इन खास मौकों पर राहुल गांधी रहे गायब, लोगों के मन में उठे सवाल

punjabkesari.in Tuesday, Dec 29, 2020 - 12:26 AM (IST)

नेशनल डेस्क (यशपाल सिंह): देश में नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है। किसानों को लगभग सभी विपक्षी पार्टियां बाहर से सपोर्ट कर रही हैं। हाल ही में यूपीए घटक दलों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की थी। वहीं, कांग्रेस ने भी अलग से राहुल गांधी की अगुवाई में राष्ट्रपति से मुलाकात कर इन कानूनों को वापस लेने की मांग की और 2 करोड़ किसानों के हस्ताक्षर का एक ज्ञापन सौंपा था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार किसानों के पक्ष में आए दिन ट्वीट के जरिए मोदी सरकार पर हमला बोलते रहे। लेकिन किसान आंदोलन के बीच राहुल गांधी निजी विदेश दौरे इटली रवाना हो गए, जिसको लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। हालांकि यह पहली बार नहीं है कि किसी आंदोलन के बीच में राहुल गांधी ने विदेश दौरा किया हो। इससे पहले वो कई बार निजी विदेश दौरा कर चुके हैं, जिसको लेकर राजनीति से लेकर जनता ने भी उनके दौरे की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए हैं।

विदेश दौरे को लेकर खड़े हुए सवाल
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद लगातार विभिन्न मौकों पर राहुल विदेश गए और इन दौरों को लेकर सवाल भी खड़े हुए। साल 2015 में राहुल गांधी यूरोप के निजी दौरे पर गए, उस दौरान असम में विधानसभा चुनाव चल रहे थे। साल 2016 में इंग्लैंड का दौरा किया, इस समय पंजाब में विधानसभा चुनाव होने थे। 2018 में इटली का दौरा किया था तब उत्तर पूर्व में विधानसभा चुनाव चल रहे थे। अक्टूबर 2019 में अज्ञात जगह पर राहुल गांधी रवाना हुए, तब कांग्रेस अर्थव्यवस्था को लेकर पूरे देश में मोदी सरकार के खिलाफ सड़कों पर आंदोलरित थी। ऐसे मौकों पर राहुल गांधी के विदेश दौरे को लेकर दूसरे दलों ने ही नहीं, बल्कि कांग्रेस के अंदर ही विरोध के स्वर उठे थे। दिसंबर 2019 में साउथ कोरिया का दौरा किया था, पिछले साल मोदी सरकार द्वारा संसद में पारित सीएए कानून को लेकर देशभर में आंदोलन चल रहा था, इस बीच राहुल गांधी विदेश दौरे पर चले गए, जिसको लेकर जनता ने जमकर उनकी आलोचना की।

2020 में राहुल गांधी कब-कब विदेश गए
राहुल गांधी रविवार को इटली के दौरे पर गए हैं। इस समय देश में किसानों का दिल्ली के बॉर्डरों पर आंदोलन चल रहा है और किसान मोदी सरकार से नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं और दूसरी ओर 27 दिसंबर को कांग्रेस का 136वां स्थापना दिवस भी था। ऐसे में राहुल का देश के बाहर जाना बड़े सियासी सवाल खड़े कर रहा है। हालांकि राहुल गांधी किसानों के पक्ष में लगातार कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे, लेकिन अचानक इटली चले जाने से राहुल को लेकर एक बार फिर लोगों के मन में सवाल उठने लगे हैं। इससे पहले साल 2020 की शुरूआत में राहुल गांधी ने यूरोप के विदेश दौरे पर गए थे। दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद राहुल छुट्टियां मनाने के लिए यूरोप चले गए। सितंबर 2020 में जब देश की संसद में मानसून सत्र चल रहा था, तब राहुल गांधी अपनी मां सोनिया गांधी के इलाज के लिए अमेरिका में थे। हालांकि सत्र की समाप्ति से पहले राहुल विदेश से लौट चुके थे। लेकिन वह सदन में नहीं आए। इसी दौरान मोदी सरकार ने तीन अहम र महत्वपूर्ण कृषि बिलों को लोकसभा और राज्यसभा से पास कराया।
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राहुल की अध्यक्षता में कांग्रेस का प्रदर्शन
साल 2017 में राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपी गई, जिसके बाद कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। साल 2017 में राहुल गांधी की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर और गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए। जिनमें पंजाब को छोड़कर कांग्रेस किसी भी राज्य में सरकार नहीं बना पाई। साल 2018 में पांच राज्यों (राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम, मध्य प्रदेश, तेलंगाना) में विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस ने तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) में अपने दम पर सरकार बनाई, जबकि तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और मिजोरम में क्षेत्रीय पार्टियों ने परचम लहराया था।

2019 लोकसभा चुनाव
साल 2019 में लोकसभा चुनाव भी राहुल गांधी कि अध्क्षयता में हुए, जिसमें कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने कई राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा लेकिन इसका कांग्रेस को अधिक फायदा नहीं हुआ और आम चुनाव में पार्टी 44 सीटों पर सिमट कर रह गई जिसके बाद हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। गौर करने वाली बात यह है कि राहुल गांधी खुद अपनी पारंपरिक सीट अमेठी से भाजपा की कद्दावर नेता स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए थे। लेकिन वायनाड से उन्होंने जीत दर्ज की।
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कांग्रेस का प्रदर्शन
साल 2019 में हुए सात राज्यों (आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा, ओडिशा, झारखंड और महाराष्ट्र) में विधानसभा चुनाव हुए। जिसमें पार्टी का प्रदर्शन फीका रहा। कई राज्यों में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल सका। आंध्र प्रदेश की 175 सीटों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। अरुणाचल में भी पार्टी दहाई का आंकड़ा नहीं छू सकी। इसके अलावा सिक्किम में खाता नहीं खुला। हरियाणा में 90 में से 31 सीटों पर जीत मिली। ओडिशा में 146 सीटों में से 9 सीटें ही जीतने में सफल रही। झारखंड में जेएमएम के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और सरकार बनाई। महाराष्ट्र एक अपवाद है, जिसमें पहले शिवसेना ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। लेकिन नतीजे आने के बाद शिवसेना ने भाजपा से नाता तोड़ एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। हालांकि इसके लिए कांग्रेस और शिवसेना के बीच कई दौर की बातचीत के बाद एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय हुआ और सरकार में शामिल हुई।

पार्टी के नेता उठा चुके हैं सवाल
राहुल गांधी को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी उनके नेतृत्व को लेकर सवाल उठाए हैं। हाल ही में कांग्रेस के 23 नेताओं ने पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर इसके बारे में अवगत कराया है। वहीं, हाल ही में कांग्रेस पार्टी की मीटिंग हुई, जिसमें राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग उठी है।

अगले साल इन राज्यों में होने हैं चुनाव
अगले साल मार्च अप्रैल और मई-जून में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिनमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पुडुचेरी, असम, केरल में चुनाव होंगे। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस लेफ्ट के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। वहीं, केरल में पार्टी का गठबंधन सत्ताधारी पार्टी के साथ है। इसके अलावा पुडुचेरी में पार्टी सत्ता में है। माना जा रहा है कि तमिलनाडु में पार्टी क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन कर सकती है। ऐसे में राहुल गांधी क विदेश जाना चर्चा का विषय बन गया है।
 

 


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Yaspal

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