11 साल में दुनियाभर में सड़क हादसे 5% घटे... भारत में 15% बढ़े

punjabkesari.in Saturday, Dec 16, 2023 - 12:10 PM (IST)

नेशनल डेस्क: दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोड नेटवर्क रखने वाले भारत में सड़कें कम सुरक्षित है। 2010 में यहां 1.34 लाख लोगों ने सड़क हादसों में जान गवाई थी। 2021 में आंकड़ा 1.54 लाख हो गया यानी 15% की बढ़ोतरी हुई। जबकि, इसी दौरान दुनियाभर में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतें 12.5 लाख में घटकर 11.9 लाख पर आ गई, जो 5% की कमी दर्शाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ग्लोबल स्टेटस ऑन रोड सेफ्टी रिपोर्ट 23' में ये आंकड़े सामने आए। इसमें 108 देशों में 2010 से 2021 के बीच हुए हादसों की स्टडी की गई। जापान और नॉर्वे समेत 10 देशों में हादसे 50% से ज्यादा घट गए।

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सड़क पर बेकाबू होने के कारण-

  • एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में 72% सड़क दुर्घटनाएं ओवरस्योड से हुई।
  • दूसरा बड़ा कारण- गलत साइड पर वाहन चलाना।
  • तीसरा- शराब पीकर माड़ी बताना और पौधा- डाइविंग के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल करना।
  • आधे से ज्यादा हादसे हाईवे पर हए जबकि सड़क नेटवर्क में इनकी हिस्सेदारी 51% ही है।
  • 48 देशों पर हुआ इसरा का सर्वे भी कहता है कि दुनिया में 50% हादसे ओवर स्पीड और 16-21% साथ पीकर ड्राइविंग करने के कारण होते हैं।

खतरा- दुनिया में 30% हादसे कारों से, पर देश में 48% टू-थ्री व्हीलर से

दुनिया में सबसे ज्यादा 30% हादसों में कार सवार, 23% में पैदल, 21% में टू-थ्री और 60% में साइकिल से चलने वाले लोगों की मौत हुई। अन्य वाहनों से 20% जानें गई। वहीं, देश में सर्वाधिक 48% टू- थ्री व्हीलर वाले शिकार बने। दुर्घटनाओं में वाले 15-15%, साइ‌किल सवार 12% और अन्य 10% रहे। दुनिया में सड़क। मरने वालों में सबसे ज्यादा 28% (3.3 लाख) हिस्सेदारी दक्षिण पूर्व एशिया रीजन की है। भारत भी इसी क्षेत्र में है। यूरोपीय रीजन में सबसे कम 5% (62.670) मौतें हुई। 2010 से 2021 के बीच दुनिया में कार सवारों की दुर्घटनाओं में होने वाली मौतें 1% और टू-थ्री व्हीलर वालों की 2% घटी हैं। 

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युवा सबसे ज्यादा शिकार बने

  • डब्ल्यूएचओं की रिपोर्ट के अनुसार, 5 से 29 साल के युवाओं में मौत का सबसे बड़ा कारण सड़क दुर्घटना है। दूसरा बड़ा कारण है- टीबी।
  • सड़क मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है, भारत में 2022 के दौरान 9,528 नाबालिगों ने जान गंवाई।
  • सड़क हादसों में मरने वाले 83.4% लोग 18-60 की आयुवर्ग के थे।
  • केंद्र के मुताबिक, हर साल कामकाजी लोगों के सड़क हादसों को चपेट में आने से देश की जीडीपी को करीब 3% का नुक्सान होता है।
  • 2021 के मुकाबले 2022 में 12% हादसे बढ़े और 9.4% तक ज्यादा मौतें हुई। हर घंटे 19 आने आ रही।

ताज्जुब; जहां दुनिया की 1% गाड़ियां भी नहीं, वहां हादसों का खतरा 3 गुना

दुनिया की हर 10 में से 9 सड़क दुर्घटनाएं क्रम व मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। रोड सेफ्टी रिपोर्ट के मुताविक, इन देशों के पास दुनिया के 1% वाहन भी नहीं हैं, फिर भी यहां सड़क हादसों का खतरा अमीर देशों से तीन गुना तक ज्यादा है। 2021 में आई वर्ल्ड बैंक की रिपार्ट कहती है कि भारत में पूरी दुनिया की 1% करें भी नहीं है। इसके बावजूद दुनियाभर के कुल सड़क हादसों में देश को 11% हिस्सेदारी है। है। यही यही नहीं कम आय वाले 75% भारतीय परिवारों का कहना है कि फैमिली में एक सड़क हादसा भी हो जाए तो उनकी आय घट जाती है। 2010 से 2021 के बीच पूरी दुनिया में वाहनों की संख्या 160% तक बढ़ी है। जबकि, देश में यह बढ़ोतरी लगभग 250% है।

देश: 13 साल में यूं बढ़े वाहन

वाहन पोर्टल के मुताबिक, 15 दिसंबर 2023 तक देश में करीब 36 करोड़ वाहन हो चुके हैं। करीब 21 करोड़ टू-व्हीलर व 7 करोड़ कारें हैं। यूपी 4.5 करोड़ वाहनों के साथ देश में पहले नंबर पर है। महाराष्ट्र (3.50 करोड़) दूसरे, तमिलनाडु (12 करोड़) तीतों व कर्नाटक (3.06 करोड़) पर चौथे पर है।


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News Editor

Radhika

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