, जिसकी उसे आवश्यकता है, जिसकी यह हकदार है और जिसकी अपेक्षा है। मैं आपसे वादा कर सकता हूं कि ये संबंध चंद्रयान की तरह चंद्रमा तक, शायद उससे भी आगे तक जाएंगे।''

जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच मानवीय संबंध इस द्विपक्षीय संबंध को और अनूठा बनाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘देश एक-दूसरे के साथ व्यापार करते हैं। देश एक-दूसरे के साथ राजनीति करते हैं। उनके बीच सैन्य संबंध होते हैं, वे अभ्यास करते हैं और उनके बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है, लेकिन जब दो देशों के बीच गहरे मानवीय संबंध हों, तो यह पूरी तरह से अलग स्थिति होती है। हमारे संबंधों की यही आज अहम विशेषता है।'' उन्होंने कहा कि लोगों को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की अमेरिका की 1985 की यात्रा, 2005 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हालिया यात्राएं याद हैं।

हम आगे देख रहे हैं...
जयशंकर ने कहा, ‘‘लेकिन मुझे कहना होगा कि यह (मोदी की हालिया राजकीय यात्रा) अलग थी।'' उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच पहले संबंध सीमित स्तर पर थे, लेकिन अब वे एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं। जयशंकर ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के निर्माण में प्रवासी भारतीयों का अत्यधिक योगदान है। उन्होंने कहा, ‘‘इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। इसी आधार के सहारे हम आगे देख रहे हैं... क्षितिज पर नई आशा देख रहे हैं... इसलिए, मुझे लगता है कि जब हम क्षितिज को देखते हैं, तो हमें वहां वास्तव में शानदार संभावनाएं दिखाई देती हैं और यह समुदाय ही इन्हें संभव बनाएगा।''

जयशंकर ने कहा कि जब पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू 1949 में अमेरिका आए थे, तब यहां 3,000 भारतीय अमेरिकी थे, जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 1966 में आई थीं, तब 30,000 भारतीय अमेरिकी थे, जब राजीव गांधी 1985 में आए थे, तब 3,00,000 भारतीय अमेरिकी थे और जब मोदी आए तब यहां 30 लाख से अधिक भारतीय अमेरिकी थे और यह संख्या बढ़कर लगभग 50 लाख हो गई है। मंत्री ने कहा कि आज का भारत पहले के भारत से अलग है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मैं जिसकी बात कर रहा हूं, वह वास्तव में एक अलग भारत है। जैसा कि आपने दूसरों से सुना है, यह वह भारत है, जो चंद्रयान-3 मिशन को पूरा करने में सक्षम है।'

जयशंकर ने कहा, ‘‘यह वह भारत है, जो सबसे शानदार G20 सम्मेलन आयोजित करने में सक्षम रहा और उसने उन लोगों को गलत साबित कर दिया, जिन्होंने कहा था कि हम 20 देश को एक साथ नहीं ला पाएंगे।'' उन्होंने कहा कि यह वह भारत है, जिसने कोविड-19 महामारी के दौरान दिखाया कि वह न केवल अपने लोगों की देखभाल कर सकता है, बल्कि दुनियाभर के सैकड़ों देशों की ओर मदद का हाथ भी बढ़ा सकता है। जयशंकर ने कहा कि आज भारत में सबसे तेजी से 5जी सेवा उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर भारत के कदमों में आज ऊर्जा है, अगर उसकी आवाज में आत्मविश्वास है, तो इसके कई कारण हैं। मंत्री ने कहा, ‘‘क्योंकि यह 10 साल की कड़ी मेहनत का नतीजा है... ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां हमारी क्षमताएं दोगुनी या तिगुनी हो गई हैं।''

जयशंकर ने महात्मा गांधी की जयंती से पहले उन्हें याद करते हुए कहा, ‘‘उन्होंने इतनी सारी बातें, इतनी स्पष्टता से कहीं, अंतत: अगर हम खुद से पूछें कि उनका संदेश क्या था, तो उचित कार्य करना, सभ्य कार्य करना और किसी को पीछे नहीं छोड़ना उनका संदेश था। '' उन्होंने कहा, ‘‘गांधी जी का संदेश बहुत जटिल है, लेकिन इसका सार अत्यंत सरल है।''


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Content Writer

Yaspal

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