कुछ नेताओं के रुख से राहुल खफा, नहीं चाहते वापसी

punjabkesari.in Friday, Jun 28, 2019 - 10:29 AM (IST)

Rahul Khahaकांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने कुछ नेताओं से नाराज बताए जा रहे हैं। यही कारण है कि तमाम नेताओं की कोशिशों के बाद भी वे अपने इस्तीफे के फैसले को पलटने को तैयार नहीं हैं। ये वे नेता हैं, जो राहुल के करीब हुआ करते थे, लेकिन जब उन्होंने लोकसभा चुनाव की हार की जिम्मेदारी लेकर इस्तीफे की पेशकश की तो किसी और ने अपनी जवाबदेही नहीं ली और न ही आगे बढ़ कर राहुल का साथ दिया। 
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चर्चा यह भी है कि जल्द ही कांग्रेस कार्यसमिति की एक बैठक बुला कर उसमें राहुल से इस्तीफा वापस लेने का दबाव बनाया जा सकता है। सूत्रों की माने तो २५ मई को हुई पार्टी कार्यसमिति की बैठक में जब राहुल ने लोकसभा चुनाव की हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की तो वहां मौजूद सभी नेताओं ने उनसे अपने पद पर बने रहने भर की अपील की। इसके लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया और संगठन में बदलाव के लिए भी अधिकृत कर दिया, लेकिन किसी और ने इस हार की जवाबदेही नहीं ली। जबकि बैठक में और उसके बाद भी यही तर्क देते रहे कि यह सामूहिक जिम्मेदारी है। 
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गिनती के तीन-चार प्रदेश अध्यक्षों को छोड़ दें तो एक महीना बीत जाने के बाद भी ज्यादातर नेताओं ने अपनी जवाबदेही का अहसास करते हुए वैसी पहल नहीं की, जैसा राहुल ने किया। राहुल गांधी उम्मीद कर रहे थे कि उनके इस्तीफे की पेशकश के बाद पार्टी के तमाम जिम्मेदार नेता अपना पद और दायित्व छोडऩे की पहल करेंगे, जिसके बाद सीडब्ल्यूसी की मंशा के अनुरूप उन्हें संगठनात्मक बदलाव करना आसान होगा। राहुल ऐसा इसलिए चाहते थे कि उन्हें खुद किसी को पद से न हटाना पड़े, अन्यथा बाद में विवाद का एक बड़ा कारण यह भी बनेगा। सीडब्ल्यूसी की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को अपने बेटों को जिताने तक सीमित रहने का जिक्र कर राहुल ने एक तरह से ऐसे नेताओं को अपना इशारा दिया था, लेकिन इनमें से किसी ने भी अपने-अपने राज्य में लोकसभा चुनाव हार की जवाबदेही नहीं ली। 
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सूत्रों के मुताबिक युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों से बुधवार को मुलाकात के दौरान राहुल ने इस बात का जिक्र करते हुए दुख जताया और कहा कि उनके इस्तीफे के बावजूद पार्टी शासित राज्यों के कुछ मुख्यमंत्रियों, महासचिवों, प्रभारियों और वरिष्ठ नेताओं को अपनी जवाबदेही का अहसास नहीं हुआ। उनके इस कथन से यह साफ हो गया कि वे पार्टी के कुछ नेताओं के रवैये से नाराज हैं। यही कारण है कि वे इस्तीफे के अपने फैसले को पलटने को तैयार नहीं हैं। सूत्र बता रहे हैं कि युवा कांग्रेस के नेताओं से राहुल ने कहा कि वे अब अध्यक्ष नहीं रहेंगे...पार्टी में लोकतांत्रिक प्रक्रिया होनी चाहिए। किसी दूसरे को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। उन्होंने नए अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया से भी खुद को अलग करने का निर्णय लिया है। इधर, असम के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता तरुण गोगोई ने कहा कि राहुल गांधी अगर अध्यक्ष बने रहना नहीं चाहते तो पार्टी हित में उनका विकल्प बिना कोई देरी किए ढूढऩा चाहिए। उन्होंने यह बात तब कही, जब इस्तीफा वापस लेने की पार्टी के ५१ सांसदों की भी मांग को राहुल ने ठुकरा दिया। 


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