सेना का हौंसला बढ़ाने सियाचिन पहुंचे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

punjabkesari.in Monday, Jun 03, 2019 - 05:20 PM (IST)

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के मंसूबे नाकाम बनाने की सेना की मुहिम को बल देने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को अपने दौरों की शुरूआत लद्दाख के सियाचिन से करते हुए वहां पाकिस्तान के सामने सीना ताने खड़े सेना के जवानों के हौंसले को बढ़ाया। सोमवार सुबह साढ़े दस बजे के करीब सियाचिन पहुंचे राजनाथ सिंह ने वहां दुर्गम हालात में सेना के जवानों से बातचीत कर उनका हौंसला बढ़ाया। उनके साथ सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और रक्षा मंत्रालय के अन्य कई वरिष्ठ अधिकारी भी थे।
रक्षामंत्री ने सियाचिन वार मेमोरियल में सेना के शहीदों  को श्रद्धांजलि भी दी। बाद में वह सियाचिन के आधार शिविर भी गए।

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रक्षामंत्री के रूप में लद्दाख के अपने पहले दौरे पर पहुंचे राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान, चीन से सटे नियंत्रण रेखा व वास्तविक नियंत्रण रेखा के सुरक्षा हालात के बारे में भी जानकारी ली। इसी बीच लद्दाख से रक्षामंत्री कश्मीर आएं। उन्होंने श्रीनगर में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से बैठक में राज्य के सुरक्षा हालात, आतंकवादियों के मंसूबों, घुसपैठ को नकारने के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी ली।  

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पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले पर हमले में 40 जवानों के शहीद होने के बाद से देश के दुश्मनों पर दवाब बनाने की मुहिम लगातार जारी है। ऐसे हालात में रक्षामंत्री का कश्मीर, लद्दाख आना स्पष्ट संकेत है कि राज्य में आतंकवाद पर सेना के कड़े प्रहार बरकरार रहेंगे। इस समय आतंकवाद पर दवाब बनानकर श्री बाबा अमरनाथ यात्रा को कामयाब बनाने की रणनीति पर काम हो रहा है। राजनाथ सिंह को नियंत्रण रेखा के नजदीक की स्थिति तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के ओर से होने वाली घुसपैठ को रोकने के लिए उठाएं जा रहे कदमों की भी जानकारी दी गई। उन्हें हाल ही में आतंकवादियों के साथ घाटी में हुई मुठभेड़ तथा पिछले पांच महीनो में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 100 से ज्यादा आतंकवादियों को लेकर भी विस्तृत जानकारी दी गई। 
  

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दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र 
कोराकोरुम रेंज में स्थित सियाचिन ग्लेशियर दुनिया का सर्वोच्च सैन्य क्षेत्र है, जहां जवानों को अत्यधिक सर्दी और तेज हवाओं का सामना करना पड़ता है। सर्दियों में ग्लेशियर पर भूस्खलन और हिमस्खलन आम बात है। यहां तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है। सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री को 14 कोर और 15 कोर में पाकिस्तान की ओर से पैदा की गई किसी तरह की प्रतिकूल स्थिति से निपटने की भारत की तैयारी आदि पर विस्तृत जानकारी दी गई। 
 


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Monika Jamwal

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