राजीव गांधी हत्याकांड:2 साल से राज्यपाल के पास लंबित दोषी की सजा माफी याचिका, SC बोला-ढिलाई अच्छी नहीं

punjabkesari.in Tuesday, Nov 03, 2020 - 04:28 PM (IST)

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड के एक मुजरिम की सजा माफी की याचिका तमिलनाडु के राज्यपाल के पास दो साल से भी ज्यादा समय से लंबित होने पर मंगलवार को नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता ए.जी.पेरारिवलन के वकील से जानना चाहा कि क्या इस मामले में कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अपने अधिकार का इस्तेमाल कर राज्यपाल से इस पर निर्णय करने का अनुरोध कर सकता है। इस समय उम्र कैद की सजा काट रहे पेरारिवलन ने अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल के पास यह याचिका दायर की थी। इसी अनुच्छेद के तहत राज्यपाल को किसी आपराधिक मामले में क्षमा देने का अधिकार प्राप्त है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि हम इस समय अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करना चाहते लेकिन हम इस बात से खुश नहीं है कि तमिलनाडु सरकार की सिफारिश दो साल से लंबित है।

 

कोर्ट 46 वर्षीय पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें उसने इस मामले में अपनी उम्र कैद की सजा सीबीआई के नेतृत्व वाली एमडीएमए की जांच पूरी होने तक निलंबित रखने का अनुरोध किया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान पेरारिवलन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन से पीठ ने कहा कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की मदद और सलाह से काम करना है। लेकिन अगर राज्यपाल आदेश पारित नहीं करें तो आप हमें बताएं कि न्यायालय क्या कर सकता है? पीठ ने शंकरनारायणन से कहा कि वह न्यायालय को इस तथ्य से अवगत कराए कि किस तरह से वह राज्यपाल से फैसला लेने का अनुरोध कर सकता है और इस संबंध में कानून क्या कहता है। शीर्ष अदालत ने इसके बाद तमिलनाडु की ओर से पेश अधिवक्ता बालाजी श्रीनिवासन से जानना चाहा कि राज्य सरकार न्यायालय के किसी आदेश के बगैर ही राज्यपाल से आदेश पारित करने का अनुरोध क्यों नहीं कर सकती? शंकरनारायणन ने कहा कि राज्यपाल ने एमडीएमए की रिपोर्ट मांगी है। इस पर पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल केएम नटराज से सवाल किया कि क्या राज्य सरकार ने एमडीएमए की रिपोर्ट भेजने के लिए कोई अनुरोध किया है।

 

नटराज ने कहा कि इस हत्याकांड में व्यापक साजिश की जांच अभी चल रही है। यह जांच ब्रिटेन और श्रीलंका सहित कई देशों में फैली है। पीठ ने नटराज से कहा कि व्यापक साजिश का मकसद यह पता लगाना था कि क्या इसमें दोषी ठहराये गये व्यक्तियों के अलावा अन्य लोग भी शामिल थे। पीठ ने नटराज से कहा कि यह उन लोगों के संबंध में नहीं है जो दोषी ठहराए जा चुके हैं और जेल में हैं। पीठ ने कहा कि व्यापक साजिश की जांच करीब 20 साल से लंबित है। पीठ ने व्यापक साजिश के पहलू की जांच में दो दशक बाद भी केन्द्र कह रहा है कि वह दूसरे देशों को भेजे गये अनुरोध पत्रों का जवाब प्राप्त करने की प्रक्रिया में है। इस मामले को 23 नवंबर के लिये सूचीबद्ध करते हुए पीठ ने नटराज से कहा कि आप इसे देखिए और हमें बताएं।'' पीठ ने याचिकाकर्ता और केंद्र सरकार को इस मामले में अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति प्रदान की है। राज्य सरकार ने इससे पहले न्यायालय को बताया था कि मंत्रिपरिषद ने 9 सितंबर, 2018 को एक प्रस्ताव पारित किया था और इस मामले में सभी सात दोषियों को उनकी सजा पूरी होने से पहले ही रिहा करने की राज्यपाल से सिफारिश की थी। शीर्ष अदालत ने 21 जनवरी को राज्य सरकार से कहा था कि वह बताए कि उसने इस मामले में एक मुजरिम की माफी की याचिका पर क्या कोई निर्णय लिया है।

 

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 21 मई, 1991 की रात में तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में एक चुनावी सभा के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी। इस घटना में आत्मघाती महिला धनु सहित 14 अन्य व्यक्ति मारे गये थे और यह संभवत: पहला आत्मघाती विस्फोट था जिसमें किसी बड़े नेता की जान गयी थी। शीर्ष अदालत ने मई 1999 में इस हत्याकांड में पेरारिवलन, मुरूगन, संतन और नलिनी की मौत की सजा बरकरार रखी थी। हालांकि, अप्रैल, 2000 में तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने नलिनी की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया था। शीर्ष अदालत ने दया याचिका पर फैसले में 11 साल के विलंब के आधार पर 18 फरवरी, 2014 को दो अन्य दोषियों-संतन और मुरूगन के साथ पेरारिवलन की मौत की सजा उम्र कैद में तब्दील कर दी थी।
 


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Seema Sharma

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